कानपुर । निश्चित मानदेय पर सेवानिवृत्त सहायक
अध्यापकों व प्रवक्ताओं की नियुक्ति का विरोध करते हुए शिक्षक विधायक
राजबहादुर सिंह चंदेल ने मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर इस तरह से होने वाली
नियुक्तियों में योग्य बेरोजगार युवाओं को मौका दिये जाने की मांग की है।
श्री सिंह ने कहा है कि 70 वर्ष तक के सेवानिवृत्त शिक्षकों की नियुक्ति तर्कसंगत नहीं है। श्री चंदेल ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि राजकीय व अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में जरूरत के आधार पर निश्चित समयावधि के लिये मानदेय पर सेवानिवृत्त सहायक अध्यापकों व प्रवक्ताओं की नियुक्ति करने के निर्देश दिये गये हैं।
प्रदेश सरकार के इस निर्णय से योग्यताधारी बेरोजगार युवा अभ्यर्थियों में रोष व्याप्त है। शिक्षक विधायक ने कहा है कि उचित होता कि इस तरह के मौके आने पर बेरोजगार प्रशिक्षित स्नातक व परास्नातक युवाओं को मौका दिया जाता, जिससे बेरोजगारों में सरकार के प्रति एक विशेष आस्था व निष्ठा की भावना भी पैदा होती। पत्र में यह भी कहा गया है
कि वर्ष 2001 व 2002 में इण्टर कालेजों में विषय विशेषज्ञों की नियुक्तियां भाजपा शासनकाल में ही की गयी थीं, जिन्हें बाद में विनियमित भी किया गया और इसका अच्छा संदेश समाज में गया। श्री सिंह ने कहा है कि बेहतर होगा कि सेवानिवृत्त शिक्षकों के स्थान पर बेरोजगार प्रशिक्षित युवाओं की नियुक्ति मानदेय के आधार पर की जाती। उन्होंने यह भी कहा है कि 70 की आयु तक के सेवानिवृत्त शिक्षकों की नियुक्त तर्क संगत भी नहीं है।
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श्री सिंह ने कहा है कि 70 वर्ष तक के सेवानिवृत्त शिक्षकों की नियुक्ति तर्कसंगत नहीं है। श्री चंदेल ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि राजकीय व अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में जरूरत के आधार पर निश्चित समयावधि के लिये मानदेय पर सेवानिवृत्त सहायक अध्यापकों व प्रवक्ताओं की नियुक्ति करने के निर्देश दिये गये हैं।
प्रदेश सरकार के इस निर्णय से योग्यताधारी बेरोजगार युवा अभ्यर्थियों में रोष व्याप्त है। शिक्षक विधायक ने कहा है कि उचित होता कि इस तरह के मौके आने पर बेरोजगार प्रशिक्षित स्नातक व परास्नातक युवाओं को मौका दिया जाता, जिससे बेरोजगारों में सरकार के प्रति एक विशेष आस्था व निष्ठा की भावना भी पैदा होती। पत्र में यह भी कहा गया है
कि वर्ष 2001 व 2002 में इण्टर कालेजों में विषय विशेषज्ञों की नियुक्तियां भाजपा शासनकाल में ही की गयी थीं, जिन्हें बाद में विनियमित भी किया गया और इसका अच्छा संदेश समाज में गया। श्री सिंह ने कहा है कि बेहतर होगा कि सेवानिवृत्त शिक्षकों के स्थान पर बेरोजगार प्रशिक्षित युवाओं की नियुक्ति मानदेय के आधार पर की जाती। उन्होंने यह भी कहा है कि 70 की आयु तक के सेवानिवृत्त शिक्षकों की नियुक्त तर्क संगत भी नहीं है।
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