@------मैं भारत के महामहिम राष्ट्रपति/परम आदरणीय प्रधानमंत्री महोदय और न्यायपालिका से गुहार लगाता हूँ कि पूर्व के स्वयं के निम्नलिखित निर्णयों का अक्षरशः पालन कराने की कृपा करें अन्यथा....निम्न व्यवस्था लागू कर दे ताकि पुनः किसी गाँव का कोई काबिल बेरोजगार शिक्षामित्र /संविदा कर्मी बनने की हिम्मत न करे ।
@-----आर्मी वेलफेयर एजुकेशन सोसाइटी के स्कूलों को कड़ी फटकार लगाते हुये सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति श्री एस ए वोवडे और एम आई ए कलीफुल्लाह की खंडपीठ ने निर्णय दिया कि संविदा 15 - 30 दिन की हो सकती है ...साल या दो साल की नही...? शिक्षकों को स्थाई नही कर सकते तो विद्यालय बन्द कर दो ?(शिक्षामित्रों ने क्या बिगाड़ा था ?)
@----सुप्रीम कोर्ट के एक अन्य फैसले मे न्यायमूर्ति श्री टी एस ठाकुर और आर भानुमति की खंडपीठ ने यह कहा कि "10 साल से कार्यरत कर्मी को नियमित होने का अधिकार है " ?(शिक्षामित्रों पर क्यों नही लागू हुआ ?)
@-----एक अन्य मामले मे सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति श्री आदर्श गोयल और यू यू ललित की खंडपीठ ने 14/07/2017 को सावित्री देवी बनाम स्टेट ऑफ यूपी मे उन चार महिलाओं की नौकरी को बरककार रखा जो 2009 से स्टे पर चल रही थी...जो न तो स्नातक थी ? और न ही BTC किये हुए थी ? यह मामला महिला उद्योग इंटर कॉलेज इलाहाबाद का है । इसी बेंच ने लाखों शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द कर दिया क्यों ?(लाखो की अपेक्षा 4 लोगों को जीवन बहुमूल्य है/क्या इन्हें जीने का अधिकार नही है ?)
1-पिछले 17 सालों से शिक्षामित्र व्यवस्था मे इनवॉल्व भारत सरकार के मंत्री से लेकर प्रदेश व ग्राम पंचायत स्तर के सभी जनप्रतिनिधियो व अधिकारियो को फाँसी दे दे ...जैसे शिक्षामित्रों को सड़कों पर मरने को मजबूर कर दिया है । हम परिवर्तन के साथ है लीजिये कठोर निर्णय...
2-वर्तमान मे मौजूद सभी संविदा कर्मचारियो को उनके कार्य से मुक्त कर दे ।
3-सभी राज्यों सहित भारत सरकार की सभी नौकरियो मे आज से ही संविदा प्रणाली को तुरंत समाप्त कर दे ।
आज नही तो कल व्यवस्था को समझना होगा,दोषी शिक्षामित्र नही है दोषी व्यवस्था है और मौजूद व्यवस्था को इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए उनके हित मे त्वरित/प्रभावी कार्यवाही करनी चाहिए ताकि इनके मान सम्मान और रोजी/रोटी को पूर्व की भाँति बरकरार रखा जाये ।
अगर व्यवस्था को आईना दिखाना चाहते हो तो # पत्र लिखो महामहिम को
अन्यथा पढ के डिलीट कर दें इस मेसेज को शेयर बिल्कुल ना करें
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@-----आर्मी वेलफेयर एजुकेशन सोसाइटी के स्कूलों को कड़ी फटकार लगाते हुये सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति श्री एस ए वोवडे और एम आई ए कलीफुल्लाह की खंडपीठ ने निर्णय दिया कि संविदा 15 - 30 दिन की हो सकती है ...साल या दो साल की नही...? शिक्षकों को स्थाई नही कर सकते तो विद्यालय बन्द कर दो ?(शिक्षामित्रों ने क्या बिगाड़ा था ?)
@----सुप्रीम कोर्ट के एक अन्य फैसले मे न्यायमूर्ति श्री टी एस ठाकुर और आर भानुमति की खंडपीठ ने यह कहा कि "10 साल से कार्यरत कर्मी को नियमित होने का अधिकार है " ?(शिक्षामित्रों पर क्यों नही लागू हुआ ?)
@-----एक अन्य मामले मे सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति श्री आदर्श गोयल और यू यू ललित की खंडपीठ ने 14/07/2017 को सावित्री देवी बनाम स्टेट ऑफ यूपी मे उन चार महिलाओं की नौकरी को बरककार रखा जो 2009 से स्टे पर चल रही थी...जो न तो स्नातक थी ? और न ही BTC किये हुए थी ? यह मामला महिला उद्योग इंटर कॉलेज इलाहाबाद का है । इसी बेंच ने लाखों शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द कर दिया क्यों ?(लाखो की अपेक्षा 4 लोगों को जीवन बहुमूल्य है/क्या इन्हें जीने का अधिकार नही है ?)
1-पिछले 17 सालों से शिक्षामित्र व्यवस्था मे इनवॉल्व भारत सरकार के मंत्री से लेकर प्रदेश व ग्राम पंचायत स्तर के सभी जनप्रतिनिधियो व अधिकारियो को फाँसी दे दे ...जैसे शिक्षामित्रों को सड़कों पर मरने को मजबूर कर दिया है । हम परिवर्तन के साथ है लीजिये कठोर निर्णय...
2-वर्तमान मे मौजूद सभी संविदा कर्मचारियो को उनके कार्य से मुक्त कर दे ।
3-सभी राज्यों सहित भारत सरकार की सभी नौकरियो मे आज से ही संविदा प्रणाली को तुरंत समाप्त कर दे ।
आज नही तो कल व्यवस्था को समझना होगा,दोषी शिक्षामित्र नही है दोषी व्यवस्था है और मौजूद व्यवस्था को इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए उनके हित मे त्वरित/प्रभावी कार्यवाही करनी चाहिए ताकि इनके मान सम्मान और रोजी/रोटी को पूर्व की भाँति बरकरार रखा जाये ।
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