यह अवकाश शिक्षकों को अनुमन्य अवकाशों के अलावा होगा। विशेष अवकाश के दौरान शिक्षकों को वेतन तो नहीं मिलेगा लेकिन उन्हें इस दौरान हुई वेतन वृद्धियों का लाभ मिलेगा। उनकी वरिष्ठता भी नहीं प्रभावित होगी। शिक्षकों को यह सुविधा देने के लिए मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में राज्य विश्वविद्यालयों की प्रथम परिनियमावली में संशोधन के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी गई है।
इस संशोधन के जरिये शिक्षकों को अनुमन्य अवकाशों की सूची में विशेष अवकाश की नई श्रेणी जोड़ी गई है। साथ ही, असाधारण अवकाश के प्रावधान में आंशिक संशोधन किया गया है। अभी असाधारण अवकाश को अन्य अवकाशों के साथ तीन वर्ष तथा ड्यूटी से अनुपस्थित रहने की कुल अवधि पांच साल तय है। परिनियमावली में संशोधन के जरिये पांंच साल के असाधारण अवकाश को आकस्मिक अवकाश और विशेष आकस्मिक अवकाश को छोड़कर किसी भी अन्य प्रकार के अवकाश के साथ जोड़कर लिये जाने की व्यवस्था की गई है।
इन्हें मिलेगा लाभ
सरकार के इस फैसले का लाभ उन शिक्षकों को मिलेगा जो संसद और राज्य विधानमंडल के दोनों सदनों के सदस्य हों या केंद्र/राज्य सरकार द्वारा कला, विज्ञान, साहित्य, खेल आदि से जुड़े संगठनों/शैक्षिक संस्थानों/आयोगों में निर्धारित पदों के दायित्व निभाने के लिए नियुक्त किये गए हों।
ऐसे मिलेगा विशेष अवकाश
विशेष अवकाश तभी मिल सकेगा जब शिक्षक को कोई और अवकाश देय नहीं होगा या फिर शिक्षक ने खासतौर पर इसके लिए आवेदन किया हो।
15 दिन में करना होगा निस्तारण
विशेष अवकाश के लिए शिक्षक का आवेदन कुलपति को प्रस्तुत किये जाने पर कुलपति को 15 दिन में उसे निस्तारित करना होगा। यदि वह ऐसा नहीं करता है तो अवकाश स्वीकृत माना जाएगा। विशेष अवकाश स्वीकृत न होने पर शिक्षक विश्वविद्यालय की कार्य परिषद के समक्ष अपील कर सकेगा। कार्य परिषद अपील पर 30 दिनों के अंदर निर्णय करेगी।
अभी मिलती यह छुट्टियां
- -आकस्मिक छुट्टी
- -विशेष आकस्मिक छुट्टी
- -उपार्जित छुट्टी या विशेषाधिकार छुट्टी
- -कार्यार्थ अवकाश
- -असाधारण छुट्टी
- -अध्ययन अवकाश
- -अर्ध वेतन छुट्टी या दीर्घकालिक छुट्टी
- -राशिकृत छुट्टी
- -अर्जन शोध्य छुट्टी
- -मातृत्व अवकाश
- -बच्चों की देखभाल के लिए छुट्टी
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