लाहाबाद : परिषदीय शिक्षकों के अंतर जिला तबादलों पर रोक लगने के आसार
बढ़ गए हैं। यह नौबत दंपती के तबादलों का पेंच फंसने से आ रही है।
शासन व
शिक्षा विभाग पदस्थापन के नियम को शासनादेश के जरिये बदलने पर आमादा है और
सभी शिक्षिकाओं की जगह सिर्फ याचियों को विशेष परिस्थिति लाभ देने की
तैयारी
चल रही है। इसकी आहट पाकर हाईकोर्ट में डेढ़ सौ से अधिक
नई याचिकाएं दाखिल हो गई हैं। विभाग का मौजूदा रवैया बना रहा तो समायोजन,
जिले के अंदर तबादलों के बाद अब अंतर जिला तबादलों पर भी संकट गहराएगा।
बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों के
शिक्षक-शिक्षिकाओं के तबादले के लिए शासन ने 13 जून, 2017 को आदेश जारी
किया था। इसमें सेवा अवधि को पांच वर्ष कर दिया गया। सरकारी सेवा वाले
पति-पत्नी यानि दंपती को भी इस समय सीमा से राहत नहीं दी गई। इसके विरोध पर
शासन ने दिव्यांग व सैनिकों की पत्नियों को विशेष स्थिति का लाभ देते हुए
समय सीमा से छूट दी, बाकी के लिए पांच वर्ष की मियाद बरकरार रही। इस पर
हाईकोर्ट में करीब साढ़े तीन सौ याचिकाएं दाखिल हुईं। कोर्ट ने सभी
याचिकाएं स्वीकार करके विभाग को निर्णय लेने का निर्देश दिया। कोर्ट ने
विभा कुशवाहा की याचिका पर कहा कि विभाग में पदस्थापन के नियम साफ है उसकी
व्याख्या की जरूरत नहीं है। राज्य कर्मचारियों की तबादला नीति में
पति-पत्नी के बारे में स्पष्ट नियम है, किंतु 2008 की नियमावली के नियम आठ
डी के तहत महिला शिक्षिका के सास ससुर को भी शामिल किया गया है। कोर्ट से
महिला अध्यापिकाओं ने पति या सास व ससुर के नजदीक तबादले की मांग की। कोर्ट
ने कहा कि यह अर्जी विचारणीय है, भले ही वह शासनादेश के विपरीत हो। स्पष्ट
निर्देश के बाद भी शासन इन मामलों को निस्तारित करने में टालमटोल करता
रहा। परिषद ने 29 नवंबर, 13 दिसंबर, 2017 व तीन जनवरी और 17 फरवरी 2018 को
सभी याचिकाएं शासन निर्णय करने के लिए भेजी। अंतर जिला तबादला प्रक्रिया 16
जनवरी से शुरू हुई, तब तक शासन ने चुप रहा। 18 जनवरी को शासन ने निदेशक
बेसिक शिक्षा को निर्देशित किया कि विशेष परिस्थति का लाभ देने का परीक्षण
किया जाए।
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