NCTE की अधिसूचना 23/08/2010 को हाईकोर्ट लखनऊ की डबल बेंच में टीम बाराबंकी ने किया था चैलेंज🔥
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विषय :--राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद की अधिसूचना दिनांक 23 अगस्त 2010 में कक्षा 1 से 8 के लिए अध्यापक के रूप में नियुक्ति की पात्रता हेतु न्यूनतम योग्यता में tet को सम्मिलित करना एनसीटीई एक्ट 1993 के प्राविधानों के विरुद्ध होने के कारण उसे न्यूनतम योग्यता से हटाने व tet को युक्तिसंगत अवसर (यथास्थिति एनसीटीई की धारा-- 12e में वर्णित) यानी प्रशिक्षण से पूर्व कराने के संबंध में प्रत्यावेदन
महोदय,
विनम्र निवेदन है कि :--
1- यह सत्य है कि आरटीई एक्ट 2009 की धारा--23 की उपधारा- 1 एवं स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग मानव संसाधन विकास मंत्रालय भारत सरकार के अधिसूचना संख्या सं0 का0आ0 750 (अ) दिनांक 31 मार्च 2010 तथा एनसीटीई एक्ट 1993 का संशोधित 2011 की धारा- 12A और धारा- 32 की उपधारा-- dd द्वारा राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद को कक्षा- 0 1 से 08 तक के लिए नियुक्त होने वाले शिक्षकों की न्यूनतम योग्यता निर्धारित करने का अधिकार प्रदान किया गया है
किंतु एन सी टी ई एक्ट 1993 यथा संशोधित 2011 की धारा-- 2 परिभाषाएं की उपधारा- m में परिभाषित है कि--
Teacher education qualification means a degree, diploma or certificate in teacher education awarded by a university or examining body in accordance with the provisions of this Act.
अर्थात एनसीटीई एक्ट के अनुसार अध्यापक शैक्षिक योग्यता हेतु किसी विश्वविद्यालय या विधिक परीक्षा निकाय द्वारा टीचर एजूकेशन की प्रदत्त डिग्री डिप्लोमा या प्रमाण पत्र ही हैं । अद्यतन TET योग्यता को एनसीटीई एक्ट 1993 में टीचर्स एजुकेशन क्वालिफिकेशन की सूची में सम्मिलित नहीं किया गया है ।
एनसीटीई एक्ट की धारा 2 परिभाषाएं की उपधारा में परिभाषित है।
Teacher education means programs of education research or training of person for equipping them to teach at pre primary primary secondary and senior secondary stages in school and includes non formal education part time education adult education and correspondence education.
3- एनसीटीई एक्ट 1993 यथा संशोधित 2011 की धारा 32(1) में स्पष्ट है की राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद एक्ट 1993 के प्रावधानों के विरुद्ध कोई रेगुलेशन नहीं बना सकती है जैसा की उद्धरत है--
The council may be notification in the official gazette make regulations not in consistent with the provisions of this Act.
अर्थात जब तक एन सी टी ई एक्ट 1993 में संशोधन करके उसकी धारा-- 2(m) डिग्री, डिप्लोमा या सर्टिफिकेट के साथ टीईटी नहीं जोड़ा जाएगा तब तक एनसीटीई की अधिसूचना 23 अगस्त 2010 तथा गाइडलाइंस का पत्र No.- 76-4/2010/NCTE/Acad दिनांक 11 फरवरी 2011 गैरकानूनी है क्योंकि एन सी टी ई एक्ट 1993 यथा संशोधित 2011 में tet को टीचर एजुकेशन नहीं माना गया है एनसीटीई एक्ट की धारा- 12 Function of the council की उप धारा-e में वर्णित है।
The council may lay down norm's for any specified category of courses or training in teacher education including the minimum eligibility criteria for admission there of and method of selection of candidates, duration of courses, course contents and mode of curriculum.
अर्थात एनसीटीई को प्रशिक्षण कोर्स में प्रवेश लेने से पहले पात्रता परीक्षा करा लेना चाहिए।
5- संपूर्ण देश में पात्रता परीक्षा किसी प्रशिक्षण के पूर्व प्रवेश के लिए की जाती है जैसे NEET, GATE, IPS, CLAT, NDA आदि।
अस्तु प्रशिक्षण के बाद पात्रता परीक्षा कराना संविधान की धारा-- 14 समानता का अधिकार का उल्लंघन है विधि द्वारा स्थापित किसी विश्वविद्यालय या वैधानिक परीक्षा निकाय द्वारा प्रशिक्षण उपरांत प्रदत्त उपाधि डिप्लोमा या सर्टिफिकेट का तात्पर्य है कि व्यक्ति संबंधित क्षेत्र में दक्ष या पारंगत है इसके बाद TET लेकर किसी व्यक्ति को अपात्र घोषित करना कुलपति / परीक्षा प्राधिकारी का विशेषाधिकार हनन है क्योंकि UGC एक्ट 1956 की धारा-- 22 के अनुपालन में ही यूजीसी को उपाधि प्रदान करने का अधिकार है NCTE को कोई अधिकार नहीं है कि UGC एक्ट 1956 के प्राविधानों के अनुरूप प्रदत्त B.Ed उपाधि धारक को अपात्र घोषित कराने का कृत्य करें ।
7-उत्तर प्रदेश में BTC डीएलएड के प्रशिक्षण की परीक्षाएं सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी उत्तर प्रदेश इलाहाबाद संपादित करा कर अंकपत्र व प्रमाण पत्र प्रदान करता है तथा NCTE की गाइड लाइन के अनुसरण में TET की परीक्षा भी वही प्राधिकारी कर आता है और अंक पत्र प्रदान करता है यदि किसी व्यक्ति को ऐसी स्थिति आती है कि वह बीटीसी प्रशिक्षण में सफल तथा टीईटी की परीक्षा में अपात्र घोषित होता है तो एनसीटीई संबंधित प्राधिकारी द्वारा जारी दोनों प्रमाण पत्रों में किसे सही माना जाए अर्थात एनसीटीई द्वारा जारी अधिसूचना गैरकानूनी है ।
8-प्रशिक्षित/दक्ष व्यक्ति को अपात्र नहीं कहा जा सकता यह सार्वभौमिक सत्य है।
एनसीटीई प्रशिक्षण के पूर्व पात्रता परीक्षा न लेकर आम जनता के साथ धोखा कर रही है यानी कि अपात्र व्यक्तियों को भी प्रशिक्षण दिलाने के नाम पर प्राइवेट प्रशिक्षण संस्थान (शिक्षा माफिया) लाखों रुपए शुल्क के रुप में वसूल कराने में मदद कर रही है। और नौजवानों की जिंदगी के बहुमूल्य 2 वर्ष व धन नाजायज रुप से खराब करा रही है ।यदि एन सी टी ई एक्ट 1993 की धारा 12e का पालन करते हुए प्रशिक्षण पूर्व पात्रता परीक्षा करा ले तो पात्र व्यक्ति ही प्रशिक्षित होंगे
एनसीटीई की धारा 12m में वर्णित है कि
The council may take all necessary steps to prevent commercialization of teacher education तो NCTE बताये कि जब उत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षा में अध्यापक सरप्लस हैं और प्रशिक्षित टीईटी पास व्यक्ति नौजवान सड़क पर संघर्ष कर रहे हैं तो वह निजी संस्थानों को रेवड़ियों की तरह मान्यता प्रदान करके वर्ष 2017 में 2 लाख से अधिक लोगों को डीएलएड का प्रशिक्षण दिलाने की व्यवस्था कर ही क्यों रही है जिनके बारे में वह नहीं जानती कि वह पात्र हैं अथवा अपात्र कानून का पालन ना करके परिषद आम लोगों को शिक्षा माफियाओं का ग्रास बना रही है तथा एन सी टी ई एक्ट की धारा-- 12m का अनुपालन नहीं कर रही है जिससे देश और प्रदेश में भयावह स्थिति पैदा हो रही है।
11- NCTE की गाइडलाइंस पत्रांक -76-4/ 2010/NCTE/Acad दिनांक 11 फरवरी 2011 के पैरा- 3 में टीईटी लागू करने के लिए जो औचित्य बताए गए हैं (The rationale of including the TET)मे जिन तीन बिंदुओं को दर्शाया गया है वह हास्यापद हैं-- जब सारे देश के प्रशिक्षण संस्थानों के प्रवेश पाठ्यक्रम परीक्षाएं प्रवेशार्थियों की पात्रता की जांच की जिम्मेदारी आप की थी तो अपात्र लोग प्रशिक्षण पूरा कर सफल कैसे घोषित हुए आप अपनी अकर्मण्यता को छुपाना चाहते हैं और दोष प्रशिक्षित लोगों पर मढ़ना चाहते हैं, कृपया देखें एन सी टी ई एक्ट 1993 की धारा--12(g)( i)( b)( c) (e)( j)।
12- यदि एन सी टी ई एक्ट की धारा 12 की उप धारा --e में वर्णित कर्तव्य के अनुरूप प्रशिक्षण से पूर्व पात्रता परीक्षा लेकर पात्र व्यक्तियों को ही प्रवेश दिलाएं तथा पाठ्यक्रम की विषय वस्तु निर्धारित करते हुए उपधारा--g का अनुसरण करें(The council may lay down standars in respect of examination leading to teacher education qualification criteria for admission to such examination and schemes of courses or training) तो तथाकथित टीईटी के सारे लक्ष्य की प्राप्ति स्वयं हो जाएगी और कानून की पालना भी सुनिश्चित होगी परीक्षा करा लेना चाहिए।13- BTC सर्टिफिकेट कोर्स है डी एल एड डिप्लोमा बी एल एड व B.Ed डिग्री है सभी का पाठ्यक्रम अलग-अलग है और सभी प्रकार के प्रशिक्षितों को जूनियर हाई स्कूल में पढ़ाने के लिए पात्रता परीक्षा एक तो भिन्न-भिन्न पाठ्यक्रम के लिए प्रशिक्षित लोगों के लिए एक परीक्षा लेने का औचित्य क्या है।
14- कक्षा 06 से 08 तक जूनियर हाई स्कूल में पढ़ाने हेतु TET जरूरी है किंतु हायर सेकेंडरी स्कूल के कक्षा 06 से 08 तक के बच्चों को पढ़ाने के लिए शिक्षकों के लिए अधिसूचना 23 अगस्त 2010 कुछ नहीं कहती, क्योंकि वहां का शिक्षक कक्षा 06 से 10 तक पढ़ाने के लिए नियुक्त होता है जो कि B.Ed होता है उपरोक्त बिंदुओं 13 व 14 से स्पष्ट है कि TET के संबंध में अधिसूचना 23 अगस्त 2010 संविधान की धारा- 14 का सीधा उल्लंघन करती है।
15- टीईटी परीक्षा में अध्यापन कला(Teaching activity) के मापन की कोई व्यवस्था नहीं है जिसका शिक्षक के व्यक्तित्व में लगभग 60% का हिस्सा होता है अस्तु टीईटी शिक्षक के मूल्यांकन की परीक्षा है ही नहीं ।अपितु इसका पाठ्यक्रम प्रशिक्षण से पूर्व प्रवेशार्थियों की पात्रता मापने / निर्धारित करने का है । जैसा कि पूर्व में B.Ed, BTC, CT टीचर्स ट्रेनिंग में प्रवेश हेतु लिखित परीक्षा में होता था।
16- संपूर्ण देश में बीटेक,बीई ,एमटेक , उत्तीर्ण व्यक्ति इंजीनियर एमबीबीएस बीडीएस, एम सी एच, एम डी, एम एस, उत्तीर्ण व्यक्ति डॉक्टर LLB LLM उत्तीर्ण व्यक्ति अधिवक्ता कहलाते हैं। तो एनसीटीई के अनुसार बीटीसी डीएलएड B.Ed लोग क्या कहे जायेंगे ? महोदय शैक्षिक योग्यता प्रशिक्षण के दौरान ऐसे व्यक्तियों को छात्राध्यापक कहा जाता है तथा प्रशिक्षण पूर्ण कर डिग्री या डिप्लोमा /सर्टिफिकेट प्राप्त करने के पश्चात सभी प्रशिक्षित छात्रा अध्यापक के रूप में सुशोभित माने जाते हैं नौकरी मिलना या न मिलना अलग का विषय है । नियुक्ता को पूरा अधिकार है कि वह पात्र (डिग्री डिप्लोमा सर्टिफिकेट वाले )व्यक्तियों में प्रतिस्पर्धा हेतु प्रतियोगी परीक्षा करा ले । किन्तु कोई भी व्यक्ति /अधिकारी कानून में वर्णित योग्यताधारी व्यक्ति को अपात्र घोषित करने का अधिकार नहीं रखता है
आप की अधिसूचना 23 अगस्त 2010 पात्रता और अर्हता/ योग्यता का घालमेल है एवं NCTE की छवि बनाने एवं पात्र योग्य व्यक्तियों की छवि को हनन करने वाला दस्तावेज है।
पात्रता की परीक्षा दीक्षा देने से पूर्व आदिकाल से ही ली जाती रही है। पात्र व्यक्ति को ही प्रशिक्षण दिया जाता था, ताकि कलाओं का प्रयोग जन कल्याण के लिए होता रहे आचार्य द्रोण परशुराम आदि गुरुजनों के दृष्टांत हमारे इतिहास में मौजूद हैं कि वह पात्र व्यक्तियों को ही दीक्षा देते थे । अतः आपसे अनुरोध है कि भारतीय संसद द्वारा पारित कानून NCTE Act 1993 यथा संशोधित 2011 की धारा--12 उपधारा--(e)व (m) के अनुसरण एवं भारतीय पुरातन परंपराओं के अनुरूप बीटीसी B.Ed B.L.Ed.,CTआदि प्रशिक्षण कोर्स में प्रवेश लेने से पूर्व TET आयोजित करें तथा एन सी टी ई एक्ट 1993 की धारा--2 की उपधारा--(एल)(एम) के अनुपालन में कक्षा --01 से 08 तक पढ़ाने हेतु शिक्षकों की न्यूनतम योग्यता संबंधी अधिसूचना 23 अगस्त 2010 मे TET की योगिता को विलोपित करने की कृपा करें। क्योंकि संसद द्वारा पारित अधिनियम 1993 मे शिक्षक योगिता डिग्री डिप्लोमा या सर्टिफिकेट ही हैं जिनमें से ही शिक्षक के लिए न्यूनतम योग्यता निर्धारण करने की अधिसूचना आप जारी कर सकते हैं ।
चूंकि देश में समस्त प्रकार के टीचर्स एजुकेशन संस्थान आप की देखरेख में संचालित होते हैं जिनकी मान्यता पाठ्यक्रमों की पाठ्य सामग्री/ विषय वस्तु आप द्वारा निर्धारित की जाती है इसलिए आपको यह अधिकार दिया गया है कि आप बताएं कि कक्षा-- 01 से 08 तक के बच्चों को पढ़ाने के लिए कौन-कौन से कोर्स को मान्यता दिया है उन्ही में से न्यूनतम योग्यता है डिग्री डिप्लोमा या सर्टिफिकेट को निर्धारित करें न कि नई योगिता का सृजन करें। टीचर्स एजुकेशन क्वालिफिकेशन निर्धारित करने का यह तात्पर्य नहीं है कि एक्ट में वर्णित डिग्री डिप्लोमा सर्टिफिकेट के अतिरिक्त कोई अन्य योग्यता शिक्षक भर्ती के लिए बना दी जाए ।कानून बनाने का कार्य /संशोधित करने का कार्य संसद का है ना कि एनसीटीई का उपरोक्त के आलोक में उत्तर प्रदेश दूरस्थ BTC शिक्षक संघ उत्तर प्रदेश आशा करता हैं कि एनसीटीई अपने अधिकारों की सीमा में रहकर 23 अगस्त 2010 की अधिसूचना में TET को प्राथमिक शिक्षकों के लिए न्यूनतम योग्यता की सूची से विलोपित करने की कृपा करेगी।
अस्तु प्रशिक्षण के बाद पात्रता परीक्षा कराना संविधान की धारा-- 14 समानता का अधिकार का उल्लंघन है विधि द्वारा स्थापित किसी विश्वविद्यालय या वैधानिक परीक्षा निकाय द्वारा प्रशिक्षण उपरांत प्रदत्त उपाधि डिप्लोमा या सर्टिफिकेट का तात्पर्य है कि व्यक्ति संबंधित क्षेत्र में दक्ष या पारंगत है इसके बाद TET लेकर किसी व्यक्ति को अपात्र घोषित करना कुलपति / परीक्षा प्राधिकारी का विशेषाधिकार हनन है क्योंकि UGC एक्ट 1956 की धारा-- 22 के अनुपालन में ही यूजीसी को उपाधि प्रदान करने का अधिकार है NCTE को कोई अधिकार नहीं है कि UGC एक्ट 1956 के प्राविधानों के अनुरूप प्रदत्त B.Ed उपाधि धारक को अपात्र घोषित कराने का कृत्य करें ।
7-उत्तर प्रदेश में BTC डीएलएड के प्रशिक्षण की परीक्षाएं सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी उत्तर प्रदेश इलाहाबाद संपादित करा कर अंकपत्र व प्रमाण पत्र प्रदान करता है तथा NCTE की गाइड लाइन के अनुसरण में TET की परीक्षा भी वही प्राधिकारी कर आता है और अंक पत्र प्रदान करता है यदि किसी व्यक्ति को ऐसी स्थिति आती है कि वह बीटीसी प्रशिक्षण में सफल तथा टीईटी की परीक्षा में अपात्र घोषित होता है तो एनसीटीई संबंधित प्राधिकारी द्वारा जारी दोनों प्रमाण पत्रों में किसे सही माना जाए अर्थात एनसीटीई द्वारा जारी अधिसूचना गैरकानूनी है ।
8-प्रशिक्षित/दक्ष व्यक्ति को अपात्र नहीं कहा जा सकता यह सार्वभौमिक सत्य है।
एनसीटीई प्रशिक्षण के पूर्व पात्रता परीक्षा न लेकर आम जनता के साथ धोखा कर रही है यानी कि अपात्र व्यक्तियों को भी प्रशिक्षण दिलाने के नाम पर प्राइवेट प्रशिक्षण संस्थान (शिक्षा माफिया) लाखों रुपए शुल्क के रुप में वसूल कराने में मदद कर रही है। और नौजवानों की जिंदगी के बहुमूल्य 2 वर्ष व धन नाजायज रुप से खराब करा रही है ।यदि एन सी टी ई एक्ट 1993 की धारा 12e का पालन करते हुए प्रशिक्षण पूर्व पात्रता परीक्षा करा ले तो पात्र व्यक्ति ही प्रशिक्षित होंगे
एनसीटीई की धारा 12m में वर्णित है कि
The council may take all necessary steps to prevent commercialization of teacher education तो NCTE बताये कि जब उत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षा में अध्यापक सरप्लस हैं और प्रशिक्षित टीईटी पास व्यक्ति नौजवान सड़क पर संघर्ष कर रहे हैं तो वह निजी संस्थानों को रेवड़ियों की तरह मान्यता प्रदान करके वर्ष 2017 में 2 लाख से अधिक लोगों को डीएलएड का प्रशिक्षण दिलाने की व्यवस्था कर ही क्यों रही है जिनके बारे में वह नहीं जानती कि वह पात्र हैं अथवा अपात्र कानून का पालन ना करके परिषद आम लोगों को शिक्षा माफियाओं का ग्रास बना रही है तथा एन सी टी ई एक्ट की धारा-- 12m का अनुपालन नहीं कर रही है जिससे देश और प्रदेश में भयावह स्थिति पैदा हो रही है।
11- NCTE की गाइडलाइंस पत्रांक -76-4/ 2010/NCTE/Acad दिनांक 11 फरवरी 2011 के पैरा- 3 में टीईटी लागू करने के लिए जो औचित्य बताए गए हैं (The rationale of including the TET)मे जिन तीन बिंदुओं को दर्शाया गया है वह हास्यापद हैं-- जब सारे देश के प्रशिक्षण संस्थानों के प्रवेश पाठ्यक्रम परीक्षाएं प्रवेशार्थियों की पात्रता की जांच की जिम्मेदारी आप की थी तो अपात्र लोग प्रशिक्षण पूरा कर सफल कैसे घोषित हुए आप अपनी अकर्मण्यता को छुपाना चाहते हैं और दोष प्रशिक्षित लोगों पर मढ़ना चाहते हैं, कृपया देखें एन सी टी ई एक्ट 1993 की धारा--12(g)( i)( b)( c) (e)( j)।
12- यदि एन सी टी ई एक्ट की धारा 12 की उप धारा --e में वर्णित कर्तव्य के अनुरूप प्रशिक्षण से पूर्व पात्रता परीक्षा लेकर पात्र व्यक्तियों को ही प्रवेश दिलाएं तथा पाठ्यक्रम की विषय वस्तु निर्धारित करते हुए उपधारा--g का अनुसरण करें(The council may lay down standars in respect of examination leading to teacher education qualification criteria for admission to such examination and schemes of courses or training) तो तथाकथित टीईटी के सारे लक्ष्य की प्राप्ति स्वयं हो जाएगी और कानून की पालना भी सुनिश्चित होगी परीक्षा करा लेना चाहिए।13- BTC सर्टिफिकेट कोर्स है डी एल एड डिप्लोमा बी एल एड व B.Ed डिग्री है सभी का पाठ्यक्रम अलग-अलग है और सभी प्रकार के प्रशिक्षितों को जूनियर हाई स्कूल में पढ़ाने के लिए पात्रता परीक्षा एक तो भिन्न-भिन्न पाठ्यक्रम के लिए प्रशिक्षित लोगों के लिए एक परीक्षा लेने का औचित्य क्या है।
14- कक्षा 06 से 08 तक जूनियर हाई स्कूल में पढ़ाने हेतु TET जरूरी है किंतु हायर सेकेंडरी स्कूल के कक्षा 06 से 08 तक के बच्चों को पढ़ाने के लिए शिक्षकों के लिए अधिसूचना 23 अगस्त 2010 कुछ नहीं कहती, क्योंकि वहां का शिक्षक कक्षा 06 से 10 तक पढ़ाने के लिए नियुक्त होता है जो कि B.Ed होता है उपरोक्त बिंदुओं 13 व 14 से स्पष्ट है कि TET के संबंध में अधिसूचना 23 अगस्त 2010 संविधान की धारा- 14 का सीधा उल्लंघन करती है।
15- टीईटी परीक्षा में अध्यापन कला(Teaching activity) के मापन की कोई व्यवस्था नहीं है जिसका शिक्षक के व्यक्तित्व में लगभग 60% का हिस्सा होता है अस्तु टीईटी शिक्षक के मूल्यांकन की परीक्षा है ही नहीं ।अपितु इसका पाठ्यक्रम प्रशिक्षण से पूर्व प्रवेशार्थियों की पात्रता मापने / निर्धारित करने का है । जैसा कि पूर्व में B.Ed, BTC, CT टीचर्स ट्रेनिंग में प्रवेश हेतु लिखित परीक्षा में होता था।
16- संपूर्ण देश में बीटेक,बीई ,एमटेक , उत्तीर्ण व्यक्ति इंजीनियर एमबीबीएस बीडीएस, एम सी एच, एम डी, एम एस, उत्तीर्ण व्यक्ति डॉक्टर LLB LLM उत्तीर्ण व्यक्ति अधिवक्ता कहलाते हैं। तो एनसीटीई के अनुसार बीटीसी डीएलएड B.Ed लोग क्या कहे जायेंगे ? महोदय शैक्षिक योग्यता प्रशिक्षण के दौरान ऐसे व्यक्तियों को छात्राध्यापक कहा जाता है तथा प्रशिक्षण पूर्ण कर डिग्री या डिप्लोमा /सर्टिफिकेट प्राप्त करने के पश्चात सभी प्रशिक्षित छात्रा अध्यापक के रूप में सुशोभित माने जाते हैं नौकरी मिलना या न मिलना अलग का विषय है । नियुक्ता को पूरा अधिकार है कि वह पात्र (डिग्री डिप्लोमा सर्टिफिकेट वाले )व्यक्तियों में प्रतिस्पर्धा हेतु प्रतियोगी परीक्षा करा ले । किन्तु कोई भी व्यक्ति /अधिकारी कानून में वर्णित योग्यताधारी व्यक्ति को अपात्र घोषित करने का अधिकार नहीं रखता है
आप की अधिसूचना 23 अगस्त 2010 पात्रता और अर्हता/ योग्यता का घालमेल है एवं NCTE की छवि बनाने एवं पात्र योग्य व्यक्तियों की छवि को हनन करने वाला दस्तावेज है।
पात्रता की परीक्षा दीक्षा देने से पूर्व आदिकाल से ही ली जाती रही है। पात्र व्यक्ति को ही प्रशिक्षण दिया जाता था, ताकि कलाओं का प्रयोग जन कल्याण के लिए होता रहे आचार्य द्रोण परशुराम आदि गुरुजनों के दृष्टांत हमारे इतिहास में मौजूद हैं कि वह पात्र व्यक्तियों को ही दीक्षा देते थे । अतः आपसे अनुरोध है कि भारतीय संसद द्वारा पारित कानून NCTE Act 1993 यथा संशोधित 2011 की धारा--12 उपधारा--(e)व (m) के अनुसरण एवं भारतीय पुरातन परंपराओं के अनुरूप बीटीसी B.Ed B.L.Ed.,CTआदि प्रशिक्षण कोर्स में प्रवेश लेने से पूर्व TET आयोजित करें तथा एन सी टी ई एक्ट 1993 की धारा--2 की उपधारा--(एल)(एम) के अनुपालन में कक्षा --01 से 08 तक पढ़ाने हेतु शिक्षकों की न्यूनतम योग्यता संबंधी अधिसूचना 23 अगस्त 2010 मे TET की योगिता को विलोपित करने की कृपा करें। क्योंकि संसद द्वारा पारित अधिनियम 1993 मे शिक्षक योगिता डिग्री डिप्लोमा या सर्टिफिकेट ही हैं जिनमें से ही शिक्षक के लिए न्यूनतम योग्यता निर्धारण करने की अधिसूचना आप जारी कर सकते हैं ।
चूंकि देश में समस्त प्रकार के टीचर्स एजुकेशन संस्थान आप की देखरेख में संचालित होते हैं जिनकी मान्यता पाठ्यक्रमों की पाठ्य सामग्री/ विषय वस्तु आप द्वारा निर्धारित की जाती है इसलिए आपको यह अधिकार दिया गया है कि आप बताएं कि कक्षा-- 01 से 08 तक के बच्चों को पढ़ाने के लिए कौन-कौन से कोर्स को मान्यता दिया है उन्ही में से न्यूनतम योग्यता है डिग्री डिप्लोमा या सर्टिफिकेट को निर्धारित करें न कि नई योगिता का सृजन करें। टीचर्स एजुकेशन क्वालिफिकेशन निर्धारित करने का यह तात्पर्य नहीं है कि एक्ट में वर्णित डिग्री डिप्लोमा सर्टिफिकेट के अतिरिक्त कोई अन्य योग्यता शिक्षक भर्ती के लिए बना दी जाए ।कानून बनाने का कार्य /संशोधित करने का कार्य संसद का है ना कि एनसीटीई का उपरोक्त के आलोक में उत्तर प्रदेश दूरस्थ BTC शिक्षक संघ उत्तर प्रदेश आशा करता हैं कि एनसीटीई अपने अधिकारों की सीमा में रहकर 23 अगस्त 2010 की अधिसूचना में TET को प्राथमिक शिक्षकों के लिए न्यूनतम योग्यता की सूची से विलोपित करने की कृपा करेगी।
सारांश:---
निम्न बिंदुओं की समीक्षा करने के बाद आशय यह निकलता है कि जिस tet को आधार मानकर माननीय सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षामित्रों का समायोजन निरस्त किया है वह TET ही असंवैधानिक है
नोट :--
सभी शिक्षामित्र भाइयों से निवेदन है कि इस पत्र को अपने अपने क्षेत्र के सांसदों द्वारा लिखवाकर भारत सरकार को प्रेषित करवाने का कष्ट करें।
धन्यवाद!
विकास कुमार (प्रान्तीय मंत्री)
उत्तर प्रदेश दूरस्थ बी टी सी शिक्षक संघ उत्तर प्रदेश।
मो०9919645770
निम्न बिंदुओं की समीक्षा करने के बाद आशय यह निकलता है कि जिस tet को आधार मानकर माननीय सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षामित्रों का समायोजन निरस्त किया है वह TET ही असंवैधानिक है
नोट :--
सभी शिक्षामित्र भाइयों से निवेदन है कि इस पत्र को अपने अपने क्षेत्र के सांसदों द्वारा लिखवाकर भारत सरकार को प्रेषित करवाने का कष्ट करें।
धन्यवाद!
विकास कुमार (प्रान्तीय मंत्री)
उत्तर प्रदेश दूरस्थ बी टी सी शिक्षक संघ उत्तर प्रदेश।
मो०9919645770
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