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मानदेय न मिलने से भुखमरी की कगार पर शिक्षामित्र और उनका परिवार

उन्नाव. केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित किया गया न्यूनतम वेतनमान उन लोगों को तब तक दिया जाए जब तक कि उन्हें शिक्षक पद पर नहीं रख लिया जाता है।
17 सालों से शिक्षण कार्य करने के बाद उनसे उनकी योग्यता पूछी जा रही है। स्थानीय निराला पार्क में आयोजित उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के जिला अध्यक्ष सुधाकर तिवारी ने उक्त विचार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि 172000 शिक्षामित्र शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं। 25 जुलाई 2017 को उच्च न्यायालय द्वारा शिक्षा मित्रों के समायोजन को निरस्त किए जाने से उनका परिवार विषम संकट की स्थितियों में है। पूरे प्रदेश में लगभग 500 शिक्षामित्र आत्महत्या कर चुके हैं। जो बहुत ही कष्टदाई है और बड़ी संख्या में शिक्षामित्र अवसादग्रस्त की स्थिति में है। सुधाकर तिवारी ने कहा कि सभी शिक्षामित्रों ने पूरे मनोयोग से शिक्षक कार्य किया है। भारतीय जनता पार्टी ने अपने संकल्प पत्र में शिक्षामित्रों की समस्याओं को शामिल करते हुए कहा था कि उनकी समस्याओं का समाधान किया जाएगा। इसके बाद भी उनके साथ भेदभाव किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन में रखी अपनी समस्याएं

इस मौके पर उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ ने मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन नगर मजिस्टेट को दिया। अपने ज्ञापन में उन्होंने कहां है कि बेसिक मैं कार्य कर रहे 16 - 17 हजार शिक्षामित्रों का मानदेय अतिशीघ्र खाते में भिजवाया जाए। मानदेय ना मिलने के कारण पूरा परिवार भुखमरी की कगार पर है। उन्होंने कहा कि शिक्षामित्र 1999 से कार्यरत है। एनसीटीई के पैरा 4 में संशोधन कर टीईटी से छूट दिलाई जाए। भारत सरकार द्वारा विगत 9 अगस्त 17 को न्यूनतम मानदेय निर्धारित किया गया है। जिससे हमारे शिक्षक बनने तक लागू रखा जाए। विकल्प के रूप में उन्हें उनके मूल विद्यालय में प्रत्य स्थापित किया जाए। उन्होंने कहा कि विगत 17 वर्षों से वह लगातार शिक्षण कार्य के साथ शासन द्वारा दिए जा रहे अन्य कार्यों मैं भी सहयोग कर रहे हैं। इसके बाद भी भाजपा सरकार उनके लोगों के साथ भेदभाव कर रही। उन्होंने शिक्षकों का सम्मान वापस दिलाने की मांग। इस मौके पर कुलदीप शुक्ला, दीप नारायण त्रिपाठी, अश्विनी कुमार, अनिल रावत, भीम शंकर, चंद्रेश कुमार, रीता कुशवाहा, सन्नो तिवारी, रजनी पाल सहित काफी संख्या में शिक्षक मौजूद थे
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