इलाहाबाद : कौशांबी के डायट में फर्जी मार्कशीट के आधार पर बीटीसी हो
जाता है। उसके बाद शिक्षक भर्ती के समय अंक पत्र बदल नौकरी हथिया ली जाती
है। यह खेल जिले की डायट सहित प्रदेश के कई डायट में वहां के बाबुओं और
अफसरों की मिलीभगत से चल रहा है।
अब शिक्षक भर्ती शुरू हुई तो कुछ
प्रशिक्षुओं ने पोल खोल दी है। उन्होंने अपने सूत्र से 18 ऐसे अभ्यर्थियों
के नाम डीएम और बीएसए को बताए हैं। जो फर्जी अंक पत्र पर प्रशिक्षण अब
शिक्षक बनने की तैयारी में हैं। डायट प्राचार्य व बेसिक शिक्षा अधिकारी ने
जांच शुरू कर दी है।
पिछले करीब दो दशकों से शिक्षक भर्ती में खेल चल रहा है। कई बार जांच
हुई लेकिन यह सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। शिक्षा विभाग के
अधिकारियों से लेकर बाबुओं की मिलीभगत के चलते आयोग्य लोग शिक्षक बन रहे
हैं। अब शिक्षक भर्ती में फर्जीवाड़ा का एक मामला और प्रकाश में आया है।
दरअसल प्राइमरी स्कूलों में शिक्षक बनने के लिए बीटीसी अनिवार्य कर दिया
गया है। बीटीसी में प्रवेश मेरिट के आधार किया जा रहा है। पिछले सालों में
बीटीसी में प्रवेश के लिए जिन लोगों के नंबर कम थे, वह फर्जी अंकपत्र लगा
दिए और प्रवेश ले लिया। वहां पर बाबुओं और अफसरों से मिलीभगत के चलते
प्रमाण पत्रों की जांच नहीं हुई और उन लोगों ने बीटीसी पूरी कर ली। ऐसा खेल
केवल कौशांबी के डायट में नहीं, जिले के कई डायट में हुआ है। वहां से
डिग्री मिलने के बाद अब वह शिक्षक बनने की तैयारी में है। प्रदेश सरकार ने
अब 12460 शिक्षकों की भर्ती निकाली है।
समिति गठित कर मामले की जांच का निर्देश
ऐसे में फर्जी प्रमाण पत्रों से बीटीसी करने वाले भी शिक्षक भर्ती की
लाइन में लग गए हैं। इन लोगों की वजह योग्य अभ्यर्थी पिछड़ रहे हैं। डीएम ने
छात्रों की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए डायट प्राचार्य व बेसिक शिक्षा
अधिकारी के नेतृत्व में एक समिति गठित कर मामले की जांच के निर्देश दिया
है।
जांच के बाद ही कट ऑफ जारी करने की मांग
डायट प्रशिक्षुओं ने जिलाधिकारी से मांग की है पहले फर्जी तरीके से
प्रशिक्षण लेने वाले छात्रों की जांच की जाए। इसके बाद 12460 शिक्षक भर्ती
की कट ऑफ मेरिट जारी कर शिक्षकों की भर्ती की जाए। प्रशिक्षुओं की मांग है
कि फर्जी तरीके से प्रशिक्षण लेने वालों के नाम नहीं हटाया गया तो अयोग्य
वालों का चयन शिक्षक पद पर हो जाएगा।
डायट का माफिया गठजोड़ हुआ उजागर
डायट पर शिक्षक माफिया हावी हैं। वर्ष 2013 में एक सूचना के आधार पर
मंझनपुर कोतवाली पुलिस ने छापामारी कर करीब तीन दर्जन फर्जी अंक पत्र बरामद
किए थे। इस मामले को लेकर पुलिस की ओर से अज्ञात शिक्षा माफिया सहित डायट
के एक लिपिक के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज कराया गया था, लेकिन अब तक इस मामले
की जांच अधर में लटकी है। लिपिक का गैर जनपद स्थानांतरण भी हो गया था,
लेकिन कुछ दिनों बाद लिपिक ने अपने प्रभाव का प्रयोग करते हुए जिले में
दोबारा तैनाती पा ली। उसके बाद से यह खेल दोबारा शुरू हो गया।
कहते हैं डायट प्राचार्य
शिक्षक भर्ती के लिए आवेदन करने वाले सभी छात्रों के अंक प्रमाण पत्रों
की जांच की जा रही है। शुक्रवार तक जांच पूरी हो जाएंगी। कुछ लोगों के
संदिग्ध मिलने की संभावना है। जांच पूरी होने के बाद ही किसी का नाम
सार्वजनिक किया जाएगा।
- अशोक कुमार, प्राचार्य डायट, कौशांबी
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