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वार्ता के लिए नहीं आईं बीएसए तो शिक्षामित्र धरने पर बैठे

जिले भर के करीब तीन हजार शिक्षामित्रों को उनके मूल तैनाती वाले विद्यालयों में जबरदस्ती भेजने की कोशिश की जा रही है। इसमें सुधार के लिए शिक्षामित्र काफी समय से मांग कर रहे हैं लेकिन बीएसए की तरफ से इसमें कोई संशोधन नहीं किया जा रहा।
बृहस्पतिवार को शिक्षामित्र इस मामले को लेकर बीएसए तनुजा त्रिपाठी से वार्ता करने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन उनके न आने से गुस्साए शिक्षामित्र बीएसए कार्यालय में हंगामा करते हुए धरने पर बैठ गए। शिक्षामित्रों ने शुक्रवार को बीएसए का घेराव कर प्रदर्शन करने की घोषणा की है।
शिक्षामित्रों के सहायक अध्यापक बनने का आदेश निरस्त होने के बाद हाल में शासन से आदेश जारी हुआ है कि उन्हें उनके मूल तैनाती वाले विद्यालयों में स्थानांतरित कर दिया जाए। स्पष्ट है कि इसमें शिक्षामित्रों को उनकी स्वेच्छा के आधार पर ही मूल विद्यालयों में स्थानांतरित किया जाए, जबकि तमाम शिक्षामित्रों का कहना है कि उनकी मर्जी के बगैर ही उन्हें मूल स्कूलों में भेजने के आदेश जारी कर दिए गए हैं। इससे शासनादेश का उल्लंघन हो रहा है।
वहीं शिक्षामित्रों का कहना है कि वे इसका कई दिनों से विरोध कर रहे हैं, लेकिन इसमें कोई संशोधन नहीं हुआ है। समायोजित शिक्षामित्र शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष केपी सिंह के नेतृत्व में तमाम शिक्षामित्र बृहस्पतिवार को बीएसए कार्यालय पहुंचे और बीएसए तनुजा त्रिपाठी से बात करने की कोशिश की।
उन्होंने शिक्षामित्रों से शाम को वार्ता करने की बात कही, लेकिन जब वह नहीं आईं तो गुस्साए शिक्षामित्रों ने हंगामा किया और धरने पर बैठ गए। जिलाध्यक्ष केपी सिंह ने बताया ने शुक्रवार को जिलेभर के शिक्षामित्र बीएसए दफ्तर में पहुंचकर प्रदर्शन करेंगे।

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