यूपी-बिहार में आसान है स्कूल चलाना, दिल्ली में नहीं मिलती जमीन: मनीष सिसोदिया

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था देश के अन्य राज्यों से पहले से बेहतर है. इस लिहाज से दिल्ली का शिक्षामंत्री बनना और राज्यों से कम चुनौती भरा है. बावजूद इसके केजरीवाल सरकार इसमें सुधार की बात कहती रहती है.

दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया से इस संबंध में एक सम्मेलन के दौरान पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मौजूदा चुनौतियों में स्कूलों की परीक्षा पद्धति में बड़ा बदलाव करने की जरूरत है. स्कूलों में लागू परीक्षा पद्धति छात्रों का उचित आकलन करने में सक्षम नहीं है.    

दिल्ली में जमीन मिलना चुनौती
सिसोदिया ने कहा कि, दिल्ली में स्कूल और कॉलेज खोलने में जमीन मिलना बड़ी चुनौती है, जबकि यूपी-बिहार में राज्य सरकार के पास ये चुनौती नहीं है. दिल्ली में नए स्कूल खोलने के लिए दिल्ली सरकार को जमीन नहीं मिलती है. एक स्कूल की इजाजत के लिए केंद्र सरकार के आदेश का इंतजार करना पड़ता है. जमीन की ऐसी चुनौती यूपी-बिहार जैसे राज्यों में नहीं है.

दिल्ली के स्कूलों में एस्टेट मैनेजर
सिसोदिया ने कहा कि शिक्षा मंत्री बनने के बाद उन्हें दिल्ली में शिक्षा की चुनौतियों को नए सिरे से समझने का मौका मिला. क्लासरूम में एक क्लास में सौ से अधिक बच्चों का बैठना, गंदगी से आसपास का बुरा हाल, ऐसी स्थिति में यहां स्कूलों में पढ़ाई का माहौल नहीं था.

इस चुनौती को दूर करने के लिए आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के स्कूलों में एस्टेट मैनेजर नियुक्त करने का प्रावधान किया. ताकि प्रिंसिपल समेत सभी शिक्षक सिर्फ बच्चों की पढ़ाई पर अपना ध्यान केंद्रित कर सकें.

परीक्षा पद्धति में बदलाव की जरुरत
बीते वर्षों में अपने कार्यकाल की उपलब्धियां गिनाते हुए मनीष सिसोदिया ने कहा कि सरकार बनने के बाद स्कूली शिक्षा को मजबूत करने के रास्ते में दो अहम चुनौतियों का सामना करना पड़ा. पहला शिक्षा को शिक्षा के तौर पर लेने की जरूरत है. स्कूल की परीक्षा पद्धति पर सिसोदिया ने कहा, ये ठीक नहीं है. बिना पढ़ाए हम पास करते जा रहे हैं, या यो परीक्षा इतना कठिन लेंगे कि बच्चों के पास रटने के सिवाए और कोई विकल्प नहीं रहता है.

कंटेंट पर काम कर रही सरकार
शिक्षक बच्चों को पिछले पांच वर्षों में आए सवालों का जवाब तैयार करा देते हैं, वहीं पेपर सेट करने वालों का भी रूझान बच्चों के ज्ञान का आकलन करने की जगह उनकी रटने की क्षमता पर केंद्रित है. आप सरकार ने इसे भी सुधारने की कोशिश की. शिक्षकों को कैसे प्रशिक्षण दिया जाए ये सरकार ने वो भी किया. अब सरकार ने कंटेंट पर काम शुरू किया है.