लखनऊ : इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने प्राथमिक शिक्षकों को बूथ
लेवल अधिकारी (बीएलओ) का दायित्व दिए जाने पर रोक लगा दी है। प्राइमरी
शिक्षकों की ओर से इस संबंध में जारी किए गए राज्य सरकार के आदेश को चुनौती
दी गई थी।
उक्त आदेशों में शिक्षकों को मतदाता सूची के पुनरीक्षण का दायित्व सौंपा
गया है।1यह आदेश जस्टिस इरशाद अली की बेंच ने रचना पांडेय व अन्य की ओर से
दाखिल याचिका पर पारित किया। याचियों की ओर से नि:शुल्क व अनिवार्य शिक्षा
के प्रति बच्चों का अधिकार अधिनियम की धारा- 27 व वर्ष 2011 के नियम 21(3)
का हवाला देते हुए तर्क दिया गया था कि इन प्रावधानों में स्पष्ट है कि दस
वर्षीय जनगणना, आपदा राहत कर्तव्य व स्थानीय निकाय, विधानसभा और लोकसभा
चुनावों के अतिरिक्त किसी अन्य गैर-शिक्षण कार्य की जिम्मेदारी शिक्षकों को
नहीं दी जाएगी। याचियों की ओर से यह भी दलील दी गई कि मतदाता सूची के
पुनरीक्षण के कार्य को चुनाव संबंधी कार्य भी नहीं कहा जा सकता, क्योंकि
किसी भी चुनाव की फिलहाल अधिसूचना जारी नहीं की गई है। इस पर कोर्ट ने
फिलहाल याचियों को बीएलओ की जिम्मेदारी दिए जाने पर रोक लगा दी। कोर्ट ने
मामले पर विचार की आवश्यकता पाते हुए, सरकार को जवाब के लिए तीन सप्ताह का
समय दिया है।
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