इलाहाबाद : एपीएस यानि अपर निजी सचिव भर्ती 2010 में व्यापक रूप से गड़बड़ी
की शिकायतें यूं ही नहीं की गईं। इसमें चहेतों की नौकरी पक्की कराने के
लिए नियमों को दरकिनार कर मनमानी के गंभीर आरोप हैं तो अब भर्ती में
रिश्वतखोरी की भी शिकायतें सीबीआइ से हुई हैं।
सीबीआइ को जांच शुरू करने से
पहले ही जो साक्ष्य मिले हैं उनमें कई लोगों के पर्सनल बैंक एकाउंट नंबर
तक उपलब्ध कराए गए हैं। इसमें कितनी सच्चाई है, पैसों के ट्रांजेक्शन बतौर
रिश्वत ही हुए, इसकी पुष्टि होना बाकी है। प्रदेश सरकार ने अपर निजी सचिव
भर्ती 2010 की सीबीआइ जांच के लिए 12 सितंबर को सिफारिश की है। लेकिन,
सीबीआइ की तरफ से अभी इस पर मुकदमा दर्ज नहीं कराया गया है। उप्र लोकसेवा
आयोग यानि यूपीपीएससी ने एपीएस के 250 पदों (उप्र सचिवालय) पर चयन के लिए
भर्ती प्रक्रिया कराई थी जिसमें तीन अक्टूबर 2017 को 249 पदों का परिणाम
आया था। जांच अधिकारियों को सुविधा शुल्क का लेनदेन की शिकायतें साक्ष्य
समेत दी। इनमें यूपीपीएससी में कार्यरत कुछ लोगों और बिचौलियों के पर्सनल
बैंक एकाउंट से हुए ट्रांजेक्शन तक का विवरण उपलब्ध कराया गया है।
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