सुप्रीम कोर्ट ने टेट 2017 के अभ्यर्थियों राहत, गतिमान 68500 शिक्षक भर्ती में फेरबदल होना तय
टेट 2017 मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट डबल बेंच के फैसले
को निरस्त करते हुए असफल अभ्यर्थियों के मामले पर दुबारा विचार करने को कहा
है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 41 हजार शिक्षकों की नियुक्तियों में
फेरबदल के आसार है.
सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता आरके सिंह ने बताया कि यूपी शिक्षक भर्ती से
जुड़े टीईटी परीक्षा 2017 में खामियों के मामले में असफल अभ्यर्थियों को
सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के
डिवीजन बेंच के आदेश को निरस्त कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट से
असफल अभ्यर्थियों के मामले पर दुबारा विचार करने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट
के आदेश के बाद 41 हजार शिक्षकों की नियुक्तियों में फेरबदल के आसार है.
पुष्पलता पटेल की याचिका के लिए पैरवीकार रिज़वान अंसारी, ने हाई कोर्ट से
लेकर सुप्रीम कोर्ट तक पैरवी की। उनका कहना है कि हमे आखिर में सुप्रीम
कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। आज तीन जजों की बेंच थी जिसमें अब्दुल नजीर, मदन
बी.लोकुर व दीपक गुप्ता जज थे।
दरअसल, साल 2017 में 41 हजार शिक्षकों के पद के लिए यूपी में टीईटी परीक्षा
हुई थी, इस परीक्षा के प्रश्न पत्र में 14 गलत प्रश्न आ गए थे.
अभ्यर्थियों का आरोप है कि इसके चलते उनकी मैरिट नहीं आ पाई. हाईकोर्ट की
सिंगल बेंच ने परीक्षा में गलत प्रश्न के लिए राज्य सरकार को 14 अंक घटाने
को कहा था, लेकिन राज्य सरकार हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच चली गई और डिवीजन
बेंच ने सिंगल बेंच के आदेश को रद्द कर दिया. असफल अभ्यर्थियों की तरफ से
सुप्रीम कोर्ट के वकील आरके सिंह और वरिष्ठ अधिवक्ता वी शेखर ने राहत के
लिए बहस की।
अधिवक्ता आरके सिंह ने बताया कि हाई कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया था कि 14
गलत प्रश्नों के नंबर हटाकर फिर से टीईटी-2017 का परिणाम घोषित किया जाए.
एक माह में यह प्रक्रिया पूरी की जाए, उसके बाद ही सहायक शिक्षक भर्ती
परीक्षा करवाई जाए. कोर्ट ने कहा कि 15 अक्टूबर-2017 को करवाई गई टीईटी में
नैशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (एनसीटीई) के नियमों का पालन नहीं किया
गया. कोर्ट ने पाया कि टीईटी में 8 प्रश्न गलत थे. संस्कृत भाषा के दो
प्रश्नों के विकल्प गलत थे. चार प्रश्न पाठ्यक्रम के बाहर से थे और
लैंग्वेज के पेपर में उचित नंबर के प्रश्न नहीं थे.
ये आदेश टीईटी-2017 को चुनौती देने वाली 317 से अधिक रिट याचिकाओं पर फैसला
सुनाते हुए पारित किया गया था. याचिकाओं में कहा गया था कि परीक्षा
एनसीटीई के दिशा-निर्देशों के तहत नहीं करवाई गई. परीक्षा नियंत्रक
प्राधिकरण के सचिव ने 24 दिसम्बर 2014 को शासनादेश जारी किया था. शासनादेश
के तहत जो पाठयक्रम तय किया गया था कई प्रश्न उससे बाहर से पूछे गए. कुछ
प्रश्न गलत थे, तो कई के विकल्प गड़बड़ थे, इन्हीं गड़बड़ियों की वजह से
याचियों ने टीईटी-2017 रद्द करने की मांग की थी।