*69000 शिक्षक भर्ती उत्तीर्ण अंक: जजमेंट विशेष*
सर्वप्रथम 07 जनवरी के शासनादेश को अवैध करवाने वाले सभी सहयोगियों को टीम रिज़वान अंसारी की तरफ से हृदय से आभार। टीम इस न्यायायिक न्याय का तहे दिल से इस्तकबाल करती है।
मा0 कोर्ट ने अपने 148 पेज के जजमेंट में वो सभी दलीलें उल्लेखित की हैं जिनको हम सोचा करते थे।
जजमेंट पढ़ने के बाद ये साफ समझ मे आता है कि कोर्ट की किसी से कोई दुश्मनी नही है। कोर्ट ने पूरे जजमेंट में वही भूमिकाएं लिखी हैं जो न्यायोचित और नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत के अनुकूल थी। अब इसमे कोई कोर्ट को
Secretary, Examination Regulatory Authority (E.R.A.) to declare the
result of Assistant Teacher Recruitment Examination-2019 in terms of
Government Order dated 1.12.2018 and also notification /
Advertisement dated 5.12.2018, ignoring the Government Order dated
7.1.2019, in the same manner as the earlier result of Assistant Teacher
Recruitment Examination-2018 was declared so far as the minimum
qualifying marks are concerned. ```
मतलब साफ है कि कोर्ट को 07 जनवरी के G O में कहीं भी ऐसा बिंदु समझ नही आया कि कोर्ट इसे Allow करती। बस इसीलिए कोर्ट ने 40 और 45% के G O को Allow करके उसके इम्प्लीमेंटेशन का आदेश पारित कर दिया।
ये तो रही बात पासिंग मार्क की। यदि आप पूरा जजमेंट पढ़ेंगे तो कई जगह बीएड अभ्यर्थियों को शामिल करने पर आपत्ति जताई है। जजमेंट में ये साफ साफ निर्देशित है कि इस भर्ती में बीएड पात्र ही नही है। 28 जून के NCTE के नोटिफिकेशन के गलत इंटरप्रिटेशन के कारण बीएड को जबरदस्ती अंदर किया गया है।चूंकि बीएड के खिलाफ इस बंच पिटीशन में कोई याचिका नही थी और न ही किसी पार्टी ने रिटीन सबमिशन फ़ाइल किया जो हुआ सिर्फ मौखिक हुआ इसलिए कोर्ट बीएड को इससे बाहर नही कर सकी। खैर गलत तो गलत ही है आज नही तो कल गलत को तो बाहर होना ही पड़ेगा।
यदि सरकारी अमला इस जजमेंट का अनुपालन करेगी तो सोमवार तक रिजल्ट की विज्ञप्ति आ जायेगी। यदि सरकार को लगा कि जजमेंट में कुछ तथ्य उनके विरुद्ध हैं तो निश्चित ही सरकार के साथ साथ पीड़ित पार्टी डिवीजन बेंच का रुख अपनाएगी। लखनऊ से लेकर प्रयागराज तक स्पेशल अपील का बंडल सोमवार को डिवीजन बेंच में फ़ाइल होने को तैयार भी हो रहा है। लेकिन टीम ने इन 148 पन्नो में जीत की वो इबारत लिखवाई है जिसे टस से मस करवाना उतना ही कठिन है जितना संविधान के मौलिक अधिकारों से छेड़छाड़ करवाना। (1973 SCC Keshwanand Bharti vs State Of Kerala- SUPRA)
यदि फिर भी किसी ने उछल कूद मचाई तो टीम रिज़वान अंसारी अभी जिंदा है।
अपशब्द लिखे वो निहायत ही बेवकूफ व्यक्ति होगा। न्यायपालिका का सम्मान सर्वोपरि है। कोर्ट ने अपने अंतिम पैरा के सार में ऑपरेट किया कि ......```A writ in the nature of mandamus is issued directing the
भर्ती होने से पहले अभी बहुत से इशू क्लियर होने बाकी हैं। जब समस्त मुद्दे रेसॉल्व होंगे भर्ती होना तभी सम्भव है।
*मुद्दा:UPTET-2017* यूपीटेट 2017 का मुद्दा अभी बाकी ही है। मा0 सुप्रीम कोर्ट ने 26.10.18 को मा0 उच्च न्यायालय का वो जजमेंट रद्द कर दिया था जिस पर पूरी यूपीटेट-2017 परीक्षा का परिणाम निर्गत हुआ था। यूपीटेट-2017 की एक स्पेशल अपील-672/2018 SHRI KANT SHARMA और रिट-119/2019 SANDHYA VERMA के साथ 02 अन्य रिट्स मा0 जस्टिस राजेश चौहान की ही बेंच में पेंडिंग है। मा0 जस्टिस राजेश चौहान ने ही यूपीटेट-2017 के याचीयों को ATRE-2019 की परीक्षा में बिठाया था तो अब यही जज बिना उनके निपटारे के भर्ती क्यों होने देंगे? इसलिए बेहतर यही है कि जब तक सारे मुद्दे निस्तारित न हो जाएं,भर्ती नही हो सकती। गरियाना और मिठाई बाटना बहुत आसान है लेकिन सच्चाई का सामना करना बहुत कठिन है।
*इसलिए मगन रहिए,मस्त रहिए। ये यूपी है जनाब,यहाँ कोई काम कभी टाइम से नही होता।*
हम लवलेश शुक्ल एंड कम्पनी नही की झूठ बोल बोल कर अपने ही साथियों को बेवकूफ बनाते रहें। टीम रिज़वान अंसारी किसी भी पीड़ित पक्ष को दरकिनार नही होने देगी। विश्वास और धैर्य ही जीत का मूल मंत्र है।
*✍वैरागी*
®टीम रिज़वान अंसारी।।
(टेट सेवा समिति-उ0प्र0)
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सर्वप्रथम 07 जनवरी के शासनादेश को अवैध करवाने वाले सभी सहयोगियों को टीम रिज़वान अंसारी की तरफ से हृदय से आभार। टीम इस न्यायायिक न्याय का तहे दिल से इस्तकबाल करती है।
मा0 कोर्ट ने अपने 148 पेज के जजमेंट में वो सभी दलीलें उल्लेखित की हैं जिनको हम सोचा करते थे।
जजमेंट पढ़ने के बाद ये साफ समझ मे आता है कि कोर्ट की किसी से कोई दुश्मनी नही है। कोर्ट ने पूरे जजमेंट में वही भूमिकाएं लिखी हैं जो न्यायोचित और नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत के अनुकूल थी। अब इसमे कोई कोर्ट को
Secretary, Examination Regulatory Authority (E.R.A.) to declare the
result of Assistant Teacher Recruitment Examination-2019 in terms of
Government Order dated 1.12.2018 and also notification /
Advertisement dated 5.12.2018, ignoring the Government Order dated
7.1.2019, in the same manner as the earlier result of Assistant Teacher
Recruitment Examination-2018 was declared so far as the minimum
qualifying marks are concerned. ```
मतलब साफ है कि कोर्ट को 07 जनवरी के G O में कहीं भी ऐसा बिंदु समझ नही आया कि कोर्ट इसे Allow करती। बस इसीलिए कोर्ट ने 40 और 45% के G O को Allow करके उसके इम्प्लीमेंटेशन का आदेश पारित कर दिया।
ये तो रही बात पासिंग मार्क की। यदि आप पूरा जजमेंट पढ़ेंगे तो कई जगह बीएड अभ्यर्थियों को शामिल करने पर आपत्ति जताई है। जजमेंट में ये साफ साफ निर्देशित है कि इस भर्ती में बीएड पात्र ही नही है। 28 जून के NCTE के नोटिफिकेशन के गलत इंटरप्रिटेशन के कारण बीएड को जबरदस्ती अंदर किया गया है।चूंकि बीएड के खिलाफ इस बंच पिटीशन में कोई याचिका नही थी और न ही किसी पार्टी ने रिटीन सबमिशन फ़ाइल किया जो हुआ सिर्फ मौखिक हुआ इसलिए कोर्ट बीएड को इससे बाहर नही कर सकी। खैर गलत तो गलत ही है आज नही तो कल गलत को तो बाहर होना ही पड़ेगा।
यदि सरकारी अमला इस जजमेंट का अनुपालन करेगी तो सोमवार तक रिजल्ट की विज्ञप्ति आ जायेगी। यदि सरकार को लगा कि जजमेंट में कुछ तथ्य उनके विरुद्ध हैं तो निश्चित ही सरकार के साथ साथ पीड़ित पार्टी डिवीजन बेंच का रुख अपनाएगी। लखनऊ से लेकर प्रयागराज तक स्पेशल अपील का बंडल सोमवार को डिवीजन बेंच में फ़ाइल होने को तैयार भी हो रहा है। लेकिन टीम ने इन 148 पन्नो में जीत की वो इबारत लिखवाई है जिसे टस से मस करवाना उतना ही कठिन है जितना संविधान के मौलिक अधिकारों से छेड़छाड़ करवाना। (1973 SCC Keshwanand Bharti vs State Of Kerala- SUPRA)
यदि फिर भी किसी ने उछल कूद मचाई तो टीम रिज़वान अंसारी अभी जिंदा है।
अपशब्द लिखे वो निहायत ही बेवकूफ व्यक्ति होगा। न्यायपालिका का सम्मान सर्वोपरि है। कोर्ट ने अपने अंतिम पैरा के सार में ऑपरेट किया कि ......```A writ in the nature of mandamus is issued directing the
भर्ती होने से पहले अभी बहुत से इशू क्लियर होने बाकी हैं। जब समस्त मुद्दे रेसॉल्व होंगे भर्ती होना तभी सम्भव है।
*मुद्दा:UPTET-2017* यूपीटेट 2017 का मुद्दा अभी बाकी ही है। मा0 सुप्रीम कोर्ट ने 26.10.18 को मा0 उच्च न्यायालय का वो जजमेंट रद्द कर दिया था जिस पर पूरी यूपीटेट-2017 परीक्षा का परिणाम निर्गत हुआ था। यूपीटेट-2017 की एक स्पेशल अपील-672/2018 SHRI KANT SHARMA और रिट-119/2019 SANDHYA VERMA के साथ 02 अन्य रिट्स मा0 जस्टिस राजेश चौहान की ही बेंच में पेंडिंग है। मा0 जस्टिस राजेश चौहान ने ही यूपीटेट-2017 के याचीयों को ATRE-2019 की परीक्षा में बिठाया था तो अब यही जज बिना उनके निपटारे के भर्ती क्यों होने देंगे? इसलिए बेहतर यही है कि जब तक सारे मुद्दे निस्तारित न हो जाएं,भर्ती नही हो सकती। गरियाना और मिठाई बाटना बहुत आसान है लेकिन सच्चाई का सामना करना बहुत कठिन है।
*इसलिए मगन रहिए,मस्त रहिए। ये यूपी है जनाब,यहाँ कोई काम कभी टाइम से नही होता।*
हम लवलेश शुक्ल एंड कम्पनी नही की झूठ बोल बोल कर अपने ही साथियों को बेवकूफ बनाते रहें। टीम रिज़वान अंसारी किसी भी पीड़ित पक्ष को दरकिनार नही होने देगी। विश्वास और धैर्य ही जीत का मूल मंत्र है।
*✍वैरागी*
®टीम रिज़वान अंसारी।।
(टेट सेवा समिति-उ0प्र0)
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