उच्च न्यायालय ने दी शिक्षा मित्रों को बड़ी राहत , तीन माह के भीतर परिणाम घोषित कर भर्ती प्रकिया पूरी करने का आदेश

अदालत ने सरकार को आदेश दिया है कि एक दिसम्बर तथा पांच दिसम्बर 2018 को इस परीक्षा को कराने संबधी जारी शासनादेशों का अनुपालन किया जाये तथा सहायक शिक्षक भर्ती 2018 के अनुसार ही मेरिट बनाकर परिणाम घोषित किया जायें।
अदालत ने पहले 2019 की भर्ती का परिणाम घोषित करने पर अंतरिम रोक लगा रखी जिसे वापस लेते हुए सरकार को तीन माह के भीतर परिणाम घोषित कर भर्ती प्रकिया पूरी करने का आदेश दिया है।
    अदालत के इस आदेश से हजारों शिक्षा मित्रों को काफी राहत मिलेगी क्योंकि न्यूनतम अर्हता अंक तय होने से वे चयन की प्रकिया से वस्तुतः बाहर हो रहे थे और सुप्रीम कोर्ट द्वारा 25 जुलाई 2017 को दिया गया आदेश जिसके तहत अगली दो भर्तियों में 25 प्रतिशत वेटेज देने को कहा गया था, बेमानी साबित हो रहा था।

अपने आदेश में अदालत ने कहा कि उक्त शासनादेश शिक्षा मित्रों व गैर शिक्षा मित्र अभ्यर्थियों में विभेद करता है और मनमाना है अतः संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत ठहरने वाला नहीं है।

यह आदेश न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान की पीठ ने मोहम्मद रिजवान व अन्य समेत कुल 99 याचिकाओं को मंजूर करते हुए पारित किया। उक्त याचिकाओं में सचिव, बेसिक शिक्षा द्वारा जारी 7 जनवरी 2019 के शासनादेश को चुनौती दी गई थी। जिसमें 6 जनवरी 2019 को हुई लिखित परीक्षा के बाद अर्हता अंक 65 व 60 प्रतिशत कर दिया गया था। याचियों का कहना था कि लिखित परीक्षा होने के बाद अर्हता अंक घोषित करना, विधि के सिद्धांतों के विरुद्ध है।

याचियों का आरोप था कि शिक्षामित्रों को भर्ती से रोकने के लिये, सरकार ने पिछली परीक्षा की तुलना में इस बार अधिक अर्हता अंक घोषित कर दिये।

सरकार की ओर से 7 जनवरी के शासनादेश का बचाव करते हुए, कहा गया कि गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा के लिये उसके द्वारा यह निर्णय लिया गया है। यह भी तर्क दिया गया कि पिछली परीक्षा की तुलना में इस बार अधिक अभ्यर्थियों ने भाग लिया था, इसलिए भी अर्हता अंक बढाने पड़े।
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