69000 शिक्षक भर्ती प्रयागराज खंडपीठ स्पेशल अपील: GROUND & FACTS ✍🏼®टीम रिज़वान अंसारी

*प्रयागराज खंडपीठ स्पेशल अपील: GROUND & FACTS*

*✍🏼®टीम रिज़वान अंसारी*

सरकार ने 40/45 के विरुद्ध प्रयागराज में स्पेशल अपील तो दायर कर दी लेकिन उसके ग्राउंड बेहद कमजोर हैं। ग्राउंड देखने के बाद ऐसा लगता है कि सरकार खुद 40/45 पर भर्ती करना चाहती है।😁

*👁‍🗨एक नजर*
🛠सिंगल जज ने पासिंग मॉर्क तय करते समय 1981 सेवा नियमावली के रूल 2(1)(X) पर ध्यान ही नही दिया जबकि ये रूल सरकार को समय-समय पर पासिंग मॉर्क तय करने का अधिकार प्रदान करती है।अरे हम कहाँ कहते कि सरकार को अधिकार नही है। सरकार ये भी तो बताए कि पहले अधिकार है या बाद में।😁
इसलिए सिंगल जज को पासिंग मॉर्क तय करने का राइट ही नही है। *इस रूल को लखनऊ में फायर ब्रांड एडवोकेट उपेंद्र नाथ मिश्रा ने पहले ही डिफाइन कर दिया है।* इसलिए सरकार का ये तर्क व्यर्थ है।

🛠सरकार ने कहा कि ये नियम पूर्व निर्धारित है कि कोई परीक्षार्थी चयन प्रक्रिया में हिस्सा लेने के बाद उस चयन प्रक्रिया को चेलेंज ही नही कर सकता।😁
*लेकिन उस नियम को नही बताया जिसमे ये बात उदधृत है।* बेहद ही बचकानी ड्राफ्टिंग प्रतीत होती।

🛠सरकार ने लिखा कि ATRE-2018 के पासिंग मॉर्क को सिंगल जज ATRE-2019 में कैसे लागू कर सकती है। जबकि सरकार को दोनों परीक्षाओं में अलग अलग पासिंग मॉर्क तय करने का अधिकार है।😁

🛠सरकार ने 60/65 का मिनिमम पासिंग मॉर्क 69000 के सापेक्ष 4 लाख से अधिक परीक्षार्थियों के दृष्टिगत निर्धारित किया था। सिंगल जज ने इस तथ्य को बिना देखे फैसला पारित कर दिया।😁

🛠सिंगल जज ने 03 अप्रैल के जजमेंट में पासिंग मॉर्क निर्धारित तो कर दिया लेकिन कहीं ये नही बताया कि पासिंग मॉर्क तय करने का कोर्ट ने क्या तरीका अपनाया है। कोर्ट ने बिना किसी मेरिट के ही इस केस को निस्तारित कर दिया। इस केस को लखनऊ खंडपीठ में आये SERS-1188/19,MOHD.RIZWAN & Others के जजमेंट के सापेक्ष ही निस्तारित कर दिया। *जब कोर्ट पहले ही कह चुकी थी की मैटर सिमिलर है तो जो लखनऊ में जजमेंट होगा वही प्रयागराज में होगा। फिर इस तर्क का कोई औचित्य ही नहीं।*😁


🛠सरकार ने लिखा है कि 29 मई को लखनऊ पीठ ने अंतरिम आदेश में सरकार को आंसर की जारी करने की लिबर्टी दी है। चूंकि मैटर सिमिलर है इसलिए सरकार को प्रोटेक्ट करते हुए ही प्रयागराज में भी सरकार को अंतरिम राहत दी जाए।😁

*Conclusion:*
 SLP के ग्राउंड देखने के बाद परिलक्षित होता है कि सरकार खुद कंफ्यूज़ है कि वो 60/65 को कैसे बचाये। 60/65 को बचाने के लिए सरकार ने कोई भी तर्क संगत साक्ष्य या जजमेंट अनुलग्नक नही किये है। पूरी याचिका में सिर्फ दया की भीख मांगी है। लखनऊ खंडपीठ के 148 पेज के जजमेंट में फायर ब्रांड सीनियर एडवोकेट उपेंद्र नाथ मिश्र के तर्कों और सबमिशन पर नजर दौड़ाने के बाद सरकार के सारे ग्राउंड स्वतः ही खारिज होते हुए प्रतीत होते हैं। मा0 जस्टिस चौहान साहब के जजमेंट ने ऐसा बेंचमार्क डिफाइन किया है जिसे तोड़ना या मोड़ना मुश्किल ही है।इनके सारे ग्राउंड्स एंड facts को तोड़ने के लिए 148 पेज का जजमेंट ही पर्याप्त है। बाकी साक्ष्यों और सबूतों के लिए टीम हमेशा तैयार खड़ी है। *जब तक टीम रिज़वान अंसारी मैदान में डटी है तब तक किसी को चिंतित होने की कतई आवश्यकता नही हैं।* हम लड़ रहे थे,लड़ते रहेंगे। क्योंकि टीम को पता है......
*★हारा वही,जो लड़ा नहीं।।*

®टीम रिज़वान अंसारी।।
(टेट सेवा समिति-उ0प्र0)
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