लखनऊ. इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में
69000 सहायक अध्यापक भर्ती (69000 Assistant Teachers Recruitment) में
टीईटी पास आरक्षित श्रेणी (Reserved Catagory) के अभ्यर्थियों को सामान्य
वर्ग (General Category) में समायोजित करने के 25 मार्च 94 के शासनादेश की
वैधता की चुनौती याचिका दाखिल की गई है. मामले में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार
से एक माह में जवाब मांगा है. याचिका की सुनवाई 6 सप्ताह बाद होगी. यह
आदेश न्यायमूर्ति पंकज मित्तल और न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने
अजीत कुमार और 35 अन्य की याचिका पर दिया है.
इन छूट को चुनौती
याचिका में 69 हजार सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा, 2019 में NCTE और राज्य सरकार द्वारा TET पात्रता के लिए 5% की छूट, ARTE परीक्षा में पुनः 5% की छूट तथा उत्तर प्रदेश आरक्षण नियमावली 1994 की धारा 3(6) एवं शासनादेश 25-मार्च 1994 द्वारा आरक्षित वर्ग को आयु की छूट देने की संवैधानिकता को चुनौती दी गई है.
सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों के अवसर कम होंगे: याची
याची अधिवक्ता आलोक मिश्र का कहना है कि अनारक्षित वर्ग में सभी वर्ग समाहित हैं. ऐसे में आरक्षित वर्ग के व्यक्ति को सामान्य वर्ग में समायोजित करने से सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों के अवसर कम होंगे. जो सुप्रीम कोर्ट के आरक्षण नियमों का उल्लंघन होगा. याची का कहना है कि आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को आरक्षित पदों पर चयनित होने का अधिकार है. आयु सहित तमाम छूट का लाभ लेकर चयनित अभ्यर्थियों को सामान्य वर्ग में समायोजित करना स्थापित विधि, व्यवस्था के विपरीत होगा.
इन छूट को चुनौती
याचिका में 69 हजार सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा, 2019 में NCTE और राज्य सरकार द्वारा TET पात्रता के लिए 5% की छूट, ARTE परीक्षा में पुनः 5% की छूट तथा उत्तर प्रदेश आरक्षण नियमावली 1994 की धारा 3(6) एवं शासनादेश 25-मार्च 1994 द्वारा आरक्षित वर्ग को आयु की छूट देने की संवैधानिकता को चुनौती दी गई है.
सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों के अवसर कम होंगे: याची
याची अधिवक्ता आलोक मिश्र का कहना है कि अनारक्षित वर्ग में सभी वर्ग समाहित हैं. ऐसे में आरक्षित वर्ग के व्यक्ति को सामान्य वर्ग में समायोजित करने से सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों के अवसर कम होंगे. जो सुप्रीम कोर्ट के आरक्षण नियमों का उल्लंघन होगा. याची का कहना है कि आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को आरक्षित पदों पर चयनित होने का अधिकार है. आयु सहित तमाम छूट का लाभ लेकर चयनित अभ्यर्थियों को सामान्य वर्ग में समायोजित करना स्थापित विधि, व्यवस्था के विपरीत होगा.