69 हजार शिक्षकों की भर्ती के मामले में हाई कोर्ट के फैसले को दी गई थी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
नई दिल्ली। यूपी सहायक शिक्षक मामले शिक्षा मित्रों को झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने बढ़े हुए कट ऑफ की अनुमति दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील खारिज कर दिया है।
कोर्ट ने यूपी सरकार के इस वक्तव्य को रिकॉर्ड पर लिया कि नए कट ऑफ की वजह से नौकरी से वंचित रह गए शिक्षा मित्रों को अगले साल एक और मौका दिया जाएगा। यूपी में अब सभी पदों को भरने का रास्ता साफ हो गया है। पिछले 24 जुलाई को कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।उत्तरप्रदेश प्राथमिक शिक्षा मित्र एसोसिएशन ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर किया था। सुनवाई के दौरान शिक्षामित्रों की ओर से वकील राजीव धवन ने कहा था कि परीक्षा को लेकर जो भी संशोधन किया गया है वो सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन है। उन्होंने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश में साफ लिखा है कि अगर किसी अभ्यर्थी ने परीक्षा पास किया है तो उसे उसका लाभ मिलेगा। यूपी सरकार की ओर से एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने कहा था कि शिक्षामित्र मात्र सहायक अध्यापकों के सहयोगी के रुप में रखे जा रहे हैं। वे सिर्फ अनुबंध पर नियुक्त हैं। उन्होंने कहा था कि अभ्यर्थियों की संख्या बढ़ने से कटऑफ भी बढ़ेगा।
पिछले 6 मई को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने 69 हजार शिक्षकों की भर्ती के मामले में फैसला सुनाते हुए प्रदेश सरकार के कटऑफ बढ़ाने के फैसले को सही बताया था। हाईकोर्ट ने इस भर्ती प्रक्रिया को तीन महीने के अंदर पूरा करने का आदेश दिया था।
दरअसल 2019 में यूपी में शिक्षक भर्ती परीक्षा आयोजित की गई थी। इस परीक्षा के बाद राज्य सरकार ने भर्ती के लिए सामान्य वर्ग के लिए 65 फीसदी और आरक्षित वर्ग के लिए 60 फीसदी कट ऑफ अंक तय किया था। सरकार के इस फैसले को शिक्षा मित्रों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। शिक्षा मित्रों ने सामान्य वर्ग के लिए 45 फीसदी और आरक्षित वर्ग के लिए 40 फीसदी अंक का कटऑफ तय करने की मांग की थी। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के फैसले को सही बताया था।
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