प्रयागराज : एडेड माध्यमिक कालेजों के नवनियुक्त शिक्षकों को अपना वेतन पाने के लिए अभिलेख सत्यापन का शुल्क अदा करना होगा। जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय में अभिलेख सत्यापन मद में धन न होने से सत्यापन का कार्य महीनों से लटका है। इस कारण वेतन न मिलने से प्रदेश भर के डेढ़ हजार से अधिक शिक्षक परेशान हैं। इसे देखते हुए शासन को पांच माह बाद अपना निर्णय बदलना पड़ा है, जिससे अब जल्द वेतन मिलने की उम्मीद जगी है।
उप्र माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड इधर लगातार एडेड माध्यमिक कालेजों में प्रधानाचार्य, प्रवक्ता व प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक का चयन करके भेज रहा है। नियम है कि नवनियुक्त शिक्षकों को वेतन का भुगतान तब ही होगा, जब उनके शैक्षिक अभिलेखों का सत्यापन संबंधित संस्था से पूरा हो जाए। शासन ने 31 जुलाई 2020 को आदेश दिया था कि चयन बोर्ड से कालेज आवंटित होने के बाद उनके शैक्षिक अभिलेखों का जल्द सत्यापन कराया जाए। डीआइओएस पंजीकृत डाक के माध्यम से सत्यापन के लिए अभिलेख भेजेंगे और सत्यापन आख्या भी पंजीकृत डाक से प्राप्त होने पर मान्य होगी।
जिलों में करीब डेढ़ हजार से अधिक शिक्षकों को वेतन न मिलने पर शासन को 26 नवंबर व आठ दिसंबर, 2020 को प्रस्ताव दिया गया कि सत्यापन में विभिन्न विश्वविद्यालय निर्धारित शुल्क की मांग कर रहे हैं। जिलों में इसके भुगतान का कोई मद नहीं है, इसलिए सत्यापन व वेतन भुगतान नहीं हो पा रहा है। इस पर विशेष सचिव जयशंकर दुबे ने सत्यापन शुल्क लेने वाले विश्वविद्यालयों या संस्थाओं को इसकी अदायगी का जिम्मा प्रधानाचार्यो को सौंपे जाने के निर्देश दिए हैं।
कहा गया कि शिक्षकों से शुल्क लेकर प्रधानाचार्य इसे आनलाइन या आफलाइन भेजें और भुगतान प्राप्ति की रसीद जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय में उपलब्ध कराएं। डीआइओएस उस रसीद के माध्यम से संबंधित विश्वविद्यालय या संस्था से जल्द सत्यापन कराएंगे, ताकि वेतन भुगतान शुरू हो। इसमें किसी शिक्षक से नकद राशि नहीं ली जाएगी। माध्यमिक शिक्षक संघ ठकुराई गुट के प्रांतीय महामंत्री लालमणि द्विवेदी का कहना है कि छह माह बाद शिक्षकों की सुधि ली गई है, वेतन न मिलने से शिक्षक बेहद परेशान हैं।