प्रयागराज : उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग की 2012 से 2016 तक की भर्ती परीक्षाओं की जांच कर रही सीबीआइ की कार्रवाई अचानक तेज हो गई है। गो¨वदपुर सिंचाई विभाग कालोनी स्थित सीबीआइ के कैंप
कार्यालय में अपर निजी सचिव (एपीएस)-2010 के करीब 12 चयनित अभ्यर्थियों को शनिवार को तलब किया गया। अलग-अलग कार्यालयों में कार्यरत चयनित अभ्यर्थियों से घंटों पूछताछ हुई। इसके अलावा सीबीआइ की चार सदस्यीय दूसरी टीम देर शाम तक आयोग में डटी रही। यहां एपीएस-2010 के अलावा आरओ-एआरओ-2013, लोवर-2013, उत्तर प्रदेश प्रांतीय न्यायिक सेवा-2014 तथा मेडिकल अफसर परीक्षा-2014 की भर्तियों में हुई गड़बड़ी को पकड़ने के लिए दस्तावेजों की छानबीन की गई।योगी सरकार ने 20 जुलाई, 2017 को उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग की 2012 से 2016 तक की समस्त भर्ती परीक्षाओं व परिणामों की जांच सीबीआइ से कराने की घोषणा की थी। केंद्र सरकार ने 21 नवंबर, 2017 को इसकी अधिसूचना जारी कर दी थी। इसके तहत सीबीआइ को करीब 598 भर्ती परीक्षाओं व परिणामों की जांच करनी है। इसमें लगभग 40 हजार चयनित प्रभावित हो रहे हैं। सीबीआइ ने पांच मई, 2018 को पीसीएस-2015 को लेकर अज्ञात के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई थी। फरवरी, 2019 में एपीएस-2010 भर्ती में पीई (प्राथमिक जांच) दर्ज कराई गई। इसके बाद जुलाई 2020 में आरओ-एआरओ-2013, लोवर-2013 व उत्तर प्रदेश प्रांतीय न्यायिक सेवा-2014, मेडिकल अफसर परीक्षा-2014 में भी पीई दर्ज की गई। सीबीआइ जांच की पैरवी करने वाले प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के अध्यक्ष अवनीश पांडेय ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका भी दाखिल कर रखी है। इधर, छह अगस्त को एपीएस-2010 भर्ती में धांधली के आरोप में सीबीआइ ने दिल्ली में तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक व आइएएस अधिकारी प्रभुनाथ के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, साजिश के तहत ठगी और फर्जीवाड़ा की धाराओं में एफआइआर दर्ज करके जांच तेज कर दी है।
कंप्यूटर में दर्ज ब्योरे की जांच
सीबीआइ की टीम ने लोकसेवा आयोग में एपीएस-2010, उत्तर प्रदेश प्रांतीय न्यायिक सेवा-2014 तथा मेडिकल अफसर परीक्षा-2014 आदि भर्तियों को लेकर कंप्यूटर में दर्ज ब्योरे की पड़ताल की। इसके अलावा अभ्यर्थियों की कापियां निकाल कर नंबरों का मिलान किया गया। प्रमाण पत्रों व मार्कशीट की भी जांच की गई।