दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय (डीडीयू) के शिक्षकों, अधिकारियों एवं कर्मचारियों के लिए अलर्ट करने वाले खबर है। विवि प्रशासन ने शिक्षकों , अधिकारियों और कर्मचारियों के सोशल मीडिया पर विवि से जुड़े विचार व्यक्त करने पर रोक लगा दी है। विचारों को सोशल मीडिया पर व्यक्त करने से पूर्व विवि के मीडिया सेल की मंजूरी लेनी होगी।
विवि प्रशासन ने साफ किया है कि बिना विश्वविद्यालय की अनुमति के विश्वविद्यालय के बारे में व्यक्तिगत विचार करते हैं तो संबंधित की मुश्किलें बढ़ जाएंगी। कोई भी पोस्ट या न्यूज भेजना है तो विश्वविद्यालय के मीडिया सेल के माध्यम से भेजना होगा। ऐसा न करने पर अनुशासनहीनता मानी जाएगी। ऐसे पोस्ट पर जांच और कार्रवाई के लिए अनुशासन समिति गठित की जाएगी और नियमानुसार संबंधित के खिलाफ एक्शन भी होगा।
कुलपति प्रो राजेश सिंह के निर्देश पर कुलसचिव ने आदेश भी जारी कर दिया है। जिसमें कहा गया है कि शिक्षक, कर्मचारी और अधिकारी अक्सर विश्वविद्यालय के बारे में सोशल मीडिया पर पोस्ट कर देते हैं। जो अक्सर तथ्यहीन होते हैं। ऐसे विचार विश्वविद्यालय एवं अधिकारियों की गरिमा को धूमिल कर रहे हैं। विश्वविद्यालय ने इस बात को अत्यंत गम्भीरता से लिया है और सभी शिक्षकों, अधिकारियों एवं कर्मचारियों को सूचित किया जाता है कि कोई भी तथ्य मीडिया या सोशल मीडिया में जाना है और वह विश्वविद्यालय से सम्बन्धित है तो ऐसे तथ्यों / समाचारों को मीडिया प्रकोष्ठ में प्रस्तुत किया जाय और विश्वविद्यालय के मीडिया प्रकोष्ठ द्वारा इस प्रकार के समाचार को मीडिया व सोशल मीडिया में भेजा जा सकता है। यदि कोई भी विश्वविद्यालय का व्यक्ति इसका उल्लंघन करता पाया गया तो उस व्यक्ति के खिलाफ तत्काल प्रभाव से विश्वविद्यालय परिनियम में उपलब्ध प्रावधानों के तहत अनुशासनिक समिति गठित की जाएगी।
उत्तर प्रदेश सरकार के कंडक्ट रूल 1956 का भी संदर्भ लिया जाएगा। कुलसचिव ने कहा है कि विश्वविद्यालय के संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष अधिकारीगण एवं सभी अनुभागों के प्रभारी यह सुनिश्चित करें कि कोई ऐसा बयान दे रहे हैं तो तत्काल प्रभाव से उन्हें सूचित करें। यदि उनको लगता है कि उनका समाचार मीडिया व सोशल मीडिया में जाने लायक है तो इसे विश्वविद्यालय के मीडिया प्रकोष्ठ के माध्यम से भेजा जाए।शिक्षक करते थे सोशल मीडिया का प्रयोगदरअसल विवि प्रशासन इन दिनों शिक्षकों की गुटबाजी से जूझ रहा है। विवि के कुछ शिक्षकों ने कुलपति के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। वह कुलपति पर तानाशाह होने का आरोप लगा रहे हैं। विवि के शिक्षकों ने अपनी बातों को समाज तक पहुंचाने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया था। विवि के हिन्दी विभाग के वरिष्ठ शिक्षक प्रो. कमलेश गुप्ता तो अपनी बात के जरिए सोशल मीडिया पर विचार रखते थे। इसके अलावा विवि के दूसरे शिक्षक व्हाट्सएप का प्रयोग करते थे। यह विवि प्रशासन की आंखों में चुभ रहा था। जिसके कारण विवि प्रशासन को यह आदेश जारी करना पड़ा।