केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के खाली पदों को भरने के लिए मिशन मोड़ में छेड़े गए अभियान को शिक्षा मंत्रालय ने और रफ्तार दी है। इसके तहत मार्च 2022 तक शिक्षकों के ज्यादातर खाली पदों को भरने का लक्ष्य तय किया है। फिलहाल इसे लेकर ज्यादातर केंद्रीय विश्वविद्यालयों में तेजी से काम शुरू हो गया है। भर्ती के लिए विज्ञापन जारी कर दिए गए है। ऐसे में साफ है कि नए शैक्षणिक सत्र शुरू होने से पहले केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के खाली पदों को भर दिया जाएगा।
खासबात यह है कि शिक्षा मंत्रालय के अंदर ही इस पूरी प्रक्रिया की निगरानी के लिए भी एक टीम लगाई गई है। जो विश्वविद्यालयों की सप्ताहिक आधार पर प्रगति को जांच रही है। इसके साथ ही शिक्षा मंत्रालय ने सभी केंद्रीय शिक्षण संस्थानों में आरक्षण श्रेणी के बैकलाग के खाली पड़े पदों को सितंबर 2022 तक हर हाल में भरने के भी निर्देश दिए है।
केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के बड़े पैमाने पर खाली पदों को भरने का यह अभियान केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के निर्देश के बाद शुरू हुआ है। वैसे तो उन्होंने इन पदों को 30 नवंबर तक ही भरने के निर्देश दिए थे, लेकिन विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के खाली पदों को भरने की एक प्रक्रिया है। जिसके चलते इनमें थोड़ा समय लगा, लेकिन मंत्रालय के मुताबिक अब तेजी से यह आगे बढ़ी है।
खाली पड़े पदों का भरने में हो रही देरी एक बड़ा मुद्दा बना
केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के लंबे समय से खाली पड़े पदों का भरने में हो रही देरी एक बड़ा मुद्दा भी बना हुआ है। राजनीतिक दल इसे लेकर सरकार पर सवाल उठाते रहते है। संसद के शीतकालीन सत्र में भी केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के खाली पड़े पदों को लेकर भी सवाल किए गए थे। इस पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने खाली पदों को भरने के लिए मिशन मोड में अभियान छेड़ने की जानकारी दी।
गौरतलब है कि देश में मौजूदा समय में करीब 50 केंद्रीय विश्वविद्यालय है। इनमें अकेले शिक्षकों के ही 65 सौ से ज्यादा पद खाली है। इनमें प्रोफेसर के करीब 14 सौ पद, एसोसिऐट प्रोफेसर के 24 सौ पद, असिस्टेंट प्रोफेसर के करीब 24 सौ पद है। इसके साथ ही इंदिरा गांधी केंद्रीय मुक्त विश्वविद्यालय में भी शिक्षकों के करीब डेढ़ सौ पद खाली है।
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