ब्याज से आय पर क्या है इनकम टैक्स का गणित? कैसे मिलती है राहत, समझिए पूरा हिसाब-किताब

भविष्य निधि (PPF) से मिलने वाले ब्याज पर किसी भी टैक्स का पेमेंट करने के लिए बाध्य नहीं हैं. क्योंकि यह पूरी तरह से छूट है.



आप किसी भी मद से ब्याज लेते हैं तो यह आपकी कमाई का एक अतिरिक्त सोर्स होता है. किसी अन्य सोर्स की तरह, इनकम टैक्स नियमों के अनुसार इस पर भी टैक्स लगाया जाता है. यानी, यदि यह सरकार की तय सीमा से अधिक है तो आपके निवेश पर अर्जित इनकम पर टैक्स लगेगा.


नई दिल्ली . आदमी अपनी कमाई का एक हिस्सा किसी न किसी निवेश माध्यम में डालता रहता है. वैसे ज्यादा लोग सुरक्षित निवेश विकल्पों को ही अपनाते हैं. पैसे को फिक्स्ड डिपॉजिट, रेकरिंग डिपॉजिट या सार्वजनिक भविष्य निधि (PPF) में निवेश करना लोग ज्यादा पसंद करते हैं. क्योंकि किसी उतार-चढ़ाव या मुश्किल परिस्थिति में इस पर कोई फर्क नहीं पड़ता.


ब्याज कमाई का अतिरिक्त सोर्स
आप किसी भी मद से ब्याज लेते हैं तो यह आपकी कमाई का एक अतिरिक्त सोर्स होता है. किसी अन्य सोर्स की तरह, इनकम टैक्स नियमों के अनुसार इस पर भी टैक्स लगाया जाता है. यानी, यदि यह सरकार की तय सीमा से अधिक है तो आपके निवेश पर अर्जित इनकम पर टैक्स लगेगा.


टैक्स सेविंग का फायदा
हालांकि आप इनकम टैक्स एक्ट 1961 के तहत टैक्स सेविंग का फायदा उठाकर अपनी टैक्स देनदारी को कम कर सकते हैं. लेकिन पहले आपको यह समझना होगा कि ब्याज से होने वाली कमाई पर कैसे टैक्स लगाया जाता है. ब्याज से कमाई आय पर टैक्स के बारे में जानने योग्य बातें


ब्याज पर टैक्स
फिक्स्ड डिपॉजिट से मिलने वाले ब्याज पर टैक्स लगता है. आपको टैक्स स्लैब के अनुसार इसे चुकाना होगा. इसके अलावा, जब किसी वित्तीय वर्ष में फिक्स्ड डिपॉजिट पर ब्याज आय 40,000 रुपए (वरिष्ठ नागरिकों के लिए 50,000 रुपए) तक पहुंच जाती है, तो बैंक TDS (टैक्स डिडक्शन ऐट सोर्स) काट लेते हैं. बैंक 40,000 रुपए से अधिक की कमाई पर 10% टैक्स लगाते हैं.


एनआरआई से कितना टैक्स

एनआरआई पर 30% की दर से TDS और जो भी सरचार्ज हो, वह बतौर टैक्स काट लिया जाता है. यदि सभी साधनों से आपकी कुल टैक्सेबल इनकम उस अधिकतम रकम से कम है जो टैक्स योग्य नहीं है, तो आप फॉर्म 15G दाखिल करके TDS में छूट प्राप्त कर सकते हैं.


वरिष्ठ नागरिकों को राहत
सेक्शन 80TTB वरिष्ठ नागरिकों को ब्याज से कमाई में 50,000 रुपए तक की कटौती करने की अनुमति देता है. यदि आपका बैंक TDS काटता है और आपकी कुल इनकम साल भर में 500,000 रुपए से कम है, तो आप रिफंड के पात्र हो सकते हैं.


रिकरिंग डिपॉजिट का गणित
रिकरिंग डिपॉजिट में निवेश पर कोई टैक्स बेनिफिट नहीं है. रेकरिंग डिपॉजिट से वसूले गए ब्याज पर इनकम टैक्स देना होगा. रिकरिंग डिपॉजिट धारक के टैक्स ब्रैकेट की दर से टैक्स का पेमेंट किया जाना चाहिए. रिकरिंग डिपॉजिट TDS के अधीन होता है. यह 40,000 रुपए से अधिक ब्याज पर 10% की दर से काटा जाता है. हालांकि 40,000 रुपए तक के ब्याज पर कोई TDS नहीं काटा जाता है.


PPF पर ब्याज
आप सार्वजनिक भविष्य निधि (PPF) से मिलने वाले ब्याज पर किसी भी टैक्स का पेमेंट करने के लिए बाध्य नहीं हैं. क्योंकि यह पूरी तरह से छूट है. छूट-छूट-छूट (EEE) व्यवस्था PPF पर लागू होती है. नतीजतन, इसमें डिपॉजिट, प्राप्त ब्याज और निकाली गई रकम सभी टैक्स फ्री हैं.