सरकारी शिक्षकों के आइडिया ने बदली बच्चों की दुनिया

वाराणसी ;कोरोना संक्रमण काल में सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफार्म ने शिक्षा जगत को नया मंच दिया है। आज के दौर में सोशल साइट वृहद और विस्तारित मंच है। यह किसी के लिए राजनीतिक प्रचार और बहस का साधन है तो कुछ के लिए चुटकुले, तस्वीर या अफवाहों के प्रसार का। इनसे अलग मिशन शिक्षण संवाद के तहत शिक्षकों का एक ग्रुप शिक्षा में सुधार और बदलाव की कोशिश में लगा हुआ है। इसके लिए फेसबुक, व्हाट्सएप व ट्विटर पर मिशन शिक्षण संवाद नाम से ग्रुप और पेज बने हैं। इसमें प्रतिदिन बेहतर शिक्षा देने के लिए नए-नए आइडिया साझा किए जाते हैं। कहीं, कुछ बेहतर हुआ तो शेयर किया जाता है।


मिशन शिक्षण संवाद के तहत प्रदेश स्तर पर पहली बार विमल कुमार ने इसकी शुरुआत की। इसके बाद विभिन्न जिले के शिक्षक इस ग्रुप से जुड़े। बेसिक शिक्षा परिषद की कार्यशाला में पढ़ाई के तरीकों का परिषदीय स्कूलों में अधिक से अधिक बच्चों को लाने पर विचार किया गया। 2019 में जिले के 5 शिक्षकों को भी सम्मानित किया गया। जिले के 200 से अधिक परिषदीय विद्यालय इस मिशन से जुड़े हैं। इस ग्रुप के एडमिन जिले की शिक्षक व प्राथमिक विद्यालय भिटारी के प्रधानाध्यापक व राज्य पुरस्कार प्राप्त रविंद्र कुमार सिंह व प्राथमिक विद्यालय सैरागोपालपुर के मनोज कुमार सिंह हैं।

मिड डे मील से पहले भोजन मंत्र

जिले के जो भी विद्यालय मिशन शिक्षण संवाद से जुड़े हुए हैं, वहां मिड डे मील से पहले बच्चे भोजन मंत्र पढ़ते हैं। जिले के कई शिक्षक व प्रधानाध्यापक अपने विद्यालय में किए गए इनोवेटिव कार्यों को ग्रुप में साझा करते हैं। ताकि दूसरे शिक्षक प्रेरित हों। किसी शिक्षक ने बच्चों को अच्छे से पढ़ाने का कोई नया तरीका खोजा तो उसे ग्रुप पर शेयर किया जाता है।आखर से भेंट कराती बोलती पुस्तककोरोना काल में बंद स्कूलों में बच्चों को कविताएं याद कराने के लिए जिले के नवाचारी शिक्षकों ने एक पहल की। एक बार फिर से कक्षाओं के साथ घरों में भी कविताओं की गूंज सुनाई देने लगी है। ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे बच्चों को ध्यान में रखकर शिक्षकों ने ‘बोलती पुस्तक’ नाम से ई-बुक तैयार की है। जो बच्चों को आखर और कविताएं सिखा रही है। इस ई-बुक का उद्घाटन बेसिक शिक्षा निदेशक डॉ. सवेंद्र विक्रम बहादुर सिंह ने किया था। मिशन शिक्षण संवाद के तहत प्रदेश भर के नवाचारी शिक्षकों ने अलग-अलग कक्षाओं की हिंदी और अंग्रेजी पाठ्य पुस्तकों को न सिर्फ डिजिटल बल्कि ऑडियो-विजुअल रूप दे दिया। रविंद्र सिंह ने बताया कि बोलती पुस्तक के लिए शिक्षकों ने स्वर भी दिए हैं। इनमें जौनपुर के शिवम सिंह, फतेहपुर की गीता यादव, उन्नाव की स्नेहिल पांडेय, झांसी के जार्ज एंथोनी और पूजा सचान शामिल है। तकनीकी पक्ष हमीरपुर के वीरेंद्र परनामी ने संभाला है।