बेसिक शिक्षा में भविष्य निधि (पीएफ) के भुगतान में 4.92 करोड़ की गड़बड़ी सामने आई है। जांच रिपोर्ट मिलने के बाद शासन ने धन की रिकवरी भू-राजस्व की तरह कराने की संस्तुति की है। हेराफेरी में अलीगढ़ जिले में तैनात रहे तत्कालीन चार बेसिक शिक्षा अधिकारियों को आरोपित किया गया है। सभी से एक सप्ताह में स्पष्टीकरण तलब किया गया है, इसके बाद बड़ी कार्रवाई की तैयारी है।
प्रदेश के अलीगढ़ जिले के सभी खंड विकास व नगर क्षेत्रों की सामान्य भविष्य निधि के अग्रिम व अंतिम भुगतान की जांच के लिए जिलाधिकारी अलीगढ़ ने 25 अगस्त 2021 को संस्तुति की थी। शासन ने 18 अक्टूबर 2021 को जांच के लिए डायट प्राचार्य अलीगढ़ की अध्यक्षता
में दो सदस्यीय जांच समिति गठित की। जांच समिति ने सात जनवरी 2022 को शासन को रिपोर्ट सौंपी है इसमें कहा गया कि बेसिक शिक्षा के जीपीएफ भुगतान में लेखाधिकारी कार्यालय के सहायकों से मिलकर योजनाबद्ध तरीके से सरकारी धन की अनियमितता की गई है। बेसिक शिक्षा के विशेष सचिव आरवी सिंह की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि विस्तृत जांच में यह भी सामने आया है कि भविष्य निधि के भुगतान में पद के दायित्वों का सही से निर्वहन होता तो इतनी धनराशि का गबन नहीं होता। 2007 से 2010 तक के अभिलेख गायब जांच समिति ने पाया कि अभिलेख जानबूझकर गायब किए गए। बीच में पृष्ठ फाड़े जाने से 2007 से 2010 तक के अभिलेख गायब हैं। और इससे सही धनराशि का आकलन नहीं हो सका। जिले के विकासखंडों में चार करोड़ 92 लाख 39 हजार 749 रुपये की अनियमितता सामने आई है और इस धन की रिकवरी भू-राजस्व की तरह करने की संस्तुति की गई है।
तत्कालीन चार बीएसए से स्पष्टीकरण तलब
शासन ने अलीगढ़ के तत्कालीन बेसिक शिक्षा अधिकारी रहे एसपी यादव (10 दिसंबर 2012 से 21 सितंबर 2015 तक), संजय शुक्ला ( 21 सितंबर 2015 से 19 मई 2016 तक), धीरेंद्र कुमार यादव ( 19 मई 2016 से 15 मई 2018 तक) और डा. लक्ष्मीकांत पांडेय (15 मई 2018 से 16 जुलाई 2021 तक ) से एक सप्ताह में स्पष्टीकरण मांगा है। अनियमितता में प्रथमदृष्टया दोषी पाए जाने पर जवाब तलब हुआ है।