प्रयागराज। नवगठित उत्तर प्रदेश
शिक्षा सेवा चयन आयोग की परीक्षाओं के आयोजन में भी केंद्र निर्धारण का पेच फंसेगा। नियम सख्त होने के बाद प्रदेश की सबसे प्रतिष्ठित पीसीएस परीक्षा के लिए उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग को केंद्र नहीं मिल रहे हैं।
ऐसे में शिक्षा सेवा चयन आयोग को भी परीक्षाओं के लिए केंद्रों के निर्धारण में इस चुनौती का सामना करना होगा।
शासन ने केंद्र निर्धारण के नियमों को सख्त करते हुए निजी स्कूल कॉलेजों को केंद्र बनाने पर रोक लगा दी है। इसी का नतीजा है कि पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा-2024 के तहत 5,76,154 लाख अभ्यर्थियों के लिए पर्याप्त संख्या में सेंटर नहीं मिल पा रहे हैं और आयोग को यह परीक्षा दो दिन
प्रश्न पत्रों की सुरक्षा को ध्यान में रखकर करना होगा परीक्षा केंद्रों का निर्धारण
कराने का विकल्प भी तैयार करना पड़ा है।
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वहीं, शिक्षा सेवा चयन आयोग के सामने इससे बड़ी चुनौती होगी। अशासकीय माध्यमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक (टीजीटी) और प्रवक्ता (पीजीटी) के 4,163 पदों पर भर्ती के लिए 13.19 लाख अभ्यर्थियों ने आवेदन किए हैं।
पीसीएस परीक्षा के मुकाबले टीजीटी पीजीटी परीक्षा के लिए आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों की संख्या दोगुने से भी अधिक है। केंद्र निर्धारण के साथ प्रश्नपत्रों की सुरक्षा भी शिक्षा सेवा चयन आयोग के लिए बड़ी चुनौती होगी।
दरअसल, प्रश्नपत्रों की सुरक्षा के मद्देनजर ही शासन ने केंद्र निर्धारण के नियम सख्त किए हैं। इससे पूर्व
हुई टीजीटी-पीजीटी की परीक्षा में
पेपर लीक के आरोप लग चुके हैं।
विज्ञापन वर्ष 2021 के तहत
फैजाबाद में परीक्षा के दौरान छात्रों ने पेपर के बंडल की सील खुली होने का आरोप लगाते हुए परीक्षा का बहिष्कार कर दिया था और केंद्र की भूमिका को संदिग्ध बताया था। इस तरह की घटना दोबारा न हो, इसलिए टीजीटी-पीजीटी की आगामी परीक्षा के लिए उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग को केंद्र निर्धारण में विशेष सतर्कता बरतनी होगी।
यही वजह है कि आयोग टीजीटी-पीजीटी की लंबित परीक्षा की आयोजन तिथि को लेकर अब तक निर्णय नहीं ले सका है। आयोग के सूत्रों का कहना है कि इस बार केंद्र निर्धारण की प्रक्रिया चुनौतीपूर्ण होगी। ऐसे में केंद्रों का निर्धारण होने के बाद ही परीक्षा तिथि पर कोई निर्णय होगा।