नई दिल्ली : देश में साइबर हमलों के मामले बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं। साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों ने साइबर हमलों के मामलों में वृद्धि पर चिंता जताते हुए समस्या से निपटने के लिए मजबूत उपायों की जरूरत पर बल दिया। उनके अनुसार, अगर इस पर लगाम नहीं लगाई गई, तो भारत में 2033 तक - हर साल करीब एक ट्रिलियन साइबर - हमले हो सकते हैं और वर्ष 2047 तक 17 ट्रिलियन साइबर हमले हो सकते हैं।
गैर-लाभकारी संगठन प्रहार ने एक 'दि इंविजिबल हैंड' नाम से रिपोर्ट जारी की है, जिसमें एक मजबूत और बड़े पैमाने पर साइबर सुरक्षा तंत्र की तत्काल आवश्यकता का संकेत दिया गया है। रिपोर्ट में बताया गया कि कैसे भारत के डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र में तेजी से विस्तार इसके जोखिमों को बढ़ा रहा है। एम्स और एयरलाइंस पर किए गए साइबर हमले इसके उदाहरण हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल देश को 79 मिलियन से अधिक साइबर हमलों का सामना करना पड़ा, जो 2022 की तुलना में 15 प्रतिशत अधिक है। इस तरह की घटनाओं की संख्या के मामले में यह दुनिया भर में तीसरे स्थान पर है।
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• पहली तिमाही में साइबर हमलों में 76 प्रतिशत तक की हुई वृद्धि
इस वर्ष भी यह वृद्धि जारी रही और पहली तिमाही में 500 मिलियन से अधिक घटनाएं सामने आईं। वैश्विक स्तर पर इस वर्ष की पहली तिमाही में साइबर हमलों में 76 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जिसमें भारत सबसे अधिक प्रभावित देशों में से एक है। इस वर्ष के पहले चार महीनों में, भारतीयों ने साइबर अपराधियों का शिकार बन 1,750 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान उठाया, जिसकी रिपोर्ट राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल पर 7.4 लाख शिकायतों के माध्यम से की गई। रिपोर्ट में सट्टेबाजी और गेमिंग एप द्वारा बढ़ते खतरों का भी पता लगाया गया है, जिसमें सुनियोजित रणनीतियां काम कर रही हैं।
प्रहार के अध्यक्ष अभय मिश्रा ने बताया कि साइबर हमले दो तरह के होते हैं। पहले में पारंपरिक हैकर शामिल होते हैं, जो वित्तीय लाभ या व्यवधान के लिए सिस्टम की कमजोरियों का फायदा उठाते हैं। दूसरा आम नागरिकों को निशाना बनाता है, उन्हें हेरफेर, जबरदस्ती या धमकियों द्वारा राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के लिए भर्ती करता है।