कोर्ट ने हस्तक्षेप से किया इनकार
प्रदेश में जारी 72825 सहायक अध्यापकों की भर्ती के मामले में हाईकोर्ट ने कहा है कि सहायक अध्यापक बनने के लिए एनसीटीई द्वारा निर्धारित स्नातक में 45 और 50 प्रतिशत अंक की अर्हता उचित है।
एनसीटीई एक विशेषज्ञ संस्था है, जिसे अर्हता निर्धारण के लिए ही अधिकृत किया गया है इसलिए अदालत इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगी।
नीरज कुमार राय और कई अन्य ने याचिका दाखिल कर एनसीटीई द्वारा जारी 19 जुलाई 2011 की अधिसूचना की वैधता को चुनौती दी थी।
कहा गया कि बेसिक शिक्षा सेवा नियमावली के अनुसार सहायक अध्यापक होने के लिए मात्र स्नातक ही अर्हता है। बाद में एनसीटीई ने अधिसूचना जारी कर 2009 से पूर्व के सामान्य वर्ग के स्नातकों के लिए 45 और अनुसूचित जाति-जनजाति का 40 प्रतिशत अंक अनिवार्य कर दिया।
2009 के बाद ये हुआ फैसला
2009 के बाद स्नातक करने वालों के लिए सामान्य वर्ग में 50 प्रतिशत अंक और अनुसूचित जाति-जनजाति के लिए 45 प्रतिशत अंक अनिवार्य कर दिया गया।
एनसीटीई के अधिवक्ता रिजवान अली अख्तर ने हलफनामा दाखिल कर बताया कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने एनसीटीई का गठन विशेषज्ञ संस्था के तौर पर किया है। इसे सहायक अध्यापकों की अर्हता तय करने की वैधानिकता प्राप्त है।
खंडपीठ ने इस दलील को स्वीकार करते हुए कहा कि चूंकि एनसीटीई एक विशेषज्ञ संस्था है जिसका गठन इसी उद्देश्य के लिए हुआ है इसलिए इसके द्वारा निर्धारित अर्हता में कोई अवैधानिकता नहीं है।
प्रदेश में जारी 72825 सहायक अध्यापकों की भर्ती के मामले में हाईकोर्ट ने कहा है कि सहायक अध्यापक बनने के लिए एनसीटीई द्वारा निर्धारित स्नातक में 45 और 50 प्रतिशत अंक की अर्हता उचित है।
एनसीटीई एक विशेषज्ञ संस्था है, जिसे अर्हता निर्धारण के लिए ही अधिकृत किया गया है इसलिए अदालत इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगी।
नीरज कुमार राय और कई अन्य ने याचिका दाखिल कर एनसीटीई द्वारा जारी 19 जुलाई 2011 की अधिसूचना की वैधता को चुनौती दी थी।
कहा गया कि बेसिक शिक्षा सेवा नियमावली के अनुसार सहायक अध्यापक होने के लिए मात्र स्नातक ही अर्हता है। बाद में एनसीटीई ने अधिसूचना जारी कर 2009 से पूर्व के सामान्य वर्ग के स्नातकों के लिए 45 और अनुसूचित जाति-जनजाति का 40 प्रतिशत अंक अनिवार्य कर दिया।
2009 के बाद ये हुआ फैसला
2009 के बाद स्नातक करने वालों के लिए सामान्य वर्ग में 50 प्रतिशत अंक और अनुसूचित जाति-जनजाति के लिए 45 प्रतिशत अंक अनिवार्य कर दिया गया।
एनसीटीई के अधिवक्ता रिजवान अली अख्तर ने हलफनामा दाखिल कर बताया कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने एनसीटीई का गठन विशेषज्ञ संस्था के तौर पर किया है। इसे सहायक अध्यापकों की अर्हता तय करने की वैधानिकता प्राप्त है।
खंडपीठ ने इस दलील को स्वीकार करते हुए कहा कि चूंकि एनसीटीई एक विशेषज्ञ संस्था है जिसका गठन इसी उद्देश्य के लिए हुआ है इसलिए इसके द्वारा निर्धारित अर्हता में कोई अवैधानिकता नहीं है।
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