यूपीः शिक्षामित्रों को त्रिपुरा के वेतन मॉडल से राहत की उम्मीद
इलाहाबाद, वरिष्ठ संवाददाता सहायक अध्यापक पद पर समायोजन निरस्त होने के बाद आर्थिक संकट का सामना कर रहे शिक्षामित्रों को त्रिपुरा के वेतन मॉडल से उम्मीद बंधी है। शिक्षामित्र नेताओं ने बुधवार को लखनऊ में बेसिक शिक्षा मंत्री राम गोविन्द चौधरी से मुलाकात कर पूर्वोत्तर राज्य के मॉडल को सौंपा
और मांग की कि जब तक मौलिक नियुक्ति की अड़चन दूर नहीं हो जाती तब तक त्रिपुरा मॉडल के आधार पर सहायक अध्यापकों के बराबर वेतन दिया जाए।
दरअसल त्रिपुरा में सर्व शिक्षा अभियान के तहत रखे गए संविदा शिक्षकों को 2009 से नियमित शिक्षकों के बराबर वेतन दिया जाता है। वहां इन शिक्षकों को मातृत्व अवकाश, पितृत्व अवकाश से लेकर अन्य सभी सुविधाएं नियमित शिक्षकों की तरह दी जाती हैं। यही नहीं हर छह महीने पर नियमित शिक्षकों की तरह वेतन में भी वृद्धि होती है।
इसी महीने तीन सितम्बर को त्रिपुरा के संविदा शिक्षकों का वेतन संशोधित किया गया है। पांच साल पूरा कर चुके स्नातक संविदा शिक्षकों को 21,933 और इससे कम अनुभव वालों को 14,260 जबकि इंटर पास पांच साल से अधिक अनुभव वालों को 17,351 व इससे कम अनुभव वालों को 11,211 वहां की सरकार दे रही है। उत्तर प्रदेश में प्रतिमाह 30,211 वेतन मिल रहा है।
यदि त्रिपुरा का मॉडल उत्तर प्रदेश सरकार भी लागू कर देती है तो सहायक अध्यापकों के समान शिक्षामित्रों को भी 30,211 वेतन मिलने लगेगा। इसे लागू करने में कोई विधिक अड़चन भी नहीं दिख रही क्योंकि सर्व शिक्षा अभियान के तहत एक राज्य में यह व्यवस्था छह साल से चली आ रही है। फिलहाल प्रदेश सरकार प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के प्रस्ताव पर विचार कर रही है।
त्रिपुरा के संविदा शिक्षकों को 2009 से नियमित शिक्षकों के समान वेतन मिल रहा है। हमने उत्तर प्रदेश सरकार से मांग की है कि शिक्षामित्रों की नियुक्ति संबंधी अड़चन जब तक दूर नहीं हो जाती, तब तक इसी मॉडल के अनुसार वेतन दिया जाए ताकि आर्थिक संकट दूर हो सके।
कौशल कुमार सिंह, प्रदेश मंत्री प्राथमिक शिक्षक संघ
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
इलाहाबाद, वरिष्ठ संवाददाता सहायक अध्यापक पद पर समायोजन निरस्त होने के बाद आर्थिक संकट का सामना कर रहे शिक्षामित्रों को त्रिपुरा के वेतन मॉडल से उम्मीद बंधी है। शिक्षामित्र नेताओं ने बुधवार को लखनऊ में बेसिक शिक्षा मंत्री राम गोविन्द चौधरी से मुलाकात कर पूर्वोत्तर राज्य के मॉडल को सौंपा
और मांग की कि जब तक मौलिक नियुक्ति की अड़चन दूर नहीं हो जाती तब तक त्रिपुरा मॉडल के आधार पर सहायक अध्यापकों के बराबर वेतन दिया जाए।
दरअसल त्रिपुरा में सर्व शिक्षा अभियान के तहत रखे गए संविदा शिक्षकों को 2009 से नियमित शिक्षकों के बराबर वेतन दिया जाता है। वहां इन शिक्षकों को मातृत्व अवकाश, पितृत्व अवकाश से लेकर अन्य सभी सुविधाएं नियमित शिक्षकों की तरह दी जाती हैं। यही नहीं हर छह महीने पर नियमित शिक्षकों की तरह वेतन में भी वृद्धि होती है।
इसी महीने तीन सितम्बर को त्रिपुरा के संविदा शिक्षकों का वेतन संशोधित किया गया है। पांच साल पूरा कर चुके स्नातक संविदा शिक्षकों को 21,933 और इससे कम अनुभव वालों को 14,260 जबकि इंटर पास पांच साल से अधिक अनुभव वालों को 17,351 व इससे कम अनुभव वालों को 11,211 वहां की सरकार दे रही है। उत्तर प्रदेश में प्रतिमाह 30,211 वेतन मिल रहा है।
यदि त्रिपुरा का मॉडल उत्तर प्रदेश सरकार भी लागू कर देती है तो सहायक अध्यापकों के समान शिक्षामित्रों को भी 30,211 वेतन मिलने लगेगा। इसे लागू करने में कोई विधिक अड़चन भी नहीं दिख रही क्योंकि सर्व शिक्षा अभियान के तहत एक राज्य में यह व्यवस्था छह साल से चली आ रही है। फिलहाल प्रदेश सरकार प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के प्रस्ताव पर विचार कर रही है।
त्रिपुरा के संविदा शिक्षकों को 2009 से नियमित शिक्षकों के समान वेतन मिल रहा है। हमने उत्तर प्रदेश सरकार से मांग की है कि शिक्षामित्रों की नियुक्ति संबंधी अड़चन जब तक दूर नहीं हो जाती, तब तक इसी मॉडल के अनुसार वेतन दिया जाए ताकि आर्थिक संकट दूर हो सके।
कौशल कुमार सिंह, प्रदेश मंत्री प्राथमिक शिक्षक संघ
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