टीईटी 2011 में वाइटनर प्रयोग करने का मामला
राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : दारोगा एवं सिपाही भर्ती में वाइटनर का प्रयोग करने वालों को सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत ने टीईटी अभ्यर्थियों की बैचैनी भी खत्म कर दी है। हजारों ऐसे अभ्यर्थियों पर वाइटनर के प्रयोग का आरोप है और उनका मामला भी अदालत में चल रहा है।
वैसे टीईटी वालों के मामले में जांच अभी शुरू नहीं हो पाई है। माध्यमिक शिक्षा परिषद ने जांच में अपने हाथ पहले ही खड़े कर रखे हैं। संयोग ही है कि शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) और दारोगा व सिपाही की सीधी भर्ती का वर्ष 2011 ही है। तब माध्यमिक शिक्षा परिषद ने पहली बार टीईटी 2011 का आयोजन किया था। इस परीक्षा में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे। परिणाम जारी होने व अफसरों की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने सारे रिकॉर्ड जब्त कर लिये थे। इसी की जांच में पुलिस को यह सुबूत हाथ लगे कि परीक्षा में बड़े पैमाने पर वाइटनर का प्रयोग हुआ था। यही अभिलेख अभ्यर्थियों ने जनसूचना अधिकार के तहत हासिल किए और उन्हें हाईकोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया। हाईकोर्ट ने पांच अक्टूबर 2015 को प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा को निर्देश दिया कि इस प्रकरण की जांच कर वाइटनर प्रयोग करने वालों की सूची चार महीने में उपलब्ध कराई जाए। साथ ही ऐसा करने वालों पर कार्रवाई भी की जाए।
प्रमुख सचिव ने इस संबंध में माध्यमिक शिक्षा परिषद को पत्र लिखा और हाईकोर्ट का फरमान भी भेजा। शासन ने माध्यमिक शिक्षा परिषद एवं अन्य अफसरों की बैठक भी कराई। इसमें परिषद की सचिव ने कहा कि परिषद इस मामले की जांच नहीं कर सकता, क्योंकि टीईटी 2011 के अंकपत्र की सीडी बहुत मुश्किल से फरवरी 2015 में परिषद को मिल सकी है। सारे रिकॉर्ड कानपुर देहात जिले के अकबरपुर थाने में जब्त हैं। जब अभिलेख ही नहीं है तो जांच कैसे हो सकती है। शासन यह जांच गृह विभाग के जरिए कराने की तैयारी में है। अब तक जांच कौन करेगा यह तय नहीं हो सका है, जबकि अगले माह ही प्रमुख सचिव को जवाब देना है। इसी बीच शीर्ष दारोगा और सिपाही भर्ती में वाइटनर का प्रयोग करने वालों को कोर्ट से आंशिक राहत मिलने से टीईटी अभ्यर्थी भी खुश हुए हैं। असल में टीईटी 2011 की मेरिट के आधार पर ही प्रदेश में 72825 शिक्षकों की प्राथमिक स्कूलों में नियुक्तियों की प्रक्रिया चली। उनमें 58 हजार नौकरी पा चुके हैं, वाइटनर की जांच के आदेश से वह भी जांच के दायरे में आ गए थे। यदि उनकी ओएमआर शीट में वाइटनर का प्रयोग मिला तो वह भी कार्रवाई के दायरे में आ सकते थे। यह जरूर है कि इस मामले की जांच होगी और वाइटनर का प्रयोग करने वाले चिन्हित भी होंगे।
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राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : दारोगा एवं सिपाही भर्ती में वाइटनर का प्रयोग करने वालों को सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत ने टीईटी अभ्यर्थियों की बैचैनी भी खत्म कर दी है। हजारों ऐसे अभ्यर्थियों पर वाइटनर के प्रयोग का आरोप है और उनका मामला भी अदालत में चल रहा है।
वैसे टीईटी वालों के मामले में जांच अभी शुरू नहीं हो पाई है। माध्यमिक शिक्षा परिषद ने जांच में अपने हाथ पहले ही खड़े कर रखे हैं। संयोग ही है कि शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) और दारोगा व सिपाही की सीधी भर्ती का वर्ष 2011 ही है। तब माध्यमिक शिक्षा परिषद ने पहली बार टीईटी 2011 का आयोजन किया था। इस परीक्षा में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे। परिणाम जारी होने व अफसरों की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने सारे रिकॉर्ड जब्त कर लिये थे। इसी की जांच में पुलिस को यह सुबूत हाथ लगे कि परीक्षा में बड़े पैमाने पर वाइटनर का प्रयोग हुआ था। यही अभिलेख अभ्यर्थियों ने जनसूचना अधिकार के तहत हासिल किए और उन्हें हाईकोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया। हाईकोर्ट ने पांच अक्टूबर 2015 को प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा को निर्देश दिया कि इस प्रकरण की जांच कर वाइटनर प्रयोग करने वालों की सूची चार महीने में उपलब्ध कराई जाए। साथ ही ऐसा करने वालों पर कार्रवाई भी की जाए।
प्रमुख सचिव ने इस संबंध में माध्यमिक शिक्षा परिषद को पत्र लिखा और हाईकोर्ट का फरमान भी भेजा। शासन ने माध्यमिक शिक्षा परिषद एवं अन्य अफसरों की बैठक भी कराई। इसमें परिषद की सचिव ने कहा कि परिषद इस मामले की जांच नहीं कर सकता, क्योंकि टीईटी 2011 के अंकपत्र की सीडी बहुत मुश्किल से फरवरी 2015 में परिषद को मिल सकी है। सारे रिकॉर्ड कानपुर देहात जिले के अकबरपुर थाने में जब्त हैं। जब अभिलेख ही नहीं है तो जांच कैसे हो सकती है। शासन यह जांच गृह विभाग के जरिए कराने की तैयारी में है। अब तक जांच कौन करेगा यह तय नहीं हो सका है, जबकि अगले माह ही प्रमुख सचिव को जवाब देना है। इसी बीच शीर्ष दारोगा और सिपाही भर्ती में वाइटनर का प्रयोग करने वालों को कोर्ट से आंशिक राहत मिलने से टीईटी अभ्यर्थी भी खुश हुए हैं। असल में टीईटी 2011 की मेरिट के आधार पर ही प्रदेश में 72825 शिक्षकों की प्राथमिक स्कूलों में नियुक्तियों की प्रक्रिया चली। उनमें 58 हजार नौकरी पा चुके हैं, वाइटनर की जांच के आदेश से वह भी जांच के दायरे में आ गए थे। यदि उनकी ओएमआर शीट में वाइटनर का प्रयोग मिला तो वह भी कार्रवाई के दायरे में आ सकते थे। यह जरूर है कि इस मामले की जांच होगी और वाइटनर का प्रयोग करने वाले चिन्हित भी होंगे।
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