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शिक्षामित्र पद के पड़ावों पर नज़र : राज्य सरकार नहीं चाहती थी कि शिक्षामित्र स्थाई नौकरी की मांग क : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News

अब तक हुई चर्चा में हमारी पोस्ट की जिस बात को घोर आपत्तिजनक माना गया वो है "कोर्ट ने शिक्षामित्र पद परिभाषित नहीं किया" हम ने वर्ष 2003 से लेकर 2015 तक शिक्षामित्रों से सम्बंधित लगभग 400 से अधिक केसेस का अध्ययन किया जिन में अगस्त 2013 और सितम्बर 2015 के पूर्ण पीठ के फैसले सहित 2 जनहित याचिकाएं भी शामिल हैं।
इन सभी मुकद्मो में (12 सितम्बर 2015 के फैसले के अलावा )सब से ख़ास बात ये रही कि ये सभी 99% मुकद्दमे उनके द्वारा दाखिल किये गए जो शिक्षामित्र नहीं थे। और इन्हें इस बात से कोई सरोकार नहीं था कि ये योजना है परियोजना है संविदा है अनुबंध है या क्या है।
यही कारण था कि शिक्षामित्र पद की कोर्ट ने राज्य सरकार के हिसाब से उसके मन मुताबिक व्यख्या की। कारण ये भी था कि राज्य सरकार नहीं चाहती थी कि शिक्षामित्र स्थाई नौकरी की मांग करें या उसे वेतन देना पड़े। और इसी उद्देश्य से राज्य सरकार ने अनुच्छेद 162 की शक्ति का प्रयोग कर हमें अनुबंधित किया था जैसा कि अगस्त 2013 और सितम्बर 2015 में भी कोर्ट के द्वारा कहा गया।
✍🏼अब बात मुद्दे की कि जब हम कहते हैं कि शिक्षामित्र पद परिभाषित नहीं किया गया इस का क्या अर्थ है।
आइये समझते हैं।
इसे समझने के लिए शिक्षामित्र पद के पड़ावों पर नज़र डालते हैं
पहला पड़ाव 26 May 1999
दूसरा पड़ाव 31 July 2001
तीसरा पड़ाव 2 june 2010
⚖तीसरे पड़ाव 2 जून 2010 तक तो शिक्षामित्र पद अनुच्छेद 162 के अधीन आता है जिस के लिए 400 मुकदमों में shikshamitras are  teachers hired on contract basis. कहा गया। लेकिन 2 जून 2010 से
चौथा पड़ाव 25 जनवरी 2011 तक की स्थिति की कोई व्याख्या किसी कोर्ट केस में नहीं पाई जाती है।
अगर किसी भी विधिक जानकार की जानकारी में हो तो वो अपनी पोस्ट में ज़रूर लिखे।
⚖ 2 जून 2010 से 25 जनवरी 2011 के बीच और इस के बाद
पांचवा पड़ाव 27 जुलाई 2011 तक कोई भी केस जो हाई कोर्ट में चला हो इस पर प्रकाश नहीं डालता। अगस्त 2013 के पूर्ण पीठ के फैसलेमें भी 2 जून 2010 तक ही बहस को सिमित रखा गया है।
✍🏼मज़े की बात ये कि 12 सितम्बर 2015 को भी 2013 के मुक़दमे को ही आधार बनाया गया जबकि वो मुकदमा सिर्फ 2 जून 2010 तक के शिक्षामित्र पद की ही व्याख्या करता है। साथ ही ये भी कि ये फैसला भी उनके लिए था जो शिक्षामित्र नहीं थे।
⚖अब अंत में हर उस विधिक जानकार से पूछना चाहता हूँ जो शिक्षामित्र पद को कोर्ट द्वारा परिभाषित बताते हैं। वो बताएं‼
क्या शिक्षामित्र पद की संविदा के सम्बन्ध में अनुच्छेद 309 के परिप्रेक्ष्य में किसी भी केस में बहस हुई❓
क्या किसी भी मुक़दमे में भारतीय संविदा अधिनियम 1872 के आधार पर बहस हुई❓
क्या किसी भी मुक़दमे में संविदा नियमन अधिनियम पर बहस हुई❓

क्या किसी भी मुक़दमे में शिक्षामित्र जीवन के संदर्भ में अनुच्छेद 21 पर बहस हुई❓ वो भी तब जब देश में 2002 से 21 (क) को लागू किया जा चूका है।
✍🏼जब 2002 से लेकर 2015 तक उपरोक्त पर कोई बहस या कोई तथ्य पेश ही नहीं हुए तो सिर्फ राज्य सरकार के कह देने भर से क्या शिक्षामित्र पद परिभाषित हो जायेगा। जबकि 2002 से अब तक कानूनों में कितने बदलाव आ चुके हैं। ऐसे में हम पुनः दोहराते हैं:-
शिक्षमित्र संविदा कर्मी नहीं हैं वे शिक्षक हैं। बाकी आप सुप्रीम कोर्ट को तै करने दीजिये

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