महराजगंज: बेसिक शिक्षक विभाग के शिक्षकों को एरियर भुगतान के लिए फिलहाल अभी और इंतजार करना पड़ सकता है। यह अलग बात है कि भले ही लेखा विभाग बेसिक शिक्षा ने एरियर भुगतान संबंधी बिल प्रभारी वित्त एवं लेखाधिकारी, वरिष्ठ कोषाधिकारी को प्रस्तुत कर दिया है।
लेकिन नियमों की अनदेखी कर तैयार की गई इस बिल के भुगतान से अधिकारी ने हाथ खड़ा कर दिया है। अब प्रकरण बिल के क्रास चे¨कग व बीएसए तथा खंड शिक्षा अधिकारी के चिड़िया बैठाने के पेंच में फंस गया है।
दरअसल 72825 प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती प्रक्रिया के तहत चयनित होकर प्राथमिक विद्यालयों में मौलिक नियुक्ति पाए शिक्षकों में प्रथम चरण में एक माह पूर्व अप्रैल में करीब ढाई सौ शिक्षकों के एरियर का भुगतान किया था। इसे लेकर ये शिक्षक दो गुटों में बंट गए। एक गुट एरियर भुगतान प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए वित्त एवं लेखाधिकारी संदीप कुमार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। इसी के साथ सुविधा शुल्क लेकर नियमों की अनदेखी कर भुगतान करने का मुद्दा बीएसए कार्यालय से लेकर जिलाधिकारी कार्यालय तक गूंजता रहा। विभाग की किरकिरी होने व शिक्षकों के विरोध के कारण वित्त एवं लेखाधिकारी ने अगले एरियर के लिए पुन: एक नया आदेश जारी किया कि खंड शिक्षा अधिकारी के माध्यम से ही एरियर बिल वित्त एवं लेखाधिकारी कार्यालय को प्रस्तुत किया जाए।
इसके बाद ही भुगतान की प्रकिया अपनाई जाएगी। लेकिन विरोध करने वाले शिक्षकों के गुट ने फिर पैंतरा बदला और जिस प्रकार पिछले शिक्षकों के एरियर का भुगतान किया गया था, उसी आधार पर करने पर जोर मारने लगे। दो गुटों की लड़ाई में एक तीसरा गुट भी उभर कर सामने आ गया। और अधिकारियों पर एरियर भुगतान के लिए दबाब बनाना शुरू कर दिया। जिस पर जिलाधिकारी वीरेंद्र कुमार ¨सह ने वित्त एवं लेखाधिकारी संदीप कुमार का चार्ज छीन कर वरिष्ठ कोषाधिकारी गिरीश चौबे को सौंप दिया। उधर डीएम के आदेश पर आनन-फानन में एरियर बिल की फी¨डग का कार्य दो दिनों में ही पूरा कर लिया गया और शिक्षकों के एरियर भुगतान के लिए बिल प्रभारी वित्त एवं लेखाधिकारी के समक्ष प्रस्तुत किया गया। लेकिन इस बार भी खंड शिक्षा अधिकारियों के माध्यम से बिल नहीं आए और न ही इसकी क्रास चे¨कग हुई। नियमों की अनदेखी कर तैयार की गई बिल को लेकर भुगतान की प्रक्रिया अभी कागजी लिखा पढ़ी में उलझी है।
इसके बाद ही भुगतान की प्रकिया अपनाई जाएगी। लेकिन विरोध करने वाले शिक्षकों के गुट ने फिर पैंतरा बदला और जिस प्रकार पिछले शिक्षकों के एरियर का भुगतान किया गया था, उसी आधार पर करने पर जोर मारने लगे। दो गुटों की लड़ाई में एक तीसरा गुट भी उभर कर सामने आ गया। और अधिकारियों पर एरियर भुगतान के लिए दबाब बनाना शुरू कर दिया। जिस पर जिलाधिकारी वीरेंद्र कुमार ¨सह ने वित्त एवं लेखाधिकारी संदीप कुमार का चार्ज छीन कर वरिष्ठ कोषाधिकारी गिरीश चौबे को सौंप दिया। उधर डीएम के आदेश पर आनन-फानन में एरियर बिल की फी¨डग का कार्य दो दिनों में ही पूरा कर लिया गया और शिक्षकों के एरियर भुगतान के लिए बिल प्रभारी वित्त एवं लेखाधिकारी के समक्ष प्रस्तुत किया गया। लेकिन इस बार भी खंड शिक्षा अधिकारियों के माध्यम से बिल नहीं आए और न ही इसकी क्रास चे¨कग हुई। नियमों की अनदेखी कर तैयार की गई बिल को लेकर भुगतान की प्रक्रिया अभी कागजी लिखा पढ़ी में उलझी है।
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