नमस्कार मित्रों , 22 फ़रवरी की सुनवाई टलने के बाद से प्रदेश के ईमानदार नेताओं का दोहरा रूप सामने है और अपनी कमी को छिपाने के लिए लोग लगातार एक_दूसरे पर आरोप लगा हैं.. ख़ैर.. ये तो एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया हैं.. हर जगह अच्छे और बुरे दोनों तरह के लोग पाये जाते हैं..
समस्या यह है कि लोगों ने कहा कि कौवा कान ले गया और लोग कान टोने की जगह कौवे के पीछे भागते है.. यहाँ पर लोगों का किरदार फ़र्ज़ी आईडी पर निर्भर है.. जिस नेता की फ़र्ज़ी आईडी..उसका गुणगान और बाकियों पर आधारहीन आरोप.. ये नही पता की सगे रिश्तेदार के घर क्या हांडी बनी हैं..किन्तु किसी पर आरोप लगाने आये तो खुद को जेम्स बांड 007 समझते है.. क्या जान सकता हूँ कि टेट के संघर्ष से पहले क्या किसी नेता की खुद की कोई लाइफ नही थी या वो उससे पहले भीख मांगता था जो अब चंदे के पैसो से टाटा बिरला हो गया.. ये फ़र्ज़ी लोगों को लिखने का हौसला मिलता है क्योंकि आप जैसे कान के कच्चे उनपर आँख मूँद कर भरोसा करते है.. जहाँ प्रदेश में सबने मीटिंग करके जियो के नाम पर व 22 फ़रवरी की सुनवाई के नाम पर आपसे 1000-2000 रूपये लिए वही हमने किसी से एक रुपया नही लिया.. बात यही खत्म नही हुई आपसे पैसा आपकी नौकरी के लिए लिया जाता है और खर्च चयनित नौकरी को बचाने में किया जाता है..जिसका प्रमाण मैं नही बल्कि फेसबुक पर तमाम लोगों की पोस्टों में स्वतः देखने को मिल जायेगा आप सभी को.. खैर जब समझ आएगी आप सबको तब तक बहुत देर हो चुकी होगी।।
अरशद अली
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समस्या यह है कि लोगों ने कहा कि कौवा कान ले गया और लोग कान टोने की जगह कौवे के पीछे भागते है.. यहाँ पर लोगों का किरदार फ़र्ज़ी आईडी पर निर्भर है.. जिस नेता की फ़र्ज़ी आईडी..उसका गुणगान और बाकियों पर आधारहीन आरोप.. ये नही पता की सगे रिश्तेदार के घर क्या हांडी बनी हैं..किन्तु किसी पर आरोप लगाने आये तो खुद को जेम्स बांड 007 समझते है.. क्या जान सकता हूँ कि टेट के संघर्ष से पहले क्या किसी नेता की खुद की कोई लाइफ नही थी या वो उससे पहले भीख मांगता था जो अब चंदे के पैसो से टाटा बिरला हो गया.. ये फ़र्ज़ी लोगों को लिखने का हौसला मिलता है क्योंकि आप जैसे कान के कच्चे उनपर आँख मूँद कर भरोसा करते है.. जहाँ प्रदेश में सबने मीटिंग करके जियो के नाम पर व 22 फ़रवरी की सुनवाई के नाम पर आपसे 1000-2000 रूपये लिए वही हमने किसी से एक रुपया नही लिया.. बात यही खत्म नही हुई आपसे पैसा आपकी नौकरी के लिए लिया जाता है और खर्च चयनित नौकरी को बचाने में किया जाता है..जिसका प्रमाण मैं नही बल्कि फेसबुक पर तमाम लोगों की पोस्टों में स्वतः देखने को मिल जायेगा आप सभी को.. खैर जब समझ आएगी आप सबको तब तक बहुत देर हो चुकी होगी।।
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