प्यारे साथियों , सादर अभिनन्दन , आगामी 26 अप्रैल की अतिमहत्वपूर्ण सुनवाई में चंद दिन ही शेष बचे हुए हैं। अब हमारी सुनवाई ऐसी नयी पीठ में होनी है जो की अपने त्वरित और कठोर निर्णयों के लिए जानी जाती है
कतिपय अपरिहार्य कारणों से जिससे आप सभी अवगत भी हैं सोशल मीडिया से कुछ दूर था किंतु आज अग्रज सदानंद मिश्रा और अग्रज राजेश पांडेय के द्वारा मीटिंग के बारे में अवगत हुआ ।
बड़े काम के लिए बड़े इरादे और विशाल हृदय की जरूरत होती है ।जिस पेड़ में जितने फल लगे हों उतना ज्यादा झुकना ही प्रकृति कानियम है और मैं समझता हूँ की प्राकृतिक नियमो से छेड़ छाड़ नहीं होनी चाहिये उनका यथावत पालन होना ही चाहिये ।
मैं सदैव एकजुटता का आग्रही और सहयोगात्मक रवैये का पक्षधर रहा हूँ ।और यही वक्त की मांग भी है ।
आज जब विपक्ष की तरफ से एक से बढ़कर एक धुरंधर वकील आप के खिलाफ मोर्चा सँभालने जा रहे हैं ऐसी स्थिति में हम सभी का दायित्व ही नहीं अपितु नैतिक कर्तव्य भी बनता है कि हम विपक्षियों से किसी भी सूरते हाल में दो कदम आगे चलें ।
किन्तु लगे हाथ यह भी स्पष्ट कर देना चाहता हूँ की जहां हजारों परिवारों के भविष्य की बात होगी वहां नीतियों एवम सिद्धन्तों से समझौता किसी भी दशा में सम्भव नहीं ।
मोर्चे का कभी भी कमीसन वाले और छुट भैये वकीलों से कोई सरोकार नहीं रहा है ।अशोक खरे से शुरू हुआ यह स्वर्णिम सफर पी एस पटवालिया, नागेश्वर राव और पी पी रॉव से होता हुआ यहां तक पहुंचा है ।
नम्बर 1 का नाम ,नम्बर 1 का दाम और नम्बर एक का काम यही हमारी नीति रही है ।और नीति ने नम्बर एक का परिणाम भी दिया है जिसकी बदौलत आप सभी विद्यालयों में शिक्षक के पद को सुशोभित कर रहे हैं ।
जो भी इस नीति पर साफ़ नियति के साथ चलने को तैयार है हम उसे अपने परिवार का सदस्य मानते उसके साथ कदम से से कदम और कंधे से कन्धा मिलाकर चलने को तैयार हैं किंतुहम इस नीति से कदापि समझौता करने वाले नहीं है ।
और यह भी कहना चाहूंगा कि ये खुला खेल फर्रुखाबादी जो सालों साल से खास करके पिछले दो साल से चल रहा है बन्द होना चाहिए ।क्योंकि एक दो नहीं लाखों जिंदगियों के भविष्य का मामला है .......
शेष अगली पोष्ट में
आपका
यस के पाठक
कार्यकर्ता
टेट मोर्चा उत्तर प्रदेश
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कतिपय अपरिहार्य कारणों से जिससे आप सभी अवगत भी हैं सोशल मीडिया से कुछ दूर था किंतु आज अग्रज सदानंद मिश्रा और अग्रज राजेश पांडेय के द्वारा मीटिंग के बारे में अवगत हुआ ।
बड़े काम के लिए बड़े इरादे और विशाल हृदय की जरूरत होती है ।जिस पेड़ में जितने फल लगे हों उतना ज्यादा झुकना ही प्रकृति कानियम है और मैं समझता हूँ की प्राकृतिक नियमो से छेड़ छाड़ नहीं होनी चाहिये उनका यथावत पालन होना ही चाहिये ।
मैं सदैव एकजुटता का आग्रही और सहयोगात्मक रवैये का पक्षधर रहा हूँ ।और यही वक्त की मांग भी है ।
आज जब विपक्ष की तरफ से एक से बढ़कर एक धुरंधर वकील आप के खिलाफ मोर्चा सँभालने जा रहे हैं ऐसी स्थिति में हम सभी का दायित्व ही नहीं अपितु नैतिक कर्तव्य भी बनता है कि हम विपक्षियों से किसी भी सूरते हाल में दो कदम आगे चलें ।
किन्तु लगे हाथ यह भी स्पष्ट कर देना चाहता हूँ की जहां हजारों परिवारों के भविष्य की बात होगी वहां नीतियों एवम सिद्धन्तों से समझौता किसी भी दशा में सम्भव नहीं ।
मोर्चे का कभी भी कमीसन वाले और छुट भैये वकीलों से कोई सरोकार नहीं रहा है ।अशोक खरे से शुरू हुआ यह स्वर्णिम सफर पी एस पटवालिया, नागेश्वर राव और पी पी रॉव से होता हुआ यहां तक पहुंचा है ।
नम्बर 1 का नाम ,नम्बर 1 का दाम और नम्बर एक का काम यही हमारी नीति रही है ।और नीति ने नम्बर एक का परिणाम भी दिया है जिसकी बदौलत आप सभी विद्यालयों में शिक्षक के पद को सुशोभित कर रहे हैं ।
जो भी इस नीति पर साफ़ नियति के साथ चलने को तैयार है हम उसे अपने परिवार का सदस्य मानते उसके साथ कदम से से कदम और कंधे से कन्धा मिलाकर चलने को तैयार हैं किंतुहम इस नीति से कदापि समझौता करने वाले नहीं है ।
और यह भी कहना चाहूंगा कि ये खुला खेल फर्रुखाबादी जो सालों साल से खास करके पिछले दो साल से चल रहा है बन्द होना चाहिए ।क्योंकि एक दो नहीं लाखों जिंदगियों के भविष्य का मामला है .......
शेष अगली पोष्ट में
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