आज सुप्रीम कोर्ट ने उत्तरप्रदेश के 1.72 लाख शिक्षामित्रों को हटाने से इंकार कर दिया है। लेकिन लेकिन दो भतिर्यों के अंदर उन्हें परीक्षा पास करनी होगी, इसमें उन्हें अनुभव का वेटेज मिलेगा। इसके साथ ही टीइटी वालों को भी राहत दी है।
शिक्षामित्रों की ओर से सलमान खुर्शीद, अमित सिब्बल, नितेश गुप्ता, जयंत भूषण, आरएस सूरी सहित कई वरिष्ठ वकीलों ने अपनी ओर से दलीलें पेश की थी। शिक्षामित्रों की ओर से पेश अधिकतर वकीलों का कहना था कि शिक्षामित्र वर्षों से काम कर रहे हैं, लेकिन अब तक उनका भविष्य अधर में है। ऐसे में उन्हें सहायक शिक्षक के तौर पर जारी रखा जाए। साथ ही उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई कि वह संविधान के अनुच्छेद-142 का इस्तेमाल कर शिक्षामित्रों को राहत प्रदान करें।
शिक्षामित्र स्नातक बीटीसी और टीईटी पास हैं। कई ऐसे हैं जो करीब 10 सालों से काम कर रहे हैं। वहीं शिक्षामित्रों की ओर से पेश वकील ने कहा कि यह कहना गलत है कि शिक्षामित्रों को नियमित किया गया है। उन्होंने कहा कि सहायक शिक्षकों के रूप में उनकी नियुक्ति हुई है। वकीलों का कहना था कि राज्य में शिक्षकों की कमी को ध्यान में रखते हुए स्कीम के तहत शिक्षामित्रों की नियुक्ति हुई थी। लेकिन ये नियुक्ति गलत ढंग से हुई है।
क्या है मामला
गौरतलब है कि 12 सिंतबर 2015 को हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश के करीब 1.72 लाख शिक्षामित्रों का सहायक शिक्षक के तौर पर समायोजन को निरस्त कर दिया था। इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी।
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शिक्षामित्र स्नातक बीटीसी और टीईटी पास हैं। कई ऐसे हैं जो करीब 10 सालों से काम कर रहे हैं। वहीं शिक्षामित्रों की ओर से पेश वकील ने कहा कि यह कहना गलत है कि शिक्षामित्रों को नियमित किया गया है। उन्होंने कहा कि सहायक शिक्षकों के रूप में उनकी नियुक्ति हुई है। वकीलों का कहना था कि राज्य में शिक्षकों की कमी को ध्यान में रखते हुए स्कीम के तहत शिक्षामित्रों की नियुक्ति हुई थी। लेकिन ये नियुक्ति गलत ढंग से हुई है।
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