UPTET एकेडमिक लीडर कपिल देव यादव की फेसबुक पोस्ट

शुभ प्रभात दोस्तो
कोशिश करने वालो की हार नही होतीं ये मेरा और मेरी टीम का मूलमंत्र था
लेकिन लोगो ने मेरे इस मूलमंत्र को गलत तरीके से अपना मूलमंत्र बना लिया
मेरा अक्टूबर नवम्बर का पोस्ट पढ़ लीजिये जब मैने अपने मूलमंत्र एक साथ एक नया शब्द लिखना शुरू किया था
कोशिश करने वालो की कभी हार नही होतीं लेकिन कोशिश करते समय ये बात भी ध्यान में रखनी चाहिये की कोशिश सही दिशा में कर रहे है की नही
अब आप लोग खुद सोचिये की अकेडमिक टीम और विजेंदर की टीम को छोड़कर सभी लोग समायोजन याची लाभ के लिये कोशिश करने लगे और यही से पुरा केस गलत दिशा में जाने लगा
लोगो ने कोशिश तो बहुत की लेकिन कोशिश की दिशा गलत थी
अगर उसी समय सभी लोग नये विज्ञापन की बात करते तो आज़ लोग अपने अपने स्कूल में होते
सुप्रीम कोर्ट से फाइनल आदेश आये आज़ 20 दिन हो गय़ा लोग एक दूसरे के ऊपर आरोप प्रत्यारोप दोषारोपण कर रहे है बहुत से लोग 25 जूलाई के बाद सब से ज्यादा आरोप दोष किसी के ऊपर लगा रहे है तो वो अकेडमिक टीम के ऊपर ही लगा रहे है
जो लोग कभी अकेडमिक टीम के खिलाफ षडयंत्र करके टेट मेरिट जिन्दाबाद के नारे लगा कर नये विज्ञापन का जड़ खोद रहे थे जब उनका टेट मेरिट से चयन नही हुआ तो धीरे धीरे ये अकेडमिक समर्थक बन गये और आज़ इन नेतुल्ली लोगो की पोस्ट पढ़ेंगे तो ऐसा महसूस होगा की इन सबसे बड़ा अकेडमिक समर्थक कोई है ही नही पर ध्यान से देखेंगे तो सच्चाई इससे भिन्न है
जितने लोग आज़ अकेडमिक टीम के ऊपर आरोप लगा रहे है उसमें से अधिकांश लोगो का अकेडमिक टीम से कभी कोई सम्बन्ध ही नही रहा वे भी अकेडमिक टीम पर दोषारोपण कर रहे उन सबका दिल से बहुत बहुत धन्यवाद
आप लोगो का ये नफरत भरा प्यार देखकर ये महसूस होता है की आदमी पत्थर उसी पेड़ के ऊपर सबसे ज्यादा मारता है जिस पर सबसे ज्यादा फल लगे हो
और आप लोग जो सबसे ज्यादा दोष अकेडमिक टीम पर लगा रहे हो इससे एक बात तो साफ हो जाती है की आप याची चाहे जिस ग्रूप में बने हो यकीन तो सबसे ज्यादा आपको अकेडमिक टीम पर ही था
आज़ जितने लोग अकेडमिक टीम और मुझपर उँगली उठा रहे है सच कहता हूँ इतने कट्टर अकेडमिक समर्थक पहले टीम से जुड़े होते तो आज़ नये विज्ञापन से लोग 3साल से जॉब कर रहे होते
कुछ लोग कहते है अकेडमिक टीम ने धोखा किया और मैं कहता हूँ अकेडमिक टीम ने वो महान कार्य किया है जिसे कोई नही कर सकता अकेडमिक टीम ने ही 15/16 वा संशोधन बहाल करवाया है उसके बाद भी टीम ने कभी श्रेय लेने के लिये पोस्ट नही डाला
कुछ लोग कहते है हम लोगो ने सही से पैरवी नही की ऐसा जो लोग कहते है आज़ उनका इतिहास भूगोल जान लेना ज़रूरी है इसलिये एक छोटी सी कहानी सुनाता हूँ
ट्रेन की महिला बोगी में एक लड़का चिल्ला रहा था कोई भी पुरुष महिला बोगी में नही चढ़येगा ये महिला कोच है इस में पुरुषों का प्रवेश वर्जित है
ये बात मैं बहुत ध्यान से सुन रहा था की ये लड़का खुद लड़की की कोच में खड़ा होकर क्यों पुरुषों को रोक रहा है
मैं उस लड़के के पास गय़ा और बोला क्यों बे गंदी नाली के कीडे दूसरो को महिला बोगी में जाने से रोक रहा है और खुद इसी बोगी में चढ़ा हुआ है क्या तू पुरुष नही है तो उसने कहा हूँ तो मैं पुरुष ही लेकिन इस बोगी की महिलाएँ मुझे बीच वाला और अपना शुभ चिंतक समझती है इसलिये कुछ दिनो के लिये शिखंडी नपुंसक (छक्का )बनने का नाटक कर रहा हूँ
शायद मेरी ये कहानी लोगो को समझ में न आये इसलिये खुल के लिखता हूँ नये विज्ञापन का सबसे बड़ा दुश्मन आस्तीन का कोबरा साँप राहुल पांडे है इससे बड़ा धूर्त मक्कार कोई नही है
इसने सबसे कहा अचयनित लोग चयनित से दूरी बनाकर रखे अचयनित लोग चयनीतो पे विश्वास न करे और ये बहरूपिया खुद को अचयनीतो का सबसे बड़ा हमदर्द बनने का नाटक कर करके अचयनीतो की जड़ खोदता रहा ये ट्रेन में सवार उस धूर्त ढोंगी पुरुष की तरह अकेडमिक टीम के सभी जिला अध्यक्ष लोगो को भड्काता रहा जिसका नतीजा ये हुआ अकेडमिक के जितने भी समर्थक थे उन लोगो ने अंतिम समय में टीम को कोई सहयोग ना करके इस धूर्त के बहकावे में आकर B और C ग्रेड का वकील खड़ा किया
ये फाइनल सुनवाई से पहले कभी जज से आशीर्वाद लेता है कभी उनके साथ चाय पीने की बात करता ये इतना बड़ा फट्टु है की 3मई 2016 को जब इलाहाबाद में लाठीचार्ज होता है तो अपनी राहुल पन्डे फेसबूक को अविचल पांडे के नाम में बदल लेता है
ये खुद को इतना बड़ा होशियार समझता है की
बहस ख़त्म होते ही रामकुमार पटेल से मिठाई बंटवाता है और लिखता है मेरे लोग जॉब पा गये
मिठाई वाली फोटो देखकर पटेल साहब भी सोचते है किस मूर्ख की बात मानकर अपना मजाक बनवा लिया
ऑर्डर आने के बाद ऐसा नाटक करता है जिसको देखकर लगता है की इसकी किसी ने कह के ले ली हो
वैसे इस धूर्त के बारे में मैं कभी नही लिखता लेकिन
ये कई दिनो से मेरे बारे में अनाप शनाप अपनी अवकात से बाहर जा कर लिख रहा था और इसको इसकी अवकात दिखानी ज़रूरी था
एक बात आज़ पुरे दावे के साथ कहता हूँ जब तक लोग इस मनहूस से पर्याप्त दूरी बनाकर नही रखेंगे उनका भला नही होगा
आज़ मैं एक बात दावे के साथ कहता हूँ पुरे प्रदेश में अकेडमिक समर्थको को अगर नये विज्ञापन पे भर्ती करानी है तो उनको अंशुल मिश्रा जी जैसा कोई विधिक जानकार की ज़रूरत पड़ेगी
नये विज्ञापन समर्थको को कोई सलाह चाहिये तो उनको सिर्फ नये विज्ञापन के सबसे विधिक व्यक्ति अंशुल मिश्रा जी से निवेदन करके सलाह लेकर अपना संघर्ष करना चाहिये
राहुल पन्डे जिसको खुद तैरना नही आता उससे सलाह लेने वाले पहले भी डूबे थे और आगे भी डूबेंगे
राहुल पांडे तुम्हारे मुर्गिकरण वाली रिट पर जज महोदय ने राहत दे दिया था तो ऑर्डर में उसका जिक्र क्यों नही है
जितने भी नये विज्ञापन समर्थक है उनसे बस इतना कहूँगा आपकी पुरानी अकेडमिक टीम आपके लिये बहुत कुछ करेगी पर इस समय वो कुछ नही करेगी क्योंकि अगर हम लोगो ने कुछ किया तो नये नये नेतुल्ली लोग यही कहेंगे की हम लोग सही से पैरवी नही करेंगे और सिर्फ अपने जॉब को बचाने की कोशिश करेंगे इसलिये हम लोग उचित समय का इंतजार कर रहे है


7 दिसम्बर के बाद मैने सबको रोका था याची बनने से कोई लाभ नही होगा और आज़ फिर कह रहा हूँ पुनर्विचार याचिका में कोई याची नही बन सकता है और ना ही इसमें कोई याची राहत मिल सकता है
पुनर्विचार याचिका एक तरह से एक प्रार्थनापत्र होता है जिसमें जज महोदय से ये प्रार्थना की जाती है की कृपया अपने द्वारा पारित आदेश पर पुनर्विचार करने करे और नीचे संलग्न फोटो देख लीजिये जिसकी सोच ही टेट मेरिट वाली है वो नया विज्ञापन समर्थक होगा
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