*टेट मामले में राज्य सरकार अपने ही दस्तावेजो से पीछे हट रही:*
TET 2017 के सफल आयोजन का दम्भ भरने वाली राज्य सरकार/परीक्षा नियामक अपने ही न्यायायिक दस्तावेजो और साक्ष्यों से गलत को सही सिद्ध करने में लगी है।
मजे की बात तो ये है कि राज्य सरकार ने खुद हाई कोर्ट में कसम खाकर लिखित दस्तावेज देकर टेट परीक्षा को NCTE द्वारा निर्मित कानून को पालन करने बात कही,जिस पर परीक्षा नियामक खुद ही थूक के चाटने में आगे आ गयी।
राज्य ने हाइकोर्ट में अपने लिखित सबमिशन में कहा कि...
*_He also submits that the State Government had followed in past and shall follow in future all guidelines/mandatory requirements prescribed by the NCTE scrupulously for conducting examination for recruitment._*
(मतलब राज्य के अधिवक्ता ने लिखित काउंटर दाखिल करके कहा कि अब भविष्य में होने वाली TET परीक्षा में वह नैतिक आपत्ति का ध्यान रखते हुए NCTE द्वारा निर्धारित समस्त नियम/निर्देशो का पालन करेगी।)
उपर्युक्त को मा0हाई कोर्ट ने भी बखूबी स्वीकार किया। फिर ऐसा कौन सा कारण है कि परीक्षा नियामक गलत प्रश्नों को साक्ष्य सहित उनको क्यो नही गलत मान रही?
यदि किताबे गलत है तो राज्य को उनके प्रकाशन पर कार्यवाही करनी चाहिए,और टेट की तैयारी के लिए उचित प्रकाशन की पुस्तकों के अध्धयन के संबंध में एक विज्ञप्ति प्रकाशित करनी चाहिए थी।
जब ये नही कर पा रही तो इसमें *आम अभ्यर्थियों के निजी मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है।*
जो कि एक न्यायिक समीक्षा के दायरे में आ रहा।
TET 2017 की परीक्षा में तय पाठ्यक्रम का भी पालन नही हुआ,और न ही आपत्तियों के साक्ष्यों को स्वीकार किया गया। ऐसा ही मामला बिहार राज्य में आयोजित TET 2017 की परीक्षा में आया था,अभ्यर्थी कोर्ट गए,कोर्ट ने TET के आयोजन/प्रश्नपत्र पर आपत्ति को सही मानते हुए 15 अंक तक की बढ़ोतरी का निर्देश बिहार सरकार को दिया।
ऐसा होना भी चाहिए था कि गलती किसी और कि,और सज़ा किसी और को।
यही मामला अब उत्तर प्रदेश में खड़ा हो गया,पीड़ित अभ्यर्थियो को तत्काल हाई कोर्ट की शरण लेनी होगी। *जिसमें कोर्ट को प्रश्नपत्र को पाठ्यक्रम के अनुसार न होना,आपत्तियों को दरकिनार करना बताना होगा।*
यकीन मानिए परीक्षा नियामक को इसमे लताड़ मिलेगी और अधिकतम फायदा अभ्यर्थियो को होगा।।।
अगर अभ्यर्थी कोर्ट न गया तो परीक्षा नियामक को आगामी शिक्षक भर्ती परीक्षा की भी जिम्मेदारी मिलने वाली है,उसमे भी दम से मनमानी होगी।
★जीतता वही है जो लड़ता है।
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TET 2017 के सफल आयोजन का दम्भ भरने वाली राज्य सरकार/परीक्षा नियामक अपने ही न्यायायिक दस्तावेजो और साक्ष्यों से गलत को सही सिद्ध करने में लगी है।
मजे की बात तो ये है कि राज्य सरकार ने खुद हाई कोर्ट में कसम खाकर लिखित दस्तावेज देकर टेट परीक्षा को NCTE द्वारा निर्मित कानून को पालन करने बात कही,जिस पर परीक्षा नियामक खुद ही थूक के चाटने में आगे आ गयी।
राज्य ने हाइकोर्ट में अपने लिखित सबमिशन में कहा कि...
*_He also submits that the State Government had followed in past and shall follow in future all guidelines/mandatory requirements prescribed by the NCTE scrupulously for conducting examination for recruitment._*
(मतलब राज्य के अधिवक्ता ने लिखित काउंटर दाखिल करके कहा कि अब भविष्य में होने वाली TET परीक्षा में वह नैतिक आपत्ति का ध्यान रखते हुए NCTE द्वारा निर्धारित समस्त नियम/निर्देशो का पालन करेगी।)
उपर्युक्त को मा0हाई कोर्ट ने भी बखूबी स्वीकार किया। फिर ऐसा कौन सा कारण है कि परीक्षा नियामक गलत प्रश्नों को साक्ष्य सहित उनको क्यो नही गलत मान रही?
यदि किताबे गलत है तो राज्य को उनके प्रकाशन पर कार्यवाही करनी चाहिए,और टेट की तैयारी के लिए उचित प्रकाशन की पुस्तकों के अध्धयन के संबंध में एक विज्ञप्ति प्रकाशित करनी चाहिए थी।
जब ये नही कर पा रही तो इसमें *आम अभ्यर्थियों के निजी मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है।*
जो कि एक न्यायिक समीक्षा के दायरे में आ रहा।
TET 2017 की परीक्षा में तय पाठ्यक्रम का भी पालन नही हुआ,और न ही आपत्तियों के साक्ष्यों को स्वीकार किया गया। ऐसा ही मामला बिहार राज्य में आयोजित TET 2017 की परीक्षा में आया था,अभ्यर्थी कोर्ट गए,कोर्ट ने TET के आयोजन/प्रश्नपत्र पर आपत्ति को सही मानते हुए 15 अंक तक की बढ़ोतरी का निर्देश बिहार सरकार को दिया।
ऐसा होना भी चाहिए था कि गलती किसी और कि,और सज़ा किसी और को।
यही मामला अब उत्तर प्रदेश में खड़ा हो गया,पीड़ित अभ्यर्थियो को तत्काल हाई कोर्ट की शरण लेनी होगी। *जिसमें कोर्ट को प्रश्नपत्र को पाठ्यक्रम के अनुसार न होना,आपत्तियों को दरकिनार करना बताना होगा।*
यकीन मानिए परीक्षा नियामक को इसमे लताड़ मिलेगी और अधिकतम फायदा अभ्यर्थियो को होगा।।।
अगर अभ्यर्थी कोर्ट न गया तो परीक्षा नियामक को आगामी शिक्षक भर्ती परीक्षा की भी जिम्मेदारी मिलने वाली है,उसमे भी दम से मनमानी होगी।
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