बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक
पद पर भर्ती के लिए अध्यापक सेवा नियमावली 1981 में किये गये 21वें संशोधन
का लाभ उत्तर प्रदेश के निवासियों को ही मिलेगा।
छह फरवरी को प्रदेश सरकार
ने कैबिनेट बैठक में जो संशोधन किया है उसे लेकर युवाओं में भ्रम है कि
किसी भी राज्य के अभ्यर्थी आवेदन कर सकेंगे।
वास्तव में 21वें संशोधन के बाद 68500 सहायक अध्यापक भर्ती
में वे अभ्यर्थी आवेदन कर सकेंगे जो उत्तर प्रदेश में पिछले पांच साल से
लगातार रह रहे हों और उन्होंने कक्षा एक से पांच तक के लिए राष्ट्रीय
अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) से मान्यता प्राप्त कोई प्रशिक्षण कोर्स
किया हो चाहे वह कोर्स किसी भी प्रदेश से किया गया हो।एनसीटीई ने कक्षा एक
से आठ तक के स्कूलों में शिक्षक भर्ती के लिए 23 अगस्त 2010 को अधिसूचना
जारी की थी जिसे 29 जुलाई 2011 और 12 नवंबर 2014 को संशोधित किया। अध्यापक
सेवा नियमावली 1981 में 21वें संशोधन के माध्यम से इस बात को मंजूरी दी गयी
है कि यूपी में एनसीटीई की अधिसूचना 23 अगस्त 2010 से प्रभावी होगी न की
राज्य सरकार की ओर से समय-समय पर किए गए संशोधनों की तारीख से।
परिषदीय उच्च प्राथमिक स्कूलों में विज्ञान व गणित विषय के
29334 शिक्षक भर्ती करते समय तीन सदस्यों की उच्च स्तरीय कमेटी ने तीन
सितम्बर 2014 को ही एनसीटीई की अधिसूचना के अनुसार नियमावली में बीटीसी,
विशिष्ट बीटीसी, उर्दू बीटीसी के साथ साथ डीएड (स्पेशल एजुकेशन), चार
वर्षीय बीएलएड कोर्स को मान्य करने का सुझाव दिया था। लेकिन 20वें संसोधन
तक इन कोर्स को 1981 की नियमावली में शामिल नहीं किया गया था। कुमारी
पल्लवी के केस में 12 दिसम्बर 2017 को हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार छह फरवरी
को कैबिनेट ने नियमावली में संशोधन किया है।
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