न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ और न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की पीठ ने
केंद्र सरकार से कहा कि आप जजों की नियुक्ति 24 घंटे में कर देते हैं तो
आपको 48 घंटों के भीतर अदालती आदेश का भी पालन करना चाहिए
नई दिल्ली। अदालती आदेश का पालन करने में सुस्ती दिखाने पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की जमकर क्लास लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस देश में सरकार 24 घंटे में जज नियुक्त कर देती है लेकिन यही फुर्ती अदालती आदेश का पालन करने में कहां चली जाती है।
न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ और न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की पीठ ने केंद्र सरकार से कहा कि आप जजों की नियुक्ति 24 घंटे में कर देते हैं तो आपको 48 घंटों के भीतर अदालती आदेश का भी पालन करना चाहिए लेकिन आप ऐसा क्यों नहीं कर पाते। पीठ ने सरकार से कहा कि आदेश पर पालन करने की बजाय आप फिर से परीक्षण करने के लिए अपील दाखिल कर देते हैं। शीर्ष अदालत ने कहा कि आदेश का पालन करने में सरकार कुटिलतापूर्ण रवैया अपना सकती है लेकिन अदालत को भलीभांति पता है कि उसके आदेश का पालन कैसे करवाया जा सकता है।
अदालत सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय अंतर्गत संगीत एवं नाटक प्रभाग के कर्मचारियों की पदोन्नति और वित्तीय सुधार संबंधित मामले पर सुनवाई कर रही है। आदेश के बावजूद सरकार इसका पालन करने में देरी कर रही है। नौ अप्रैल, 2014 को शीर्ष अदालत के समक्ष दोनों पक्षों के बीच आपसी सहमति के बाद विवादों का निपटारा हो गया था। इसके तहत मंत्रालय द्वारा कर्मचारियों को सभी लाभ देने की बात थी।
इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने वर्ष 2008 में मंत्रालय को चार हफ्ते के भीतर सभी संगीत और नाटक प्रभाग के कर्मचारियों को लाभ देने का निर्देश दिया था। मंत्रालय ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। शीर्ष अदालत के निर्देशों के बावजूद कर्मचारियों को अब तक लाभ नहीं मिल पाया है।
सौदेबाजी की शक्ति न होने से गरीबों को न उठाने पड़े नुकसान
सरकार की ओर से बृहस्पतिवार को पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने मंत्रालय के एक पत्र को पेश करते हुए कहा कि अदालती आदेश का पालन किया जाएगा। उन्होंने देरी के लिए अदालत से माफी भी मांगी। पीठ ने यह भी कहा कि चूंकि ये कर्मचारी निचली श्रेणी में आते हैं। ये गरीब हैं और इनमें सौदेबाजी करने की शक्ति नहीं है, इसका मतलब यह नहीं है कि इन्हें नुकसान उठाना पड़े। पीठ ने सरकार से 31 अक्तूबर से पहले कर्मचारियों को पैसे देने केआदेश दिए हैं। अगली सुनवाई दो नवंबर को होगी
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
नई दिल्ली। अदालती आदेश का पालन करने में सुस्ती दिखाने पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की जमकर क्लास लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस देश में सरकार 24 घंटे में जज नियुक्त कर देती है लेकिन यही फुर्ती अदालती आदेश का पालन करने में कहां चली जाती है।
न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ और न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की पीठ ने केंद्र सरकार से कहा कि आप जजों की नियुक्ति 24 घंटे में कर देते हैं तो आपको 48 घंटों के भीतर अदालती आदेश का भी पालन करना चाहिए लेकिन आप ऐसा क्यों नहीं कर पाते। पीठ ने सरकार से कहा कि आदेश पर पालन करने की बजाय आप फिर से परीक्षण करने के लिए अपील दाखिल कर देते हैं। शीर्ष अदालत ने कहा कि आदेश का पालन करने में सरकार कुटिलतापूर्ण रवैया अपना सकती है लेकिन अदालत को भलीभांति पता है कि उसके आदेश का पालन कैसे करवाया जा सकता है।
अदालत सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय अंतर्गत संगीत एवं नाटक प्रभाग के कर्मचारियों की पदोन्नति और वित्तीय सुधार संबंधित मामले पर सुनवाई कर रही है। आदेश के बावजूद सरकार इसका पालन करने में देरी कर रही है। नौ अप्रैल, 2014 को शीर्ष अदालत के समक्ष दोनों पक्षों के बीच आपसी सहमति के बाद विवादों का निपटारा हो गया था। इसके तहत मंत्रालय द्वारा कर्मचारियों को सभी लाभ देने की बात थी।
इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने वर्ष 2008 में मंत्रालय को चार हफ्ते के भीतर सभी संगीत और नाटक प्रभाग के कर्मचारियों को लाभ देने का निर्देश दिया था। मंत्रालय ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। शीर्ष अदालत के निर्देशों के बावजूद कर्मचारियों को अब तक लाभ नहीं मिल पाया है।
सौदेबाजी की शक्ति न होने से गरीबों को न उठाने पड़े नुकसान
सरकार की ओर से बृहस्पतिवार को पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने मंत्रालय के एक पत्र को पेश करते हुए कहा कि अदालती आदेश का पालन किया जाएगा। उन्होंने देरी के लिए अदालत से माफी भी मांगी। पीठ ने यह भी कहा कि चूंकि ये कर्मचारी निचली श्रेणी में आते हैं। ये गरीब हैं और इनमें सौदेबाजी करने की शक्ति नहीं है, इसका मतलब यह नहीं है कि इन्हें नुकसान उठाना पड़े। पीठ ने सरकार से 31 अक्तूबर से पहले कर्मचारियों को पैसे देने केआदेश दिए हैं। अगली सुनवाई दो नवंबर को होगी
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