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शिक्षामित्रों को समायोजित करना समाजवादी पार्टी के घोषणापत्र का था हिस्सा : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News

पौने दो लाख बनाम 5 लाख..। सियासी समीकरण साधने के लिए संख्या बल का महत्व किसी से छिपा नहीं। संभवत: यही कारण है कि शिक्षामित्रों पर हाईकोर्ट के फैसले के बाद उपजी राज्य और केन्द्र सरकार के सत्तार्शीष की सहानुभूति को देखते हुए प्रदेश के करीब 5 लाख बेरोजगार प्रशिक्षित शिक्षक भी लामबंद होना शुरू हो गए हैं।
अगर तय कार्यक्रम में कोई फेरबदल न हुआ तो गांधी जयन्ती पर बेरोजगार प्रशिक्षित शिक्षक दिल्ली के जंतर-मंतर पर बड़ा प्रदर्शन कर केन्द्र के दरवाजे पर दस्तक देंगे। दोगुने से ज्यादा हैं:इस प्रदर्शन के जरिए बेरोजगार प्रशिक्षित शिक्षक केन्द्र की भाजपा सरकार को जताना चाह रहे हैं कि पौने दो लाख शिक्षामित्रों से कहीं भारी संख्या इनकी है। अगर दूसरे नजरिये से देखें तो ज्यादा बड़ा वोट बैंक। प्रदेश स्तर पर भाजपा नेताओं को बेरोजगार प्रशिक्षित शिक्षक संघ अपनी समस्या और सियासी गणित समझा चुका है। अपनी बात प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तक पहुंचाने के लिए ये लोग प्रधानमंत्री और मानव संसाधन मंत्री को पत्र भेजने का अभियान चला रहे हैं।गलत तर्क देती है राज्य सरकार:यूपी में 5 लाख से भी ज्यादा बेरोजगार बीटीसी / बीएड डिग्रीधारक हैं। लगभग तीन लाख अध्यापक पात्रता परीक्षा (टीईटी) पास हैं। टीईटी उत्तीर्ण संघ के मीडिया प्रभारी यज्ञ अवस्थी कहते हैं-‘यूपी में प्रशिक्षित शिक्षकों की बहुतायत होते हुए राज्य सरकार ने गलत तरीके से शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक बनाया।’शिक्षामित्रों के साथ राज्य सरकार:शिक्षामित्रों को समायोजित करना समाजवादी पार्टी के घोषणापत्र का हिस्सा था। इसी वायदे को निभाते हुए राज्य सरकार ने लगभग पौने दो लाख शिक्षामित्रों को समायोजित करने की प्रक्रिया शुरू की। हाईकोर्ट ने समायोजन को रद्द कर दिया है। इसके बावजूद राज्य सरकार ने शिक्षामित्रों का साथ नहीं छोड़ा है और हर संभव कोशिश कर रही है। इसलिए केन्द्र सरकार से बातचीत कर नियमों में संशोधन कर शिक्षामित्रों की नौकरी बचाने के विकल्प पर काम कर रही है।टीईटी उत्तीर्ण संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष हिमांशु राणा के मुताबिक हम जानते हैं कि यूपी सरकार पूरी तरह शिक्षामित्रों के साथ है लिहाजा हम दिल्ली में प्रदर्शन कर साबित कर देंगे कि 2017 के विधानसभा चुनाव में हम उनसे बड़ा वोट बैंक हो सकते हैं बशर्ते हमारे हितों का ख्याल रखा जाए।

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