कल जो हुआ उसके बाद अब दिल भर गया है इस संघर्ष से परन्तु कुछ प्रश्न : Himanshu Rana

मेरे झांसी जाने की खबर सभी को पता थी मानता हूँ पर मेरी गाडी का नंबर कैसे वायरल हुआ जबकि एक व्यक्ति विशेष ने मुझसे पुछा कि क्या नंबर है गाडी का सचिन जी के घर पर और खुद नोट भी किया पर वो टेट के अजीज मित्रों/करीबी में से है इसलिए इतना ध्यान नहीं दिया हमने |

नंबर नोट करने के बाद आगे का वाकया तस्वीर साफ़ करता है :
झांसी इतना बड़ा है लेकिन करीब ७ बजे वे उसी होटल (krishnaa hotel) में कैसे आये जहाँ मैं रुका हुआ था और नम्बर भी याद गाडी का और सबसे बड़ी बात ये भी पता है कि बांदा बबेरू वालों के साथ ४ की संख्या में रुका हुआ है |
अब जो सोनी जी कह रहे हैं कि उन्हें ढूंढा जा रहा था और उन्हें पकड़ भी लिया था पार्क में तो छोड़ा क्यूँ ?
संजय वर्मा नामक बदमाश का मीटिंग में आना और उसकी पैरवी करना आपके द्वारा सचिन जी के घर पर , अब क्या कहूँ ?
चलिए एक प्रश्न और :
कुछ दिन पहले मयंक भाई की मीटिंग हुई तब क्या सोनी जी नहीं थे या मयंक टीईटी वाले नहीं हैं ?
लेकिन मुसीबत में काम आये सचिन सिंह जी झांसी के आयोजक उनके समस्त दोस्त और सबसे बड़ा आभारी हूँ महावीर शर्मा जी का जिन्होंने पूरा बुंदेलखंड अपने दम पर घुमाया और अंत में कुछ अपने संदिग्ध साथियों की वजह से ये घटना घटी वरना सबकुछ ठीक ठाक था |
कुछ चिलगोजे और शिक्षा मित्र लगातार इसे स्टंट बता रहे हैं तो शिक्षा मित्रों के लिए ये कि जहाँ लड़ना है वहां लड़ो यार ये कुकृत्य बताते हैं समाजवाद के समय में समायोजित किये गए शिक्षकों की हकीकत और जो टीईटी के साथी हैं लेकिन नाम मात्र से किलस्ते हैं तो ये कहूँगा कि मेरा भी परिवार है और ये सब हरकतें कोई सभ्य घर का व्यक्ति फेम पाने के लिए नहीं करता है परिस्थियों का सामना करोगे तो पीले हो जाओगे बाकी वाकई माँ का दूध पीये होते तो मुकाबला करने के लिए साथ खड़े होते नाकि इस प्रकार की बातें करते |
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