इलाहाबाद, 31 मार्च। (आज समाचार सेवा) उच्चतम न्यायालय द्वारा २४ फरवरी २०१६ तक आईए
दाखिल करने अथवा याचिका करने वाले अचयनित याचियों को बीते सात दिसम्बर २०१५
के आदेश के आधार पर
नियुक्ति देने के आदेश के बावजूद शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा इन याचियों को तदर्थ नियुक्ति देने में की जा रही हीलाहवाली से क्षुब्ध होकर अचयनित याचियों ने आन्दोलन का ऐलान कर दिया है। शिक्षा निदेशालय पर प्रदेश भर के अचयनित याची १२ अप्रैल को पूर्वान्ह दस बजे से धरना एवं प्रदर्शन करेंगे।
वर्ष २०११ में टीईटी उत्तीर्ण करने के बाद उच्च न्यायालय से उच्चतम न्यायालय तक संघर्ष करने वाले ये सभी बीएड उत्तीर्ण याची प्रदेश सरकार के तुष्टीकरण से युक्त पैâसलों से क्षुब्ध हैं।
प्रदेश सरकार उर्दू शिक्षक सहित अन्य भर्तियों में पद सृजन कर रही है लेकिन देश में आरटीई एक्ट २००९ में लागू होने और प्राथमिक विद्यालयों शिक्षकों के लाखों पद रिक्त होने तथा उच्चतम न्यायालय द्वारा दिये गये आदेश के बावजूद याचियों को राहत देने की दिशा में कोई ठोस कदम न उठाने से सुप्रीम कोर्ट में याचिका करने वाले हजारों अभ्यर्थी खफा हैं।
नये याचियों का कहना है कि उच्चतम न्यायालय ने २४ फ़रवरी के आदेश में सात दिसम्बर के आदेश से लाभान्वित होने वाले ११०० याचियों की भांति ही नये याचियों को एडहाक पर नियुक्ति देने के लिए कहा है लेकिन प्रदेश सरकार महज टालमटोल की नीति अपना रही है। अचयनित याचियों ने साफ शब्दों में चेताया है कि यदि प्रदेश सरकार ने तत्काल नये याचियों को राहत देने के लिए कदम न उठाये तो वे लोग अनिश्चितकालीन आन्दोलन के लिए विवश होंगे।
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नियुक्ति देने के आदेश के बावजूद शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा इन याचियों को तदर्थ नियुक्ति देने में की जा रही हीलाहवाली से क्षुब्ध होकर अचयनित याचियों ने आन्दोलन का ऐलान कर दिया है। शिक्षा निदेशालय पर प्रदेश भर के अचयनित याची १२ अप्रैल को पूर्वान्ह दस बजे से धरना एवं प्रदर्शन करेंगे।
वर्ष २०११ में टीईटी उत्तीर्ण करने के बाद उच्च न्यायालय से उच्चतम न्यायालय तक संघर्ष करने वाले ये सभी बीएड उत्तीर्ण याची प्रदेश सरकार के तुष्टीकरण से युक्त पैâसलों से क्षुब्ध हैं।
प्रदेश सरकार उर्दू शिक्षक सहित अन्य भर्तियों में पद सृजन कर रही है लेकिन देश में आरटीई एक्ट २००९ में लागू होने और प्राथमिक विद्यालयों शिक्षकों के लाखों पद रिक्त होने तथा उच्चतम न्यायालय द्वारा दिये गये आदेश के बावजूद याचियों को राहत देने की दिशा में कोई ठोस कदम न उठाने से सुप्रीम कोर्ट में याचिका करने वाले हजारों अभ्यर्थी खफा हैं।
नये याचियों का कहना है कि उच्चतम न्यायालय ने २४ फ़रवरी के आदेश में सात दिसम्बर के आदेश से लाभान्वित होने वाले ११०० याचियों की भांति ही नये याचियों को एडहाक पर नियुक्ति देने के लिए कहा है लेकिन प्रदेश सरकार महज टालमटोल की नीति अपना रही है। अचयनित याचियों ने साफ शब्दों में चेताया है कि यदि प्रदेश सरकार ने तत्काल नये याचियों को राहत देने के लिए कदम न उठाये तो वे लोग अनिश्चितकालीन आन्दोलन के लिए विवश होंगे।
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