पैसों का खेल? हिमांशु राणा ने बताई इलाहाबाद धरने का सच्चाई ? और बीच में तारीख़ किसने लगवाई जानिए क्या है इसके पीछे राज ?

सर्वप्रथम इतने दिनो मैं सोशल मीडिया पर समस्त साथियों की सोच और बौधिक शक्ति का परिचय और उनके आंकलन लेने हेतु चुप रहा , जो तथ्य सामने आए हैं वे निम्न हैं :- तारीख़ किसने लगवाई?
इस तथ्य को समझाने के लिए मैं आपको 22 april 2015 की तरफ़ खींचूँगा , 25 फ़रवरी 2015 को हमने जो आई डाली थी 284/2015 उस पर हमारे अधिवक्ता अजीत कुमार सिंह के कहने पर सर्वप्रथम रिक्तियों का ब्योरा मँगाया था और 25 के पश्चात डटे लगी थी 22 april 2015 लेकिन जय ललिता वाले केस की वजह से डेट मिल गई और केस आगे बढ़ गया था |
चूँकि उस समय कोई भी ज्ञानी (कुछ बुद्धि जीवियों को छोड़कर जो लगातार मेरी टीम पर भरोसा बनाए थे) सीधा केस में नहीं जुड़ा था इसलिए किसी पर कोई फ़र्क़ नहीं पड़ा लेकिन आज इतना हाहाकार मचा दिए हैं कि नेताओं ने ये कर दिया वो कर दिया, उन्ही बुद्धिजीवियों से प्रश्न है कि अगर ये टीम न होती और शिक्षा मित्रों पर ६ जुलाई को स्टे ना लिया होता तो कहाँ थे आप?
इलाहाबाद धरने का सच?
इलाहाबाद में धरना प्रस्तावित था 3 मई को लेकिन मैं नीजी कार्य से माननीय इलाहाबाद उच्च न्यायालय गया था लेकिन नैतिकता और सभी को अपना मानते हुए मैं 2 को भी पहुँचा था, इसमें मैंने क्या ग़लती कर दी?
ख़ैर 3 मई को भी मैं धरने में था और मैंने वहाँ बनते हुए महोल को देखते हुए समस्त नेताओं कि मीटिंग में प्रस्ताव रखा था कि धरने में जब उपसचिव का बयान आ गया है तो अब इसे शांतिपूर्ण बैंड करिए लेकिन कुछ नेता जब तक जीओ नहीं छापेगा एक भी याची नहीं हटेगा, तालाबंदी आदि का नारा दे रहे थे जबकि मैं बार बार कोर्ट कारवाई के विषय में कह रहा था और लिखित दस्तावेज़ (written submission) के लिए लगातार अमित सर के फ़ोन को दिखा रहा था, मुझे दिल्ली निकलना पड़ा मेरी किसी ने नहीं मानी और वो हुआ जो नहीं सोचा था, पूर्व में भी ज्ञात हो सर्वप्रथम मैंने सोशल मीडिया पर धरने के लिए मना किया था और कहा भी था कि सरकार ऐसा फँसाएगी कि मुश्किल होगी जॉब में ये हमारे विरोध में हैं लेकिन कुछ जिलाप्रतिनिधि और नेता नेतागीरी के चक्कर में कुछ साथियों की ज़िंदगी के साथ खेल गए और आज आपके सामने हैं कि उन साथियों के लिए मौन हैं जबकि मैं अपना पूरा ध्यान वहीं लगाए हूँ, लक्ष्मी कुशवाहा का इलाज, मनोज बाबू जी के भाई को दिल्ली बुलाकर याचिका डलवा दी हैंजिसकि सुनवाई संभवत सोमवार को माननीय चंद्रचूड़ जी की बेंच में होगी इसके अलावा सुदेश भाई के घर पर भी बात की है प्रांशु के माध्यम से |
जो २ मई के आयोजक थे वे कहाँ दिखे आपको जबकि मंच पर माइक के लिए खींचातानी आदि >>>>>>>>>>>>>>>>> बस क्या कहूँ ?
कुछ तो घर बैठकर update देते नहीं थक रहे थे क्यूँकि उन्हें ड़र था कि कहीं अभी मिली है नौकरी और चली ना जाए?
आप स्वयं बताएँ कि कौन सा अग्रणी जो लूटपाट, ख़रीदफ़रोख़्त यहाँ तक कि याचियों के लिए मरने मारने तक पर उतारू हो गया और कमिशन देने तक में नहीं हिचक दिखाई किसने ज़िम्मेदारी उठायी इस बर्बरता की? किसने कितना पैसा ख़र्च किया है इस पर?
लेकिन मैं पूरी टीम के साथ प्राथमिकता उसी में दिखा रहा हूँ जो कि मेरी ज़िम्मेदारी है , लक्ष्मी कुशवाह के तीन ऑपरेशन अब तक करा चुके हैं और ३ मई से अब तक मात्र वे ग्लूकोस पर हैं लेकिन हमने आज तक किसी से मदद की गुहार नहीं लगाई क्यूँकि हम नेताओं की मानसिकता जानते हैं |
ऐसा उपद्रव जंतर मंतर पर क्यूँ नहीं हुआ ये शोध का विषय है?
पैसों का खेल?
साथियों अहम मुद्दा है लेकिन सबसे पहले आप अपने ज़िला प्रतिनिधियों से पूछिए कि क्या उनके द्वारा पूरा पैसा हिमांशु को पेड कर दिया गया है (कुछ जिलों को छोड़कर), जो आज हिमांशु को करोड़पति बता रहे हैं वे हक़ीक़त जानेंगे तो पैरों तले ज़मीन खिसक जाएगी , हिमांशु ने कभी कमिशन की बात नहीं की लेकिन जिलों में पैसा छोड़ा कि आगे शिक्षा मित्रों के काम में लूँगा लेकिन कुछ ज़िला प्रतिनिधि उसे अपने बाप की बपौति समझ बैठे हैं, मैं चाहता हूँ पूरे प्रदेश के हमारे प्रतिनिधि सामने आएँ और बताएँ कि किसने कितना पैसा दिया है और कितने 2000 के हिसाब से पैसा दिए हैं? आज ये सब बातें सोशल मीडिया पर इसलिए हो रही हैं क्यूँकि कुछ ज्ञानी मात्र डेट लगने से बेवजह आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं जिनमे कुछ जेहादी टाइप के जैसे अमेठी वाले जो कि लगातार चार वर्ष से स्वयंभू से लुटे और आज जब बहुत ही कम समय में हमारी टीम ने सफलताओं तक पहुँचा दिया तो धैर्य खो रहे हैं जबकि केस की a,b,c,d तक नहीं पता है, मैं भरोसा दिलाता हूँ ऐसे जिलाध्यक्षों को जो कि आज पैसा दबाए बैठे हैं और ख़ुद आगे आकर हीरो बनना चाहते हैं मैं उनका भरपूर सहयोग करूँगा लेकिन इस प्रकार सोशल मीडिया पर संगठन की बेवजह किरकिरी तो न करो जबकि आपका प्रतिद्वंदी रोज़ आपको पढ़ता है |
अधिवक्ताओं पर सवाल?
जब कोई नहीं था तब भी अमित पवन, आनंद नंदन जी थे, जब आपका पैसा आया तब से आजतक लगातार अजीत कुमार सिन्हा जी, देबल बनर्जी जी, एमएल वर्मा जी, आनंद नंदन जी, लगातार खड़े हो रहे हैं बताओ कहाँ कमी है?
अब आपके सभी के पास पैसा है तो आओ करो जेठमलानी जी, सालवे जी या जो भी हो क्यूँकि मुझे ये केस अभी नहीं बल्कि आगे भी लड़ना है तो मुझे हिसाब से चलना होगा आपके चक्कर में आकर मैं अनावश्यक धन की बर्बादी नहीं करूँगा, केस को केस की तरह से लड़ा जाता है सोशल मीडिया की बीसी से नहीं |
याचिकाओं के विषय में?
आज मैं चैलेंज करता हूँ पूरे प्रदेश के नेताओं को और जैसा कि मैं पहले भी कानपुर के आमंत्रण पर अपनी सहमति दे चुका हूँ कि जितनी याचिकाएँ हमारे द्वारा डाली गयी हैं उतनी याचिकाएँ लेकर मैं पहुँच रहा हूँ आइए दिखाइए अपनी याचिकाओं में आए काउंटर, नोटिस , याचिकाओं की प्रति इत्यादि दिखाओ तो सही और हक़ीक़त से रूबरू कराओ उन्हें जिनकी आँखों में धूल झोंके हो लो चेक कर लो स्वयं भी साइट पर :-
167/2015 Himanshu Rana & oths Vs Union of India & oths
I.A. no 2,3/2015 in WP (c) 167/2015 on shiksha mitras (we get stay on it and direction for HC)
107/2016 Durgesh pratap singh & oths Vs Union of India & oths
120/2016 Jyotsana & oths Vs Union of India & oths
1621-22/2016 Himanshu Rana Vs State of U.P. & oths etc
2397-98/2016 Amit Singh & oths Vs State of U.P. & oths
ये मुख्य याचिकाएँ और आज लिख लीजिए इन पर ही आपके भविष्य का फ़ैसला होगा और अगर नहीं हुआ तो आपका ये गुनहगार आपके सामने होगा |
अब bआते करते हैं आई की :-
36/2016 Durgesh pratap singh & State of U.P. & oths Vs in 167/2015 Himanshu Rana & oths Vs Union of India & oths
31/2016 Lalita Singh & oths Vs State of U.P. & oths Vs 167/2015 Himanshu Rana & oths Vs Union of India & oths
64/2016 Amit Singh & oths Vs State of U.P. & oths Vs 167/2015 Himanshu Rana & oths Vs Union of India & oths
67/2016 Jitendra Singh & oths Vs State of U.P. & oths Vs 167/2015 Himanshu Rana & oths Vs Union of India & oths
63/2016 Mahabir sharma & oths Vs State of U.P. & oths Vs 167/2015 Himanshu Rana & oths Vs Union of India & oths
इन सभी की जानकारी के लिए आपको बता दूँ आप सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर १६७ की office रिपोर्ट के साथ देखें |
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