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शिक्षिका व कर्मचारियों को बचाने में जुटा विभाग, शिक्षिका का विदेश में बैठकर पूरी सैलरी लेना पड़ा महंगा

दो साल से विदेश में बैठकर सैलरी लेने वाली अध्यापिका के खिलाफ कार्रवाई को लेकर शिक्षा विभाग उदासीन बना हुआ है। बेसिक शिक्षा अधिकारी के द्वारा पिछले एक सप्ताह से मामले की जांच रिपोर्ट न देने की बात कही
जा रही है। ऐसे में अपने आप को फंसता देख विभागीय अधिकारी मामले की उधेड़बुन में जुट गए हैं।
शिक्षिका के साथ ही अपने आप को भी बचाने का प्रयास किया जा रहा है।
जेवर के नगला हांडा प्राथमिक स्कूल में पढ़ाने वाली प्रधान अध्यापिका पिछले दो साल से विदेश में रह रही थी। स्कूल में उसने मातृत्व, बच्चे की देखभाल, बीमारी व अन्य बहाने बनाकर अवकाश लिया था। इस दौरान उसके खाते में हर माह सैलरी जाती रही। यह सारा मामला विभाग के एक अधिकारी के संज्ञान में था। सूत्रों की मानें तो उसके द्वारा मामले की हेराफेरी में शिक्षिका से आधी सैलरी ली जाती थी। मामला प्रकाश में आने पर बेसिक शिक्षा अधिकारी मनोज कुमार वर्मा ने जांच बिसरख के खंड शिक्षा अधिकारी अरुण कुमार को सौंपी थी। उन्होंने एक सप्ताह पूर्व ही जांच पूरी कर ली थी। उन्होंने बताया था कि जांच में शिक्षिका के विदेश में होना पाया गया है। उन्होंने मामले की विस्तृत रिपोर्ट भी तैयार कर ली थी। लेकिन रिपोर्ट खंड शिक्षा अधिकारी व बेसिक शिक्षा अधिकारी के बीच फंसी हुई है। विभाग में इतना बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद भी विभाग के वरिष्ठ अधिकारी मामले में कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। विभाग के सूत्रों की माने तो मामले में कई अधिकारी व कर्मचारी फंस रहे हैं। मामले में उनका निलंबन हो सकता है। ऐसे में विभाग के अधिकारी एक-दूसरे का बचाव करने में जुट गए हैं।
अभी तक रिपोर्ट नहीं मिली है। रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है। रिपोर्ट मिलते ही शिक्षिका के साथ ही मामले के दोषी लोगों पर भी कार्रवाई होगी।
मनोज कुमार वर्मा, बेसिक शिक्षा अधिकारी।

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