ब्यूरो/अमर उजाला, संभल एक शिक्षक तो ऐसा है जो बाकायदा उन्हीं अधिकारियों से अनुमति लेकर छुट्टी पर गया था जिन्होंने निलंबन की संस्तुति की थी। इस मामले में शिक्षक आक्रोशित है। शिक्षक व शिक्षा मित्र संघ ने भी आवाज उठाई है। हैरत की बात तो यह है कि शिक्षकों को निलंबित किए जाने संबंधी आदेश अब तक नहीं मिले हैं। उन्हें निलंबन का पता भी तब लगा जब वेतन कटकर आधा आया।
संघ के पदाधिकारियों का कहना है कि किसी भी शिक्षक को कभी भी निलंबित कर दिया जाता है। प्रसवकालीन अवकाश होने पर भी एक शिक्षिका की बीएलओ ड्यूटी लगाई गई। जबकि बीएलओ ड्यूटी की अवकाश लेकर गए फत्तेहपुर भाऊ के प्रधानाध्यापक को अनुपस्थित बताकर कार्रवाई की गई। उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के जिलाध्यक्ष गिरीश यादव व जिला प्रवक्ता रविंद्र खारी का कहना है कि निलंबन जैसी बड़ी कार्रवाई से पहले कम से कम संबंधित शिक्षक को नोटिस दिया जाए। जवाब लिया जाए।
अचानक किसी शिक्षक को निलंबित किया जाता है तो उसके मान-सम्मान को ठेस पहुंचती है। इस मामले में संघ को जिलाधिकारी और बेसिक शिक्षा अधिकारी से न्याय की उम्मीद है।
केस वन-
असमोली ब्लाक में ही गरवारा प्राथमिक विद्यालय है। इसमें प्राथमिक विद्यालय की इंचार्ज अध्यापक शिक्षा हैं। शिक्षा को निलंबित कर दिया गया लेकिन कोई आदेश उनके पास तक नहीं पहुंचा। वह लगातार स्कूल जा रही हैं और बीएलओ ड्यूटी भी कर रहीं हैं। उन्हें भी निलंबन के बारे में तब पता लगा जब बुधवार को उनका आधा वेतन आया। इसके बाद शिक्षा ने अपने अधिकारियों से फोन पर संपर्क किया। अधिकारियों ने बताया है कि बीएलओ ड्यूटी की बैठक से गैरहाजिर होने पर निलंबित किया गया है।
केस टू-
असमोली ब्लाक स्थित हरिपुर मिलक में तैनात शिखा त्यागी को निलंबित किया गया। निलंबन आदेश आज तक उन्हें रिसीव नहीं कराया गया। ताज्जुब की बात तो यह है कि उनके स्कूल के स्टाफ तक को निलंबन के बारे में जानकारी नहीं है। वह भी निलंबन आदेश से बेखबर थीं। उन्हें बुधवार को तब पता लगा जब उनका आधा वेतन आया। इन पर बीएलओ संबंधी डीएम की बैठक में अनुपस्थित होने तथा बीएलओ ड्यूटी न करने का आरोप लगाया गया है। हालांकि शिक्षिका ने अपनी ड्यूटी ज्वाइन कर ली थी और इसके बाद काम भी किया। वह लगातार अपनी मूल तैनाती के विद्यालय में बच्चों को पढ़ा रही हैं और बीएलओ ड्यूटी भी कर रही हैं फिर भी उन्हें निलंबित किया गया है।
केस थ्री-
संभल ब्लाक के फत्तेहपुरभाऊ में तैनात प्रधानाध्यापक विनोद बरनवाल को जिलाधिकारी की ओर से आयोजित बीएलओ बैठक से अनुपस्थित दर्शा कर निलंबित किया गया है। यहां अहम बात यह है कि वह बाकायदा अनुमति लेकर अपने घर गए थे। इसके साक्ष्य उनके पास हैं पर उन साक्ष्यों की अनदेखी करके विनोद बरनवाल का निलंबन किया गया है। जिन अधिकारियों की संस्तुति पर विनोद निलंबित हुए हैं अब वही अधिकारी उनकी बहाली के लिए पैरवी कर रहे हैं। मतलब निलंबन न हुआ जैसे कोई खेल हो गया।
निलंबित किए गए सभी शिक्षकों को बहाल किया जाए क्योंकि वे बच्चों को पढ़ा रहे हैं और बीएलओ ड्यूटी को भी संभाल रहे हैं। बहाली न होने के मतलब है कि शिक्षकों के सम्मान से खिववाड़ हो रहा है। इस मामले में यदि बहाली नहीं हुई तो पूरे जिले में शिक्षक बीएलओ ड़्यूटी का बहिष्कार करेंगे।
पुनीत चौधरी, प्रांतीय महामंत्री उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक /शिक्षामित्र संघ।
-तहसील से आई रिपोर्ट पर बीएलओ ड्यूटी में लगे अनुपस्थित शिक्षकों को निलंबित किया गया है। अब अगर शिक्षक अपना प्रत्यावेदन देते हैं तो उस पर विचार करेंगे। नियमानुसार कार्रवाई होगी।
डा. सत्यनारायण, बीएसए, संभल।
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संघ के पदाधिकारियों का कहना है कि किसी भी शिक्षक को कभी भी निलंबित कर दिया जाता है। प्रसवकालीन अवकाश होने पर भी एक शिक्षिका की बीएलओ ड्यूटी लगाई गई। जबकि बीएलओ ड्यूटी की अवकाश लेकर गए फत्तेहपुर भाऊ के प्रधानाध्यापक को अनुपस्थित बताकर कार्रवाई की गई। उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के जिलाध्यक्ष गिरीश यादव व जिला प्रवक्ता रविंद्र खारी का कहना है कि निलंबन जैसी बड़ी कार्रवाई से पहले कम से कम संबंधित शिक्षक को नोटिस दिया जाए। जवाब लिया जाए।
अचानक किसी शिक्षक को निलंबित किया जाता है तो उसके मान-सम्मान को ठेस पहुंचती है। इस मामले में संघ को जिलाधिकारी और बेसिक शिक्षा अधिकारी से न्याय की उम्मीद है।
केस वन-
असमोली ब्लाक में ही गरवारा प्राथमिक विद्यालय है। इसमें प्राथमिक विद्यालय की इंचार्ज अध्यापक शिक्षा हैं। शिक्षा को निलंबित कर दिया गया लेकिन कोई आदेश उनके पास तक नहीं पहुंचा। वह लगातार स्कूल जा रही हैं और बीएलओ ड्यूटी भी कर रहीं हैं। उन्हें भी निलंबन के बारे में तब पता लगा जब बुधवार को उनका आधा वेतन आया। इसके बाद शिक्षा ने अपने अधिकारियों से फोन पर संपर्क किया। अधिकारियों ने बताया है कि बीएलओ ड्यूटी की बैठक से गैरहाजिर होने पर निलंबित किया गया है।
केस टू-
असमोली ब्लाक स्थित हरिपुर मिलक में तैनात शिखा त्यागी को निलंबित किया गया। निलंबन आदेश आज तक उन्हें रिसीव नहीं कराया गया। ताज्जुब की बात तो यह है कि उनके स्कूल के स्टाफ तक को निलंबन के बारे में जानकारी नहीं है। वह भी निलंबन आदेश से बेखबर थीं। उन्हें बुधवार को तब पता लगा जब उनका आधा वेतन आया। इन पर बीएलओ संबंधी डीएम की बैठक में अनुपस्थित होने तथा बीएलओ ड्यूटी न करने का आरोप लगाया गया है। हालांकि शिक्षिका ने अपनी ड्यूटी ज्वाइन कर ली थी और इसके बाद काम भी किया। वह लगातार अपनी मूल तैनाती के विद्यालय में बच्चों को पढ़ा रही हैं और बीएलओ ड्यूटी भी कर रही हैं फिर भी उन्हें निलंबित किया गया है।
केस थ्री-
संभल ब्लाक के फत्तेहपुरभाऊ में तैनात प्रधानाध्यापक विनोद बरनवाल को जिलाधिकारी की ओर से आयोजित बीएलओ बैठक से अनुपस्थित दर्शा कर निलंबित किया गया है। यहां अहम बात यह है कि वह बाकायदा अनुमति लेकर अपने घर गए थे। इसके साक्ष्य उनके पास हैं पर उन साक्ष्यों की अनदेखी करके विनोद बरनवाल का निलंबन किया गया है। जिन अधिकारियों की संस्तुति पर विनोद निलंबित हुए हैं अब वही अधिकारी उनकी बहाली के लिए पैरवी कर रहे हैं। मतलब निलंबन न हुआ जैसे कोई खेल हो गया।
निलंबित किए गए सभी शिक्षकों को बहाल किया जाए क्योंकि वे बच्चों को पढ़ा रहे हैं और बीएलओ ड्यूटी को भी संभाल रहे हैं। बहाली न होने के मतलब है कि शिक्षकों के सम्मान से खिववाड़ हो रहा है। इस मामले में यदि बहाली नहीं हुई तो पूरे जिले में शिक्षक बीएलओ ड़्यूटी का बहिष्कार करेंगे।
पुनीत चौधरी, प्रांतीय महामंत्री उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक /शिक्षामित्र संघ।
-तहसील से आई रिपोर्ट पर बीएलओ ड्यूटी में लगे अनुपस्थित शिक्षकों को निलंबित किया गया है। अब अगर शिक्षक अपना प्रत्यावेदन देते हैं तो उस पर विचार करेंगे। नियमानुसार कार्रवाई होगी।
डा. सत्यनारायण, बीएसए, संभल।
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