- जर्जर व दुर्व्यवस्था का प्रतीक जनता उच्चतर माध्यमिक विद्यालय जंगीपुर - सोलह शिक्षकों के वेतन पर सालाना साठ लाख रुपये खर्च कर रहा विभाग
गाजीपुर: अपने जमाने के टापटेन विद्यालयों में शुमार किसी शिक्षण संस्थान की कितनी
दुर्गति हो सकती है अगर यह देखना है तो चले आइए जनता उच्चतर माध्यमिक
विद्यालय जंगीपुर। देखने पर कहीं से भी ऐसा प्रतीत नहीं होगा कि यह कोई
विद्यालय भी है। जर्जर भवन, परिसर में उगे झाड़-झंखाड़। परिसर में
आठ-दस विद्यार्थी और जगह-जगह बैठे शिक्षक। कुछ यही है इस विद्यालय की असली तस्वीर। मजे की बात यह कि महज इतने छात्रों के लिए इस विद्यालय के शिक्षकों पर विभाग साठ लाख रुपये सालाना खर्च कर रहा है, जबकि तमाम जगह शिक्षकों का टोटा है।
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कभी यहां प्रवेश को तरसते थे विद्यार्थी
-यह वही जनता उच्चतर माध्यमिक विद्यालय है जिसमें प्रवेश के लिए कभी
विद्यार्थी तरसते थे लेकिन आज यह विद्यार्थियों के लिए तरस रहा
है। इसकी स्थापना 1965-66 में हुई थी। उस समय यह कक्षा छह से आठ
तक ही संचालित होता था। इसके बाद 1978 में यहां हाईस्कूल तक पढ़ाई होने
लगी। 1996 से यह विद्यालय शासन द्वारा वित्तपोषित हो गया। 1985 से 1990 के
बीच इस विद्यालय का स्वर्णिम काल था और यहां प्रवेश के लिए
विद्यार्थी तरसते थे। उस समय यहां पर डेढ़ हजार से अधिक विद्यार्थी हुआ
करते थे। वित्तपोषित होने के बाद प्रबंधकीय विवाद ने इसे गर्त की ओर धकेल
दिया और इसका स्तर गिरने लगा। अब यह अपनी दुर्दशा के चरम पर है।
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.. तो गुटबाजी के शिकार हैं शिक्षक
- प्रभारी प्रधानाचार्य श्यामलाल गुप्त ने भी स्वीकार किया कि गुटबाजी के चलते यहां बेहतर पढा़ई नहीं हो पाती है। ऐसा न होता तो आज भी यहां विद्यार्थियों की भीड़ लगती। बगैर किसी लाग लपेट के कहा कि कुछ लोग सिर्फ नौकरी कर रहे हैं। उन्हें शिक्षश कार्य से कोई लेनादेना नहीं है। इसकी शिकायत भी की जा चुकी है। बताया कि यहां भवन भी जर्जर हो गए हैं, इससे विद्यार्थियों को बैठने में काफी समस्या होती है।
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रोका गया था वेतन
- प्रबंधकीय विवाद के चलते यहां विभाग द्वारा राजकीय हाईस्कूल सौरी के प्रधानाचार्य रामअवतार यादव को कंट्रोलर नियुक्त किया गया है। रामअवतार यादव ने बताया कि यहां पर विद्यार्थियों की अपेक्षा शिक्षक अधिक हैं। इससे सभी का वेतन रोका गया था। इस शर्त पर वेतन जारी किया गया कि सभी शिक्षक मिलकर विद्यार्थियों की संख्या बढ़ाएंगे लेकिन ऐसा हो नहीं पाया है। कहा कि जल्द ही उनके खिलाफ फिर कार्रवाई की जाएगी।
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गाजीपुर: अपने जमाने के टापटेन विद्यालयों में शुमार किसी शिक्षण संस्थान की कितनी
दुर्गति हो सकती है अगर यह देखना है तो चले आइए जनता उच्चतर माध्यमिक
विद्यालय जंगीपुर। देखने पर कहीं से भी ऐसा प्रतीत नहीं होगा कि यह कोई
विद्यालय भी है। जर्जर भवन, परिसर में उगे झाड़-झंखाड़। परिसर में
आठ-दस विद्यार्थी और जगह-जगह बैठे शिक्षक। कुछ यही है इस विद्यालय की असली तस्वीर। मजे की बात यह कि महज इतने छात्रों के लिए इस विद्यालय के शिक्षकों पर विभाग साठ लाख रुपये सालाना खर्च कर रहा है, जबकि तमाम जगह शिक्षकों का टोटा है।
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कभी यहां प्रवेश को तरसते थे विद्यार्थी
-यह वही जनता उच्चतर माध्यमिक विद्यालय है जिसमें प्रवेश के लिए कभी
विद्यार्थी तरसते थे लेकिन आज यह विद्यार्थियों के लिए तरस रहा
है। इसकी स्थापना 1965-66 में हुई थी। उस समय यह कक्षा छह से आठ
तक ही संचालित होता था। इसके बाद 1978 में यहां हाईस्कूल तक पढ़ाई होने
लगी। 1996 से यह विद्यालय शासन द्वारा वित्तपोषित हो गया। 1985 से 1990 के
बीच इस विद्यालय का स्वर्णिम काल था और यहां प्रवेश के लिए
विद्यार्थी तरसते थे। उस समय यहां पर डेढ़ हजार से अधिक विद्यार्थी हुआ
करते थे। वित्तपोषित होने के बाद प्रबंधकीय विवाद ने इसे गर्त की ओर धकेल
दिया और इसका स्तर गिरने लगा। अब यह अपनी दुर्दशा के चरम पर है।
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.. तो गुटबाजी के शिकार हैं शिक्षक
- प्रभारी प्रधानाचार्य श्यामलाल गुप्त ने भी स्वीकार किया कि गुटबाजी के चलते यहां बेहतर पढा़ई नहीं हो पाती है। ऐसा न होता तो आज भी यहां विद्यार्थियों की भीड़ लगती। बगैर किसी लाग लपेट के कहा कि कुछ लोग सिर्फ नौकरी कर रहे हैं। उन्हें शिक्षश कार्य से कोई लेनादेना नहीं है। इसकी शिकायत भी की जा चुकी है। बताया कि यहां भवन भी जर्जर हो गए हैं, इससे विद्यार्थियों को बैठने में काफी समस्या होती है।
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रोका गया था वेतन
- प्रबंधकीय विवाद के चलते यहां विभाग द्वारा राजकीय हाईस्कूल सौरी के प्रधानाचार्य रामअवतार यादव को कंट्रोलर नियुक्त किया गया है। रामअवतार यादव ने बताया कि यहां पर विद्यार्थियों की अपेक्षा शिक्षक अधिक हैं। इससे सभी का वेतन रोका गया था। इस शर्त पर वेतन जारी किया गया कि सभी शिक्षक मिलकर विद्यार्थियों की संख्या बढ़ाएंगे लेकिन ऐसा हो नहीं पाया है। कहा कि जल्द ही उनके खिलाफ फिर कार्रवाई की जाएगी।
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