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नई पेंशन नीति के नुकसान, वित्त मंत्रालय के पत्र एवं पीएफआरडी एक्ट- 2013 सेक्शन - 20 के अनुसार हमे होगे नई पेन्शन नीति से निम्न नुकसान

अन्तर्राष्टीय श्रम संगठन के अनुसार सरकार या रोजगार देने वाले ( नियोक्ता ) की तरफ से पेन्शन कोई एहसान नही है। बल्कि यह वेतन का ही हिस्सा है जो कर्मचारी को सेवाकाल के दौरान नही दिया गया , इस प्रकार पेंशन अपने वेतन से काटा गया पैसा है ।

भारत का सर्वोच्च न्यायालय भी इसी बात को प्रमाणित करता है ।
संविधान के अनुसार भारत एक लोक कल्याणकारी राज्य है जिसके अनुसार बचपन और बुढापा इन दोनो को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना सरकार का कर्तव्य है ।जिसके तहत पेन्शन दी जाती थी ।
लेकिन सरकार ने पेन्शन नीति को समाप्त कर नई पेन्शन नीति लागू की है वित्त मंत्रालय के पत्र एवं पी एफ आर डी एक्ट- 2013 सेक्शन - 20 के अनुसार हमे नई पेन्शन नीति से निम्न नुकशान होगे ----
1- नई पेन्शन नीति के तहत पुरानी स्कीम की तुलना मे 4 गुना से अधिक वेतन से कटौती होगी , जिसके रिटर्न की गारन्टी नही होगी ।
2- जी पी एफ की सुविधा से वंचित किया गया ।
3- ग्रेच्युटी के लाभ से वंचित किया गया।आज के अनुसार 10 लाख का नुकसान ।
4- जमा राशि को सेवा से पहले नही निकाल सकते ।केवल एक या दो बार विशेष परिश्थिति मे ।
5- रिटायर मेन्ट के समय अपनी जमा की गयी राशि का केवल 60 % ही निकाल सकते हैं बाकी 40% शेयर मार्कट मे ही लगाना पडेगा ।
6- सेवा मुक्ति से पहले मृत्यु होने , नौकरी छोडने पर 80% पैसा पेन्शन फन्ड मे रख लिया जायेगा और परिवार को 20% ही रकम मिलेगी ।
7- रिटायरमेन्ट के बाद पेन्शन सरकार नही बल्कि इन्शोरेन्श कम्पनी देगी जिसमे हम जमा राशि का 40% निवेश करेंगे पेन्शन उस राशि के मासिक व्याज से कम होगी और मूल राशि तो वह कम्पनी ही खा जायेगी ।
आप कल्पना कीजिए कि हम रिटायर हो चुके हैं और शेयर मार्केट गिर गया है जिसमे सारा पैसा डूब जाय और सरकार जिम्मेवारी लेने से मना कर दे । तब क्या स्थिति होगी और आपके बच्चो के पास स्थायी रोजगार नही हो तब क्या होगा ??

तब शायद हमारे पास कोई रास्ता नही होगा तब बहुत देर हो चुकी होगी , अभी हमारे पास वक्त है संघर्ष करने की शक्ति है आओ संघर्ष की ओर बढ़े ।
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