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शिक्षक भर्ती और समायोजन केस के कोर्ट आर्डर: कभी ख़ुशी कभी गम की स्थिति

आज आये 17 और 21 नवम्बर की सुनवाई के कोर्ट ऑर्डर्स शिक्षामित्रों और शिक्षक भर्ती के लोगों के लिए कहीं ख़ुशी कही गम की हालत पैदा करने वाले हैं।
मिशन सुप्रीम कोर्ट ग्रुप के रबी बहार, केसी सोनकर, माधव गंगवार और साथियों का विश्लेषण प्रस्तुत है।
17 नवम्बर की सुनवाई:-

17 नवम्बर का कोर्ट ऑर्डर 72825 की भर्ती में चयनितों और अचायनितों को स्पष्ट चेतावनी है कि आप लोग अगली सुनवाई अर्थात 22 फरवरी तक ही मौज कर सकते हैं। 22 फरवरी की सुनवाई में अंतरिम या फाइनल जजमेंट दिया जायेगा। साथ ही राज्य को आदेशित किया है कि जिन लोगों को अंतरिम राहत दी गई है उन के विषय में विचार करना होगा। 22 फरवरी को सिर्फ शिक्षक भर्ती मामला ही सुना जायेगा। ये आदेश भी रजिस्ट्रार को दिया गया है। इसके अलावा टेट की वैधता रहेगी या खत्म हो जायेगी वो कोर्ट की फाइनल बहस की तारीख पर निर्णीत होगा।
इस सुनवाई में मिशन सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील कॉलिन गोंसाल्विस, अधिवक्ता फीडेल सेबेस्टियन और ज्योति मेंदीरत्ता उपस्थित रहीं इनके नाम ऑर्डर के पेज न० 16 पर देखा जा सकता है।
21 नवम्बर की सुनवाई:-
21 नवम्बर का आदेश शिक्षामित्रों की 2015 से अब तक की पैरवी पर पानी फेर देता है।
मुख्य प्रतिवादी राज्य सरकार की अनुसपस्थिति में हुयी सुनवाई में राज्य सरकार के वकील रवि प्रकाश मेहरोत्रा को याचिका की कॉपी प्रस्तुत करने को कहा गया साथ ही कोर्ट रजिस्ट्रार को निर्देश दिया गया कि वो राज्य के वकील का नाम कॉज लिस्ट में डाले।
_अब अंत में सब से ख़ास बात ये कि याचिकाकर्ता को अंतरिम राहत देने पर विचार करने का आश्वासन दिया गया है। ये आश्वासन शिक्षामित्रों के प्रति कोर्ट के नकारात्मक नज़रिए को प्रदर्शित करता है। यदि राज्य सरकार और एनसीटीई की पैरवी में थोड़ी सी भी ढील होती है तो याची को अंतरिम राहत दी जा सकती है जिस का सीधा सा अर्थ है कि ये शिक्षामित्रों का प्रशिक्षण अवैध घोषित किये जाने की ओर पहला क़दम होगा।
इस केस में शिक्षामित्रों के वकीलों की भूमिका राज्य सरकार और एनसीटीई के बाद आती है, तथापि हमारी ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंसाल्विस बहस करेंगे।
★आजीविका और मान सम्मान से कोई समझौता नहीं।।
©मिशन सुप्रीम कोर्ट।
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