विधि मंत्रालय ने फेल ना करने की नीति को आठवीं कक्षा से घटाकर पांचवीं कक्षा तक ही सीमित करने के मानव संसाधन विकास मंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, क्योंकि बच्चे ‘फेल होने का डर नहीं होने के कारण’ अनुशासनहीन हो रहे हैं।
मंत्रालय ने कहा कि स्कूल में दाखिला लेने वाले किसी भी बच्चे को पांचवीं कक्षा की पढ़ाई पूरी करने तक किसी भी कक्षा में फेल ना करने या स्कूल से निष्कासित ना करने के प्रावधान पर ‘कोई आपत्ति नजर नहीं आती।’ मौजूदा प्रावधान के अनुसार फेल ना करने या एक ही कक्षा में बनाए ना रखने की नीति प्राथमिक शिक्षा (कक्षा 8 तक) पूरी करने तक मान्य है।
आठ दिसंबर के अपने एक नोट में विधि मंत्रालय के कानूनी मामलों के विभाग ने कहा कि उचित (राज्य) सरकारें जरूरी पड़ने पर छठी, सातवीं या आठवीं कक्षा तक बच्चों को एक ही कक्षा में रोकने के लिए नियम बना सकती हैं, लेकिन उसके लिए (छात्रों को दोबारा परीक्षा में शामिल होने देने के लिए) अतिरिक्त मौका दिया जा सकता है।
नोट में कहा गया है कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने फेल ना करने की नीति आठवीं कक्षा से घटाकर पांचवीं कक्षा तक करने का फैसला मौजूदा प्रावधान के ‘विभिन्न प्रतिकूल परिणामों’ की समीक्षा करने के बाद किया है।
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मंत्रालय ने कहा कि स्कूल में दाखिला लेने वाले किसी भी बच्चे को पांचवीं कक्षा की पढ़ाई पूरी करने तक किसी भी कक्षा में फेल ना करने या स्कूल से निष्कासित ना करने के प्रावधान पर ‘कोई आपत्ति नजर नहीं आती।’ मौजूदा प्रावधान के अनुसार फेल ना करने या एक ही कक्षा में बनाए ना रखने की नीति प्राथमिक शिक्षा (कक्षा 8 तक) पूरी करने तक मान्य है।
आठ दिसंबर के अपने एक नोट में विधि मंत्रालय के कानूनी मामलों के विभाग ने कहा कि उचित (राज्य) सरकारें जरूरी पड़ने पर छठी, सातवीं या आठवीं कक्षा तक बच्चों को एक ही कक्षा में रोकने के लिए नियम बना सकती हैं, लेकिन उसके लिए (छात्रों को दोबारा परीक्षा में शामिल होने देने के लिए) अतिरिक्त मौका दिया जा सकता है।
नोट में कहा गया है कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने फेल ना करने की नीति आठवीं कक्षा से घटाकर पांचवीं कक्षा तक करने का फैसला मौजूदा प्रावधान के ‘विभिन्न प्रतिकूल परिणामों’ की समीक्षा करने के बाद किया है।
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