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एल.टी. ग्रेड शिक्षक भर्ती : सरकार की मंशा नौकरी प्रदान करना नहीं

एल.टी. ग्रेड शिक्षक भर्ती : 1990 के दरम्यान यूपीपसीएस में लगातार कई वर्षों तक संस्कृत व दर्शन शास्त्र के छात्र ज्यादातर पदों पर चयनित हो गये थे, तब छात्रों के जबरदस्त आंदोलन के उपरांत संघ लोक सेवा आयोग की भाॅति लोक सेवा आयोग में स्केलिंग प्रणाली को लागू किया गया।
क्योंकि विभिन्न विषयों के प्रश्नपत्रों के स्तर व स्कोरिंग में अंतर रहता है। राज्य सरकार बेशक कोई भर्ती मेरिट से ही करना चाहती है तो ऐसा करने का उसका अधिकार हो सकता है, परन्तु सवाल यह है कि जिनकी मेरिट बननी है वहां स्तर अलग-2 है। इसे एक उदाहरण से बेहतर से समझा जा सकता है, किसी छात्र ने इविवि से 65 फीसदी अंक पर कर हिंदी विषय में गोल्डमेडल अर्जित किया है और इविवि से रैंकिंग में काफी नीचे किसी विश्वविद्यालय से हिंदी में 65 फीसदी अंक लाता है परन्तु उस विवि में 75 फीसदी अंक पा कर गोल्डमेडल पाता है और ऐकेडमिक जगत इविवि के गोल्डमेडलिस्ट को 75 फीसदी वाले गोल्डमेडलिस्ट से ज्यादा महत्व देता है। मेरिट का आधर होने की वजह से ही पिछली एल.टी. ग्रेड शिक्षक भर्ती में इविवि से एक भी छात्र का चयन नहीं हुआ, जबकि टाप-20 में जगह रखने वाले कई छात्रों ने आवेदन किया था। तब भी यदि अखिलेश सरकार मेरिट पर परीक्षा कराने पर आमादा है ही तो यह जरूरी हो जाता है कि इन दो विवि का तुलनात्मक विश्लेषण हो और अंकों को स्केल्ड कर नये अंक प्रदान किया जाये। जाहिरा तौर पर तब 75 फीसदी अंक 50 पर आ सकते हैं और इविवि के छात्र के 65 फीसदी 80 फीसदी हो सकता है। अंकों को बिना स्केल्ड किये मेरिट बनाने से अच्छे संस्थानों को भारी क्षति होगी और मेधावी छात्र चयन से वंचित हो जायेंगे। दरअसल सरकारें छात्रों को ही आपस में विभाजित कर गुटों में बाटॅने का काम कर रही हैं जिससे तमाम सारे मामले कोर्ट में वर्षों तक लटके रहें और रोजगार के सवाल पर कोई प्रभावशाली आंदोलन न होने पाये। यह मामला भी कोर्ट में जायेंगा, लगता यही है कि सरकार की मंशा नौकरी प्रदान करना नहीं है। वैसे तो हर कोई चुनाव के वक्त युवाओं के लिए बड़ी-2 बाते, वायदे जैसे हर साल 2 करोड़ रोजगार, लैपटाप, बेरोजगारी भत्ता इत्यादि बड़े-2 सपने दिखाये जाते हैं लेकिन आज सचाई यह है कि युवा व किसान सर्वाधिक उपेक्षित है। अगर आज देश का युवा व्यापक नजरिया रखे तो देश में बदलाव लाया जा सकता है।
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