बेबाक : टीईटी वालों की भर्ती जो 72825 की होने वाली थी वो 66000 पर ही सिमट गयी और चले थे ऐकेडमिक रद्द करवाने खुद ही रद्द होते होते बचे.............

बेबाक-----
टीईटी वालों की भर्ती जो 72825 की होने वाली थी वो 66000 पर ही सिमट गयी और चले थे ऐकेडमिक रद्द करवाने खुद ही रद्द होते होते बचे,,।।
बस टीईटी मेरिट यानी 72825 का फैसला हमसे पहले ही सुरक्षित हो गया था।।और अगर इनकी बहस हमारे साथ होती तो 72825 रद्द होने से कोई नही बचा सकता था,,।।। अबे टुच्चों हम हाईकोर्ट में तब नहीं थे जब तुम लोग शिव कुमार शर्मा में कोर्ट को गुमराह किये थे और डबल बेंच से जीत गये थे,,हम अगर उस समय होते न तो तुम जैसों का जहरीला फन वहीं कुचल देते ,,।।
जब से टीईटी बनाम ऐकेडमिक का फैसला आया है तब से टीईटी मेरिट के पैरवीकार और उनके नेता लोगों को इतना गहरा सदमा लगा है,,,,की ये लोग समझ ही नही पा रहें है की क्या लिखूं की हमारे चाची गेम वाले हमें लात जूतों से न मारे😝😝😝
आज दिल खोलकर बोलूंगा क्योकी इन हरामखोरों ने हमको खूब पानी पी पी कर अपशब्द और तंज कसे थे हमारी आजीविका और सम्मान को ठेस पहुंचाने की हर कोशिश किया और मुझे इनकी हर करतूत आज भी याद है और आज भी वही आग है जो पहले थी इन कुत्तों के खिलाफ़ पर अंत में इन्होने जो थूक हम पर थूका था वह इनके ही मुंह पर जा गिरा और ये कुत्ते उसे चाट भी बैठे,,,
इन टीईटी वालो की सूचि आज आप सभी के समक्ष रख रहा हूँ,,।।
1- तिलकधारी पाठक---- इस हरामखोर ने 15000 भर्ती के समय फतवा जारी किया था की बेसिक शिक्षा की ये भर्ती भी फंसेगी इस ये पाखंडी बोलता था शुड गिव वेटेज को 25 जज सही मान रहे हैं और ये बीटीसी के बच्चे क्या कर लेंगे🤣🤣 और ये कहानी सुनाते थे हमको,,अरे सूअर के मल जैसा मुंह लिये सूअर तुझे तो सूअरों की नाली का पानी पीकर मर जाना चाहिए।।अभी भी समय है मर जा।।
2- डेढ फुटिया काणा-- ये मेरठ का बौना पहले तो सरकस में अच्छा काम करता था जोकर का क्योकी बौने का प्रचलन प्राचीन काल से चला आ रहा था,।तब इसने टीईटी 2011 के गधो की जमात देखी तो सोचा कमाई का अच्छा जरिया है लग जाओ इसी में और ये तब लगा लम्बी लम्बी फेंकने और ये परमादेश वो आदेश करके खूब याची बनाएं और करोडों रूपया कमाया,,।।और सबको बोला सब मुझसे जुड कर याची बन जाओ मै इन ऐकेडमिक वालो की भर्ती रद्द करवा कर सबको नौकरी दिला दूंगा ,,आ गया औकात मे बौने जोकर, 😍😍
3- पगला इलाहाबादी एडवोकेट-- ये हरामखोर हमेशा अपनी डिग्री फाड़ने की बात करता था ये लल्लूलाल आज़ाद पार्क के पेड़ो के नीचे छोले बेचता था और बाद 170 रूपये में काला कोट खरीद कर बन गया वकील का जूता खैर ये पहले भी गधा था आज भी है,,और आगे भी रहेगा,,।।
4- शुलभ शौचालय--वैसे इसके नामकरण से इसकी सोच बकायदा मिलती है ये चपडगंजू हर जगह ऐकेडमिक के खिलाफ जहर उगलता था और ये तो मानसिक रूप से इतना विक्षिप्त हो चुका है की आज भी उल्टी सीधी पोस्ट कर रहा है की फैसला गलत हुआ अब ये हरामखोर बताएगा फैसला सही हुआ या गलत लंगूर कहीं का,।,ये कल मानसिक आघात के चलते सूअरों के बाड़े में उनका मल मुंह से साफ करता हुआ दिखाई दिया है हो सकता है खा भी रहा हो,,।
5- कुजय ठाकुर--- ये बोलता था बिना वेटेज भर्ती नहीं होगी और मेरे सभी याचीयों को नौकरी मिलेगी और तो और ये हरमाखोर भी अब भी लोगों को उल्लू बना रहा बोल रहा की सभी बीएड वालों को नौकरी दिलाएगा,आज भी ये अपनी दूकान चलाना चाह रहा पाखंडी कही का इसके मुंह पर कुत्ते का मल लग गया है,,।
6-रत्नेश चन्द्रा---ये मानसिक रोगी पहले भी था आज भी है मै इसकी बात पर विशेस गौर नही करता मै इसकी गिनती पागलों मे करता हूँ ।।
7- जोगेन्द्र यादव--यदुवंशी कुल का पागल ये सुलभ शौचालय का कीड़ा बहुत बिलबिलाता था इसको प्राईमरी स्कूल की हरी पट्टी से जूनियर की लाल पट्ठी में जाना था और इसी का लालच देकर खूब माल अंदर किया और हर समय लोगों को बेवकूफ बनाकर लूटा और हर समय ऐकेडमिक को कोसता रहता था और अंत मे लाल पट्टी वाले स्कूल की जगह मिला क्या सुप्रीम कोर्ट ने पिछवाड़ा ही लाल कर दिया,,।ये हरामखोर आज भी सबको बेवकूफ बना रहा है ताकी इसकी दूकान एक बार फिर चले और लाखों अंदर हो जाए पर हो कुछ भी है बहुत बड़ा वाला चिलगोजर
अब बात बीटीसी के विभिषण की चूकिं ये बीटीसी के है इसलिए इनके लिए अधिक नही बोलना चाहता पर कुकर्म इनके भी कम नहीं है--
1- शामली के मलिक साहब ---मलिक साहब टीईटी के नेताओं की घुट्टी से इतने लबालब हो गये थे की हर जगह मुझे कोसते रहते और ऐकेडमिक मेरिट के खिलाफ़ जहर उगलते रहते,,पोस्ट के साथ उनकी कुछ पहले की बातें भी है जो उन्होने बोली है और मैने सुरक्षित रखीं थी मैने बोला था सही वक्त पे जवाब दूंगा तो मलिक साहब आत्म चिंतन करना और आज आपको आपके सारे जुमलों और सारे कटाक्षों का जवाब सूद समेत मिला है,,।।
2- श्री दूबे जी --वैसे दूबे जी से मेरा कोई व्यक्तिगत विवाद नहीं है पर ये बस टीईटी नेताओं के चक्कर में फस कर अपनी उंगरी दे बैठे थे,। और इनकी तुलना मै कालीदास जी से करना चाहूँगा ये जिस डाल पर बैठे था उसी को काट रहे थे,,।।
3- गीता के परम ज्ञानी और कथावाचक सिंह साहब--- इनको मुझसे बड़ी जलन थी क्योंकि इनको मेरा 15000 भर्ती में आना बहुत बुरा लगा और ये चाहते तो 😝😝---।ये बोलते थे बस 1% टीईटी वेटेस मिल जाए और भर्ती रद्द हो जाती तो मजा आ जाता इनको नौकरी की कम मजे की ज्यादा पड़ी थी,। बस ये कुंठित थे दूसरों की खुशी देखकर और शायद आज भी है और आगे भी रहेंगे हाँ ये उपदेश बड़ा अच्छा देते है जैसे आशाराम के बाद इनका ही प्रवचन चलता हो,,।।
4- बीटीसी 13 बैच का अबोध बालक--ये 12 बैच आगरे का आबोध बालक अभी इसके निप्पल से दूध पीने के दिन थे।पर इनको नेता बनने का बडा शौक है और खुद टीईटी मोर्चा का युवराज बन बैठे और हर समय टीईटी नेताओं की गोद में बैठे रहने लगे,,वैसे इस अबोध बालक के दूध के दाँत अभी टूटे भी नही थे चले थे अफ्रीकन हाथी का शिकार करने,,।।
और भी बहुत लोग है पर सबकी चर्चा फिर कभी करूँगा।।
मेरे शब्द जिसको बुरे लगे वो मेरी पोस्ट न पढ़े इन जाहिलों ने हमको जो जो यातनाएं दी हैं उनके लिए यह शब्द बहुत कम है,,
खैर ईश्वर जिसकी जैसी करनी उसको वैसा फल दे,,
धन्यवाद
आपका
अनिल मौर्या
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